भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता वर्तमान में और भविष्य की योजना
“भारत में वर्तमान में कुल विद्युत उत्पादन में परमाणु ऊर्जा का योगदान लगभग 3% है। वर्ष 2024-25 में भारत के परमाणु ऊर्जा संयंत्रों ने 56681 मिलियन यूनिट (MU) बिजली का उत्पादन किया। यह आँकड़ा दर्शाता है कि परमाणु ऊर्जा अब भी सीमित है, लेकिन सरकार ने इसे आने वाले वर्षों में एक सशक्त स्तंभ बनाने का निर्णय लिया है।”
भारत की परमाणु ऊर्जा में सुधार हेतु महत्वाकांक्षी मिशन की घोषणा
भारत सरकार ने वर्ष 2047 तक परमाणु ऊर्जा क्षमता को 100 गीगावाट तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार ने एक व्यापक परमाणु ऊर्जा मिशन शुरू किया है, जिसमें सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों दोनों की भागीदारी को सक्षम करने की दिशा में कदम उठाए गए हैं।
घरेलू उत्पादन और विविध स्रोतों पर जोर
सरकार परमाणु ईंधन के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दे रही है और अंतरराष्ट्रीय स्रोतों से आपूर्ति को भी बढ़ाया जा रहा है। इससे देश में ईंधन की उपलब्धता सुनिश्चित होगी और परमाणु ऊर्जा उत्पादन में स्थिरता आएगी।
SMR और उन्नत तकनीकों का अनुसंधान
भारत की परमाणु ऊर्जा में "Small Modular Reactors" (SMR) और नई तकनीकों का अनुसंधान एवं विकास एक प्रमुख घटक है। SMR तकनीक का उपयोग न केवल लागत कम करेगा, बल्कि रिएक्टरों को अधिक सुरक्षित और लचीला बनाएगा। सरकार इस दिशा में नीतिगत, तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है।
परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों की वर्तमान स्थिति
वर्तमान में देश में कुल 24 परमाणु रिएक्टर परिचालन में हैं, जिनकी कुल स्थापित क्षमता 8780 मेगावाट है। यह क्षमता RAPPS-1 (100 मेगावाट) को छोड़कर मानी गई है जो विस्तारित शटडाउन में है।
वर्ष 2032 तक की विकास योजना
2031-32 तक देश की कुल परमाणु ऊर्जा क्षमता को बढ़ाकर 22380 मेगावाट तक लाने की योजना है। यह विस्तार विकासशील परियोजनाओं और नई तकनीकों पर आधारित रिएक्टरों को चरणबद्ध तरीके से स्थापित करने से होगा।
भारत की ऊर्जा सुरक्षा में परमाणु ऊर्जा का महत्व
भारत की ऊर्जा आवश्यकताएं निरंतर बढ़ रही हैं। कोयला और तेल जैसे पारंपरिक स्त्रोतों पर अत्यधिक निर्भरता से पर्यावरणीय खतरे भी बढ़ते हैं। ऐसे में परमाणु ऊर्जा एक दीर्घकालिक और टिकाऊ समाधान के रूप में उभर रही है।
स्वच्छ और विश्वसनीय ऊर्जा का विकल्प
परमाणु ऊर्जा, कार्बन उत्सर्जन रहित, उच्च दक्षता और दीर्घकालिक उत्पादन क्षमता के कारण स्वच्छ ऊर्जा का सशक्त माध्यम है। यह भारत को जलवायु परिवर्तन से निपटने और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में भी मदद करेगा।
निजी और सार्वजनिक भागीदारी का विस्तार
भारत की परमाणु ऊर्जा विकास में निजी कंपनियों की भूमिका को बढ़ाने के लिए सरकार ने नीतिगत बदलाव किए हैं। इससे परियोजनाओं में पूंजी निवेश, तकनीकी सहयोग और तेज निष्पादन को बढ़ावा मिलेगा।
विदेशी तकनीक और निवेश को भी बढ़ावा
भारत, फ्रांस, रूस, अमेरिका और जापान जैसे देशों के साथ रणनीतिक परमाणु समझौते कर रहा है ताकि उच्च तकनीक और विशेषज्ञता का लाभ उठाया जा सके। इससे परमाणु क्षेत्र में वैश्विक सहयोग को भी बढ़ावा मिलेगा।
नीति निर्माण और विधायी पहल
भारत सरकार द्वारा परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में पारदर्शी नीतियों और त्वरित अनुमोदन प्रक्रियाओं को प्राथमिकता दी जा रही है। इससे नए निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा और परमाणु ऊर्जा मिशन को गति मिलेगी।
अनुसंधान संस्थानों की भूमिका
भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), इंडिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (IGCAR) जैसे संस्थान भारत की परमाणु ऊर्जा में नवाचार और अनुसंधान के प्रमुख केंद्र हैं। इनकी भूमिका SMR और अन्य उन्नत तकनीकों के विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष के बजाय भविष्य की दृष्टि
भारत की परमाणु ऊर्जा योजना केवल एक तकनीकी विस्तार नहीं, बल्कि देश की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक रणनीतिक पहल है। 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा का लक्ष्य न केवल उत्पादन बढ़ाएगा बल्कि भारत को स्वच्छ, सुरक्षित और टिकाऊ ऊर्जा राष्ट्र बनाएगा।
