भारत-नेपाल के बीच व्यापार और सहयोग पर काठमांडू में बैठक, शुल्क और कस्टम ड्यूटी पर होगी चर्चा
“भारत और नेपाल के बीच व्यापार, पारगमन और सहयोग पर अंतर-सरकारी समिति (आईजीसी) की बैठक 9-10 जनवरी को काठमांडू में आयोजित की जा रही है। यह बैठक दोनों देशों के बीच व्यापारिक परियोजनाओं की समीक्षा और सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से की जा रही है। नेपाल के उद्योग, वाणिज्य और आपूर्ति मंत्रालय द्वारा बैठक की तैयारियां की जा रही हैं।”
मुख्य एजेंडा
- भारतीय प्राथमिक कृषि उत्पादों पर शुल्क मुक्त पहुंच की समीक्षा:
- भारतीय कृषि उत्पादों को नेपाल में दी गई शुल्क मुक्त पहुंच की समीक्षा की जाएगी।
- नेपाली उत्पादन को अपने बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए कस्टम ड्यूटी लगाने का प्रस्ताव नेपाल द्वारा किया जा सकता है।
- नेपाली उत्पादों के लिए शुल्क मुक्त निर्यात:
- नेपाल भारत से बड़ी इलायची, चाय, अदरक, और अन्य उत्पादों के लिए निर्यात शुल्क कम करने का अनुरोध करेगा।
- वर्तमान में, भारत अधिकांश नेपाली उत्पादों पर 30% कस्टम ड्यूटी लगाता है। नेपाल इसे घटाकर 20% करने का प्रस्ताव रखेगा।
पारगमन संधि पर चर्चा
भारत, नेपाल का न केवल सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, बल्कि यह तीसरे देशों के व्यापार के लिए प्रवेश द्वार भी है। नेपाल ने ओडिशा के धमरा बंदरगाह और गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह तक अपनी पहुंच सुनिश्चित करने के लिए पारगमन संधि में संशोधन का प्रस्ताव रखा है।
निजी क्षेत्र की चिंताएं
नेपाल के निजी क्षेत्र ने बड़े मुद्दों पर ध्यान देने की मांग की है, जिनमें शामिल हैं:
- जूट उत्पाद, बड़ी इलायची, और चाय पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी।
- क्वारंटाइन और खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं की समस्याएं।
- एकीकृत चेक पोस्ट पर पार्किंग शुल्क।
भारत की भूमिका और नेपाली अनुरोध
भारत नेपाल का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। नेपाल ने धमरा और मुंद्रा बंदरगाहों तक पहुंच के लिए अपनी पारगमन संधि को संशोधित करने की सिफारिश की है। इससे नेपाल को अपने उत्पादों को भारतीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में तेजी से पहुंचाने में मदद मिलेगी।
काठमांडू में आयोजित यह बैठक भारत और नेपाल के बीच व्यापार और सहयोग को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। शुल्क, कस्टम ड्यूटी, और पारगमन से जुड़े मुद्दों पर चर्चा से दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों में नई ऊर्जा आएगी। बैठक में लिए गए फैसले भविष्य में दोनों देशों के व्यापार और आर्थिक सहयोग को और अधिक प्रभावी बनाने में मदद करेंगे।
