भारत की ब्लू इकोनॉमी के लिए एक ऐतिहासिक उछाल: नए समुद्री विधेयक
भारत की ब्लू इकोनॉमी के लिए ऐतिहासिक पहल: पांच नए समुद्री विधेयक पारित
"केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने एक बड़ी घोषणा करते हुए कहा है कि संसद के हाल ही में संपन्न मानसून सत्र में पांच प्रमुख समुद्री विधेयक पारित किए गए हैं। ये ऐतिहासिक बिल भारत की ‘ब्लू इकोनॉमी’ को एक नई आधुनिक दिशा प्रदान करेंगे और औपनिवेशिक काल के पुराने समुद्री कानूनों का स्थान लेंगे। इन बिलों का उद्देश्य व्यापारिक दक्षता बढ़ाना, वैश्विक मानकों के साथ तालमेल बिठाना और देश की समुद्री अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है।"
पारित किए गए पांच प्रमुख विधेयक
ये पांच नए बिल निम्नलिखित हैं:
बिल्स ऑफ लैडिंग,
2025:यह विधेयक कानूनी दस्तावेजों को सरल बनाने पर केंद्रित है, ताकि व्यापार में आसानी हो और विवादों को कम किया जा सके।
समुद्री माल ढुलाई विधेयक,
2025:यह
1925के अधिनियम का स्थान लेगा और मुकदमेबाजी कम करने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करेगा।
व्यापारिक पोत परिवहन विधेयक,
2025:यह
1958के पुराने अधिनियम में संशोधन करता है, जिससे सुरक्षित और टिकाऊ शिपिंग सुनिश्चित होती है।
तटीय नौवहन विधेयक,
2025:यह तटीय नौवहन के लिए एक समर्पित कानून है, जिसका लक्ष्य लॉजिस्टिक्स लागत में कमी लाना और प्रदूषण को कम करना है।
भारतीय बंदरगाह विधेयक,
2025:यह
1908के कानून का स्थान लेता है और बंदरगाहों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाने पर केंद्रित है।
ब्लू इकोनॉमी को मिलेगा बढ़ावा
केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने सोशल मीडिया पर जानकारी साझा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत औपनिवेशिक काल के कानूनों को त्याग रहा है और अपनी ब्लू इकोनॉमी के लिए एक आधुनिक मार्ग तैयार कर रहा है। इन विधेयकों के पारित होने से देश की समुद्री यात्रा में एक नया अध्याय जुड़ेगा, जिससे व्यापार बढ़ेगा और रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।
नए बिलों के प्रमुख लाभ
- तटीय नौवहन विधेयक, 2025 से लॉजिस्टिक्स लागत में सालाना लगभग 10,000 करोड़ रुपए की बचत होने का अनुमान है।
- भारतीय बंदरगाह विधेयक, 2025 से डिजिटल एकीकरण को बढ़ावा मिलेगा और पारदर्शिता बढ़ेगी।
- व्यापारिक पोत परिवहन विधेयक, 2025 नाविक कल्याण और जहाज सुरक्षा पर केंद्रित है, जो पर्यावरण संरक्षण में भी मददगार साबित होगा।
इन कदमों से भारत की ब्लू इकोनॉमी न केवल मजबूत होगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी देश की प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। यह समुद्री क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव साबित होगा और आने वाले वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।