पाकिस्तान को आतंकवाद पर बेनकाब करेगा भारत का सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल, कश्मीरी पंडितों का मुद्दा भी हो चर्चा में शामिल
“भारत का बड़ा कदम: पाकिस्तान को आतंकवाद पर बेनकाब करने विदेश रवाना हुआ सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल”
भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर बेनकाब करने के लिए एक सशक्त रणनीति अपनाई है। इसी कड़ी में केंद्र सरकार द्वारा गठित सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल का पहला दल बुधवार को विदेश दौरे पर रवाना हुआ है।
यह कदम भारत की विदेश नीति को सशक्त बनाने और पाकिस्तान के आतंकवादी नेटवर्क को वैश्विक मंच पर उजागर करने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
क्या है प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य?
सरकार का लक्ष्य साफ है — दुनिया को यह दिखाना कि:
- पाकिस्तान किस प्रकार से आतंकियों को शरण दे रहा है।
- भारत में हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे सैन्य अभियानों का मकसद केवल आतंकवाद को खत्म करना था।
- भारत आतंक से पीड़ित राष्ट्र है, न कि कोई युद्ध आरंभ करने वाला देश।
कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा का समर्थन और सुझाव
समर्थन
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा:
“यह एक अच्छा प्रयास है। सरकार दुनिया को बताना चाहती है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ क्यों जरूरी था।”
उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के प्रयासों से वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति मजबूत होती है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत के दृष्टिकोण को समझने का अवसर मिलता है।
कश्मीरी पंडितों का मुद्दा भी जोड़ा जाए
सांसद तन्खा ने यह भी सुझाव दिया कि इस प्रतिनिधिमंडल को कश्मीरी पंडितों के विस्थापन और पुनर्वास का मुद्दा भी उठाना चाहिए।
उन्होंने कहा:
“जब तक कश्मीरी पंडितों की घर वापसी नहीं होती, तब तक पाकिस्तान को पूरी तरह परास्त मानना गलत होगा।”
‘ऑपरेशन सिंदूर’ और उसकी वैश्विक प्रस्तुति
‘ऑपरेशन सिंदूर’ हाल ही में हुआ एक सैन्य अभियान है जिसका उद्देश्य सीमापार छिपे आतंकियों को निष्क्रिय करना था। यह दर्शाता है कि भारत आतंक के खिलाफ सिर्फ बयानबाज़ी नहीं कर रहा, बल्कि ठोस कार्रवाई कर रहा है।
इस ऑपरेशन को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करना भारत की छवि को मज़बूत करने वाला कदम है।
क्या संसद का विशेष सत्र आवश्यक था?
विवेक तन्खा ने कहा कि यदि सरकार संसद का विशेष सत्र बुलाकर सभी सदस्यों को इस विषय पर जानकारी देती, तो यह और भी बड़ा संदेश होता।
उनके अनुसार:
“संसद से बढ़कर कोई संदेशवाहक नहीं हो सकता। वहां से निकला हुआ वक्तव्य पूरी दुनिया में गूंजता।”
पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर बेनकाब करना क्यों ज़रूरी है?
1. भारत की सुरक्षा को चुनौती
पाकिस्तान की ओर से लंबे समय से आतंकी समूहों को समर्थन मिलता रहा है। इसके चलते भारत को:
- सीमापार आतंकवाद का सामना करना पड़ता है
- सुरक्षा बलों को अतिरिक्त सतर्क रहना पड़ता है
- कश्मीर घाटी में बार-बार अस्थिरता पैदा होती है
2. वैश्विक सहानुभूति और सहयोग
जब भारत वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को स्पष्ट करता है, तो:
- अन्य देश भारत के साथ खड़े होते हैं
- आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ता है
- पाकिस्तान पर कूटनीतिक दबाव बनता है
कश्मीरी पंडितों का विस्थापन: अब भी एक अनसुलझा सवाल
1989-90 के दौर में कश्मीरी पंडितों को घाटी से भगाया गया था। तब से अब तक:
- हजारों परिवार विस्थापित हैं
- पुनर्वास के वादे अधूरे हैं
- घाटी में असुरक्षा की भावना बनी हुई है
इस विषय पर व्यापक चर्चा और समाधान की पहल अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी उठनी चाहिए।
प्रतिनिधिमंडल की संरचना और कार्यभार
प्रतिनिधिमंडल में विभिन्न राजनीतिक दलों के वरिष्ठ सांसदों को शामिल किया गया है।
इनका उद्देश्य है:
- भारत के पक्ष को स्पष्ट और प्रभावी तरीके से रखना
- आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति का समर्थन जुटाना
- वैश्विक समुदाय को पाकिस्तान की भूमिका से अवगत कराना
ठोस और समावेशी प्रयास की ज़रूरत
पाकिस्तान को आतंकवाद पर बेनकाब करना भारत की सुरक्षा नीति का अहम हिस्सा है। सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का यह दौरा निश्चित रूप से एक बड़ा कूटनीतिक कदम है।
लेकिन इसमें कश्मीरी पंडितों की वापसी, संसद से संवाद और राष्ट्रीय एकता जैसे मुद्दों को भी शामिल किया जाए, तो यह और अधिक प्रभावी और समावेशी कदम साबित होगा।