भारत और मलेशिया के बीच पहली सुरक्षा वार्ता: सहयोग के नए रास्ते खुले
“नई दिल्ली में मंगलवार को भारत और मलेशिया के बीच पहली सुरक्षा वार्ता का आयोजन किया गया। इस महत्वपूर्ण बैठक में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और मलेशिया की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के महानिदेशक राजा दातो नुशिर्वान ने भाग लिया। इस वार्ता का उद्देश्य दोनों देशों के बीच सुरक्षा संबंधों को मजबूत करना और विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग बढ़ाना है।”
बैठक के दौरान दोनों देशों ने वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा की। मुख्य रूप से निम्नलिखित विषयों पर जोर दिया गया:
- रक्षा और समुद्री सुरक्षा: समुद्री सीमाओं की सुरक्षा और क्षेत्रीय शांति सुनिश्चित करने के लिए दोनों देशों ने आपसी सहयोग को मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की।
- आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई: आतंकवाद के खतरे को रोकने और इससे जुड़े मुद्दों पर मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई गई।
- साइबर सुरक्षा: तेजी से बढ़ते साइबर खतरों को देखते हुए दोनों देशों ने साइबर सुरक्षा में सहयोग बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया।
- चरमपंथ को रोकना: चरमपंथ और कट्टरपंथी विचारधाराओं के प्रसार को रोकने के लिए भी रणनीति बनाई गई।
- दुर्लभ खनिज पदार्थों पर सहयोग: क्रिटिकल मिनरल्स और रेयर अर्थ्स (दुर्लभ खनिज पदार्थ) के क्षेत्र में सहयोग के अवसरों पर भी चर्चा हुई, जो दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करेगा।
वार्षिक रूप से आयोजित होगी सुरक्षा वार्ता
यह सुरक्षा वार्ता अब हर साल आयोजित की जाएगी। यह पहल अगस्त 2024 में मलेशियाई प्रधानमंत्री दातो सेरी अनवर इब्राहिम की भारत यात्रा के दौरान हुई बातचीत का परिणाम है। उस यात्रा में दोनों देशों ने अपने संबंधों को समग्र रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाने और सुरक्षा सहयोग को गहरा करने का संकल्प लिया था।
इस वार्ता के माध्यम से भारत और मलेशिया ने अपने द्विपक्षीय संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ा है। दोनों देश अब रक्षा उद्योग में भी सहयोग बढ़ाने की योजना बना रहे हैं।
भारत और मलेशिया के बीच यह पहली सुरक्षा वार्ता दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह वार्ता सुरक्षा क्षेत्र में गहरे सहयोग को बढ़ावा देगी और वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए दोनों देशों की तैयारियों को मजबूत करेगी।
