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राष्ट्रपति मुर्मु को मिला ‘सिटी की ऑफ ऑनर’, भारत-पुर्तगाल संबंधों में आई नई मजबूती

“राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन में आयोजित एक विशेष समारोह के दौरान ‘सिटी की ऑफ ऑनर’ से सम्मानित किया गया। यह सम्मान लिस्बन के मेयर द्वारा प्रदान किया गया और यह भारत-पुर्तगाल संबंधों में गहराई का प्रतीक माना जा रहा है।”

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने लिस्बन शहर के खुले विचारों, सांस्कृतिक समृद्धता और विविधता को सम्मान देने की भावना की सराहना की। उन्होंने कहा कि लिस्बन तकनीकी नवाचार, डिजिटल बदलाव और सार्वजनिक अवसंरचना के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है और भारत ऐसे क्षेत्रों में सहयोग को लेकर आशान्वित है।

भारत-पुर्तगाल संबंधों का ऐतिहासिक संदर्भ

भारत और पुर्तगाल के बीच सांस्कृतिक संबंध सदियों पुराने हैं। राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि इन संबंधों की झलक हमारी वास्तुकला, ऐतिहासिक धरोहरों, भाषा और यहां तक कि खानपान में भी मिलती है।

द्विपक्षीय संबंधों के 50 वर्ष: एक नई शुरुआत

राष्ट्रपति ने कहा कि यह वर्ष विशेष है क्योंकि भारत और पुर्तगाल के कूटनीतिक संबंधों की स्थापना को 50 साल पूरे हो रहे हैं। यह साझेदारी अब विज्ञान, प्रौद्योगिकी, रक्षा, स्टार्टअप, शिक्षा और संस्कृति जैसे विविध क्षेत्रों में आगे बढ़ रही है।

ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में साझेदारी

भारत अब एक ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहा है। राष्ट्रपति मुर्मु ने बताया कि भारत डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, इनोवेशन, स्टार्टअप और आईटी के क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत, पुर्तगाल को इस विकास यात्रा में एक विश्वसनीय सहयोगी के रूप में देखता है।

यूरोपीय संघ में पुर्तगाल की भूमिका

राष्ट्रपति ने यूरोपीय संघ के साथ भारत के संबंधों को सुदृढ़ बनाने में पुर्तगाल की भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि वर्ष 2000 और 2021 के भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलनों की मेजबानी पुर्तगाल ने की थी, जो दोनों देशों के बीच विश्वास को दर्शाता है।

राष्ट्रपति के सम्मान में भोज

पुर्तगाल के राष्ट्रपति मार्सेलो रेबेलो डी सूसा द्वारा राष्ट्रपति मुर्मु के सम्मान में पलासियो दा अजुडा में आयोजित भोज में दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग पर गहन चर्चा की।

आगे का रास्ता: सहयोग और समृद्धि

राष्ट्रपति मुर्मु ने विश्वास जताया कि भारत-पुर्तगाल संबंध आने वाले समय में और प्रगाढ़ होंगे। यह न केवल दोनों देशों के नागरिकों के लिए बल्कि वैश्विक शांति और विकास के लिए भी लाभकारी सिद्ध हो सकता है।

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