भारत सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की राह पर, निवेश और साझेदारियों से नई रफ्तार
भारत सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग: नई दिशा में कदम
“भारत अब केवल उपभोक्ता नहीं बल्कि सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की राह पर है। बड़े निवेश, रणनीतिक साझेदारियों और सरकारी योजनाओं के दम पर देश अब वैश्विक चिप सप्लाई चेन में अपनी मजबूत हिस्सेदारी सुनिश्चित कर रहा है। इंडिया नैरेटिव की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 2024-25 में जहां 45-50 बिलियन डॉलर का है, वहीं 2030 तक इसके 100-110 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।”
सरकारी योजनाओं से मिली ताकत
भारत सरकार ने सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं।
- सेमीकंडक्टर फैब्स स्कीम और डिस्प्ले फैब्स स्कीम – परियोजनाओं के लिए 50% तक वित्तीय सहायता।
- कंपाउंड सेमीकंडक्टर और एटीएमपी/ओएसएटी स्कीम – मैन्युफैक्चरिंग और असेंबली को प्रोत्साहन।
- डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव (DLI) स्कीम – प्रत्येक चिप डिजाइन स्टार्टअप या MSME को 15 करोड़ रुपये तक का प्रोत्साहन। अब तक 22 चिप डिजाइन प्रोजेक्ट्स को फंड किया जा चुका है।
ये योजनाएं इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत चल रहे इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन
(ISM) का हिस्सा हैं।
नई परियोजनाएं और राज्यों की भागीदारी
भारत सरकार ने हाल ही में ओडिशा, पंजाब और आंध्र प्रदेश में चार नई सेमीकंडक्टर परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इसके साथ ही अब तक स्वीकृत परियोजनाओं की संख्या
10 हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने
79वें स्वतंत्रता दिवस पर घोषणा की थी कि
2025 के अंत तक भारत में निर्मित सेमीकंडक्टर चिप्स बाजार में उपलब्ध होंगे। यह घोषणा भारत को आत्मनिर्भर बनाने और आयात पर निर्भरता घटाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
उद्योग जगत की दिग्गज कंपनियां भारत में
भारत सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में निवेश आकर्षित कर रहा है।
- टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स गुजरात में बड़े स्तर पर निवेश कर रही है।
- माइक्रोन टेक्नोलॉजी ने उत्तर प्रदेश में अपनी परियोजना शुरू की है।
- फॉक्सकॉन असम में मैन्युफैक्चरिंग हब स्थापित कर रही है।
इन निवेशों से न केवल भारत की तकनीकी क्षमता बढ़ेगी बल्कि रोजगार सृजन में भी तेजी आएगी।
सेमीकॉन इंडिया प्रदर्शनी 2025
आगामी सेमीकॉन इंडिया प्रदर्शनी
2025 भारत की स्थिति को और मजबूत करेगी।
- इस प्रदर्शनी में 18 देशों के 300 से ज्यादा प्रदर्शक शामिल होंगे।
- इससे भारत को एक वैश्विक सेमीकंडक्टर गंतव्य के रूप में पहचान मिलेगी।
वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की अहमियत
आज सेमीकंडक्टर उद्योग कुछ ही देशों जैसे ताइवान, दक्षिण कोरिया, जापान, चीन और अमेरिका के नियंत्रण में है।
- हाल के वर्षों में वैश्विक सप्लाई चेन में व्यवधान ने यह साबित कर दिया कि किसी एक देश या क्षेत्र पर अत्यधिक निर्भरता जोखिमपूर्ण है।
- इस स्थिति ने भारत को आपूर्ति श्रृंखला विविधीकरण में निवेश करने और वैश्विक कंपनियों के लिए सुरक्षित गंतव्य बनने का अवसर दिया है।
सेमीकंडक्टर उद्योग: भारत की रणनीतिक मजबूती
सेमीकंडक्टर केवल एक तकनीकी उद्योग नहीं है, बल्कि यह भारत की आर्थिक सुरक्षा और रणनीतिक स्वायत्तता से भी जुड़ा हुआ है।
- यह उद्योग संचार, स्वास्थ्य, परिवहन, रक्षा और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों का आधार है।
- भारत में चिप्स का उत्पादन शुरू होने से राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूती मिलेगी।
- घरेलू मैन्युफैक्चरिंग से आयात पर निर्भरता घटेगी और भारत वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी हब के रूप में उभरेगा।
रोजगार और आर्थिक विकास
सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में आने वाले निवेश से लाखों नए रोजगार पैदा होंगे।
- विशेषज्ञ मानते हैं कि 2030 तक यह उद्योग भारत के GDP में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
- तकनीकी नौकरियों के साथ-साथ सप्लाई चेन, लॉजिस्टिक्स और रिसर्च में भी नए अवसर बनेंगे।
भारत सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में तेजी से उभर रहा है।
- बड़े निवेश, सरकारी प्रोत्साहन और वैश्विक कंपनियों की साझेदारी से यह उद्योग आने वाले वर्षों में भारत की आर्थिक और रणनीतिक ताकत बनेगा।
- 2030 तक भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
- यह केवल तकनीकी विकास नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत 2047 की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।