भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 2030 तक 100 अरब डॉलर पार करेगा: चिप क्रांति की ओर बढ़ता राष्ट्र
भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 2030 तक 100 अरब डॉलर पार करेगा: चिप क्रांति की ओर बढ़ता राष्ट्र
“भारत, जो अब तक सेमीकंडक्टर जैसे हाई-टेक उत्पादों के लिए आयात पर निर्भर था, आज विश्व के प्रमुख चिप हब के रूप में उभरने की दिशा में मजबूती से कदम बढ़ा रहा है। केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 2030 तक 100-110 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। यह उपलब्धि केवल आर्थिक नहीं, बल्कि तकनीकी आत्मनिर्भरता, राष्ट्रीय सुरक्षा, और डिजिटल अर्थव्यवस्था को नया आयाम देने वाली साबित होगी।”
वैश्विक मांग और भारत की भूमिका
वर्तमान में सेमीकंडक्टर चिप की वैश्विक मांग चरम पर है, लेकिन उत्पादन कुछ सीमित देशों—जैसे ताइवान, दक्षिण कोरिया और अमेरिका—तक सीमित है। इस एकदेशीय निर्भरता ने कोविड-19 और रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की कमजोरी को उजागर किया। भारत ने इस चुनौती को अवसर में बदलते हुए ‘भारत सेमीकंडक्टर मिशन’ (ISM) और ‘सेमीकॉन इंडिया प्रोग्राम’ जैसी योजनाएं लागू कीं। इन पहलों का लक्ष्य भारत को एक विश्वसनीय और आत्मनिर्भर सेमीकंडक्टर विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करना है।
क्या है सेमीकंडक्टर चिप?
सेमीकंडक्टर चिप वह छोटी सी तकनीकी इकाई है जो आपके स्मार्टफोन, कंप्यूटर, टीवी, उपग्रह, ड्रोन, रक्षा प्रणाली और यहां तक कि चंद्रयान जैसी परियोजनाओं की “मस्तिष्क” के रूप में काम करती है। इन चिप्स में लाखों-करोड़ों ट्रांजिस्टर और अन्य सूक्ष्म घटक होते हैं जो डेटा प्रोसेसिंग, स्टोरेज और ट्रांसमिशन को संभालते हैं। यह आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स की रीढ़ की हड्डी मानी जाती है।
भारत की सेमीकंडक्टर क्रांति की शुरुआत
2021 में भारत सरकार ने ₹
76,000 करोड़ के परिव्यय से इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन
(ISM) को मंजूरी दी। इस मिशन के अंतर्गत भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण, डिज़ाइन और अनुसंधान को प्रोत्साहन देने के लिए व्यापक पारिस्थितिकी तंत्र तैयार किया जा रहा है।
ISM का उद्देश्य भारत को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स और चिप डिज़ाइन हब बनाना है।
सेमीकंडक्टर डिज़ाइन में भारत की बड़ी छलांग
2025 में, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने नोएडा और बेंगलुरु में भारत के पहले
3-नैनोमीटर सेमीकंडक्टर डिज़ाइन केंद्रों का उद्घाटन किया। इससे पहले, भारत ने
7nm और
5nm तकनीकों में डिज़ाइनिंग की थी।
3nm तकनीक भविष्य की अत्याधुनिक तकनीकी आवश्यकता को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
सेमीकॉन इंडिया प्रोग्राम और वैश्विक भागीदारी
भारत सरकार की पहल ‘सेमीकॉन इंडिया’ कार्यक्रम,
ISM के तहत आयोजित किया जाता है। इसके अब तक तीन सफल संस्करण आयोजित हो चुके हैं—
2022 (बैंगलोर),
2023 (गांधीनगर), और
2024 (ग्रेटर नोएडा)। चौथा संस्करण
2-4 सितंबर
2025 को नई दिल्ली के यशोभूमि
(IICC) में आयोजित होगा। इस कार्यक्रम में वैश्विक तकनीकी कंपनियाँ, नीति निर्माता, शिक्षाविद और स्टार्टअप एक साथ मिलकर भारत की चिप क्रांति को गति देंगे।
भारत में हो रहे सेमीकंडक्टर के प्रमुख विकास
- एचसीएल और फॉक्सकॉन के संयुक्त उपक्रम को नया सेमीकंडक्टर संयंत्र स्थापित करने की स्वीकृति मिली।
- भारत की पहली स्वदेशी सेमीकंडक्टर चिप 2025 में उत्पादन के लिए तैयार होगी।
- सरकार ने 85,000 इंजीनियरों को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य रखा है।
- मध्य प्रदेश में ₹150 करोड़ के निवेश से अत्याधुनिक आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग केंद्र की स्थापना।
- स्टार्टअप नेत्रसेमी को सरकार की चिप डिज़ाइन योजना के तहत ₹107 करोड़ का निवेश मिला।
भारत की सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला में क्षमता
भारत तीन प्रमुख क्षेत्रों में सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला में अग्रणी बनने की क्षमता रखता है:
- उपकरण (Equipment): MSMEs के माध्यम से निर्माण उपकरणों के पार्ट्स में उत्पादन क्षमता।
- सामग्री (Materials): आवश्यक गैस, रसायन और खनिजों का स्वदेशी स्रोत।
- सेवाएं (Services): डिज़ाइन, R&D, क्लाउड, AI, लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन प्रबंधन में कुशल प्रतिभा।
वैश्विक साझेदारियाँ और रणनीतिक समझौते
- लैम रिसर्च और IISc: सेमीवर्स प्लेटफ़ॉर्म से 60,000 इंजीनियरों को प्रशिक्षित करेंगे।
- माइक्रोन और IIT रुड़की: चिप नवाचार और कार्यबल निर्माण पर साझेदारी।
- IBM: छात्रों को उच्च प्रयोगशालाओं, इंटर्नशिप और R&D में अवसर।
- Purdue University: उन्नत अनुसंधान और व्यावसायीकरण को बढ़ावा देने के लिए सहयोग।
सेमीकंडक्टर उद्योग क्यों है इतना महत्वपूर्ण?
- स्वास्थ्य, रक्षा, अंतरिक्ष, परिवहन, संचार—हर क्षेत्र से जुड़ा।
- चिप की कमी से 2020-2022 में वैश्विक कार उत्पादन और मोबाइल निर्माण बाधित हुआ।
- डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के विजन में सेमीकंडक्टर मुख्य भूमिका निभाएगा।
“भारत सेमीकंडक्टर बाजार केवल आर्थिक विकास की कहानी नहीं है, यह भारत के प्रौद्योगिकीय आत्मनिर्भरता की भी कहानी है। आने वाले वर्षों में, भारत वैश्विक सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र में निवेशक, निर्माता और नवप्रवर्तक के रूप में अपनी मजबूत स्थिति बनाएगा। 2030 तक 100 अरब डॉलर से अधिक के बाजार और दुनिया की सबसे तेज़ी से विकसित हो रही डिज़ाइन क्षमताओं के साथ, भारत अब सिर्फ उपभोक्ता नहीं, बल्कि सेमीकंडक्टर क्रांति का नेतृत्वकर्ता बनने की ओर अग्रसर है।”