भारत वैश्विक व्यापार चुनौतियों से निपटने को तैयार, नीति और निवेश से बनेगा मजबूत भागीदार: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
वैश्विक व्यापार चुनौतियों से नीति और निवेश के जरिए निपटेगा भारत: वित्त मंत्री सीतारमण
मुंबई | अप्रैल 2025:"केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि भारत वैश्विक व्यापार चुनौतियों का सामना करने के लिए नीति स्थिरता, नवाचार और दीर्घकालिक निवेश के रास्ते पर पूरी तरह से तैयार है।
वे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के 150वें वर्षगांठ समारोह को संबोधित कर रही थीं।"
शुल्क युद्ध और संरक्षणवाद से बढ़ी हैं वैश्विक बाधाएं
वित्त मंत्री ने कहा कि वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में:
- टैरिफ वॉर (शुल्क युद्ध)
- प्रोटेक्शनिज्म (संरक्षणवाद)
- और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान
के चलते विश्व व्यापार में अनिश्चितता और निवेश में संकोच देखा जा रहा है। लेकिन भारत ने स्थिर नीतियों और मजबूत आर्थिक व्यवस्था के जरिए खुद को अलग साबित किया है।
निवेशकों को भरोसा, बाजार में स्थिरता
सीतारमण ने कहा:
“हमारे निवेशक भारत की विकास गाथा पर भरोसा करते हैं। हमारी नीतियों में स्थिरता, पारदर्शिता और सुधार की प्रवृत्ति है।”
उन्होंने कहा कि भारत में:
- नवाचार को प्रोत्साहन
- शासन में पारदर्शिता
- और विकासोन्मुख सोच
निवेशकों को आकर्षित कर रही है। खुदरा निवेशकों की बढ़ती भागीदारी इसका प्रमाण है।
वैश्विक आर्थिक अस्थिरता के बीच भारत का प्रदर्शन बेहतर
उन्होंने बताया कि:
- अमेरिका की टैरिफ नीति से कई देशों के शेयर बाजार प्रभावित हुए,
- लेकिन भारत का शेयर बाजार तुलनात्मक रूप से स्थिर रहा है।
- इससे यह साफ होता है कि भारत की आर्थिक नींव मजबूत और निवेश के लिए सुरक्षित है।
भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की बातचीत जारी
सीतारमण ने यह भी बताया कि:
- भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है।
- अमेरिका ने 90 दिनों के लिए नए टैरिफ रोक दिए हैं।
- इस दौरान दोनों देश समझौते के पहले चरण को अंतिम रूप देने की उम्मीद कर रहे हैं।
वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल के अनुसार:
“भारत ने अमेरिका के साथ बाजार को और खोलने का निर्णय लिया है, जिससे दोनों देशों को लाभ होगा।”
समझौते की स्थिति: अंतिम चरण में
वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया:
- समझौते के अधिकांश मुद्दों पर सहमति बन चुकी है
- अंतिम बातचीत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से की जा रही है
- जरूरत पड़ी तो प्रत्यक्ष मुलाकात भी हो सकती है
यह समझौता 2025 से पहले पूरा हो सकता है, जो भारत के लिए एक बड़ा कूटनीतिक और व्यापारिक लाभ होगा।
