राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का पुर्तगाल और स्लोवाकिया दौरा: भारत-स्लोवाक सांस्कृतिक रिश्तों को मिली नई मजबूती
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की विदेश यात्रा से भारत-स्लोवाक सांस्कृतिक रिश्तों को नई दिशा
“नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु हाल ही में पुर्तगाल और स्लोवाकिया के चार दिवसीय राजकीय दौरे के बाद भारत लौटीं। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य भारत के द्विपक्षीय और सांस्कृतिक संबंधों को सुदृढ़ करना था।”
इस दौरे के दौरान राष्ट्रपति मुर्मु ने पुर्तगाल और स्लोवाकिया के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की और आपसी सहयोग के कई अहम मुद्दों पर विचार-विमर्श किया।
पुर्तगाल में सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर जोर
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने पुर्तगाल में कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। उन्होंने भारत और पुर्तगाल के सांस्कृतिक संबंधों की सराहना की और इन संबंधों को और मजबूत बनाने की प्रतिबद्धता जताई। पुर्तगाल में भारतीय समुदाय से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय परंपराएं जैसे योग, आयुर्वेद और भारतीय खानपान स्थानीय लोगों में काफी लोकप्रिय हैं।
स्लोवाकिया दौरा: 29 वर्षों में पहली राष्ट्रपति यात्रा
स्लोवाकिया की राजधानी ब्रातिस्लावा में राष्ट्रपति मुर्मु ने स्लोवाकिया के राष्ट्रपति पीटर पेलेग्रीनी के साथ बैठक की। यह यात्रा इसलिए भी ऐतिहासिक मानी जा रही है क्योंकि 29 वर्षों में यह पहली बार है जब कोई भारतीय राष्ट्रपति स्लोवाकिया की यात्रा पर गया।
इस यात्रा के दौरान, उन्होंने कॉन्स्टैंटाइन द फिलॉसफर यूनिवर्सिटी से ‘डॉक्टरेट ऑनोरिस कॉसा’ की मानद उपाधि भी प्राप्त की।
भारत-स्लोवाक सांस्कृतिक रिश्ते की पहचान
ब्रातिस्लावा में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि भारत की परंपराएं स्लोवाक जनता में लोकप्रिय हो रही हैं। उन्होंने कहा,
“यह जानकर संतोष होता है कि हमारी परंपराएं जैसे योग, आयुर्वेद और भारतीय खानपान को स्लोवाक लोग अपनाते जा रहे हैं। यह दोनों देशों के बीच मजबूत होते सांस्कृतिक रिश्तों का प्रमाण है।”
भारतीय समुदाय की भूमिका
राष्ट्रपति ने भारतीय प्रवासी समुदाय की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने भारत की छवि को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने भारतीयों को देश के विकास में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया और भारत की प्रगति को समावेशी बताया जिससे हर वर्ग को लाभ पहुंचा है।
विदेश मंत्रालय का संदेश
विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर राष्ट्रपति मुर्मु की यात्रा को “भारत-स्लोवाकिया के रिश्तों की जीवंत कड़ी” कहा। मंत्रालय के अनुसार, यह दौरा दोनों देशों के रिश्तों में एक नया अध्याय जोड़ने वाला है।
भारत-स्लोवाक सांस्कृतिक रिश्ते: भविष्य की संभावनाएं
भारत और स्लोवाकिया के बीच सांस्कृतिक रिश्ते न केवल साझा परंपराओं से जुड़े हैं बल्कि शिक्षा, विज्ञान और तकनीकी सहयोग के जरिए भी आगे बढ़ रहे हैं। इस यात्रा के दौरान राष्ट्रपति मुर्मु ने उच्च शिक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्राथमिकता देने की बात कही।
सांस्कृतिक संबंधों को कैसे बढ़ावा मिल रहा है?
- योग और आयुर्वेद: स्लोवाकिया में भारतीय योग संस्थानों और आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्रों की बढ़ती संख्या इस बात का प्रमाण है कि वहां भारत की पारंपरिक पद्धतियां लोकप्रिय हो रही हैं।
- भोजन और भाषा: भारतीय व्यंजन स्लोवाक रेस्तरां में जगह बना रहे हैं और हिंदी भाषा सीखने की रुचि भी युवाओं में बढ़ रही है।
- छात्र आदान-प्रदान कार्यक्रम: विश्वविद्यालय स्तर पर छात्र व शिक्षक विनिमय कार्यक्रम भी सांस्कृतिक संपर्क को और प्रगाढ़ बना रहे हैं।