भारत की रणनीतिक सूझबूझ की तारीफ: अफगान नेता ने सराहा भारत का रवैया
"भारत की रणनीतिक सूझबूझ अब केवल घरेलू चर्चा का विषय नहीं रही, बल्कि वैश्विक मंच पर सराही जा रही है। अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति द्वारा की गई यह टिप्पणी भारत के लिए एक कूटनीतिक जीत मानी जा सकती है। इससे भारत की नीतिगत मजबूती, कूटनीतिक समझदारी और क्षेत्रीय संतुलन में भूमिका की पुष्टि होती है।"
अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति का बयान आया सामने
हाल ही में अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने भारत के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया। उन्होंने एक साक्षात्कार के दौरान कहा कि भारत अपने दुश्मनों से बेहद रणनीतिक और समझदारी भरे तरीके से निपट रहा है। उनका यह बयान भारत की विदेश नीति और रक्षा रणनीति की गहराई को दर्शाता है।
भारत की रणनीतिक सूझबूझ ने वैश्विक ध्यान खींचा
भारत की रणनीतिक सूझबूझ आज वैश्विक मंच पर चर्चा का विषय बन चुकी है। चाहे वह सीमा पर तनाव हो या वैश्विक मंच पर कूटनीतिक दांव, भारत ने हर परिस्थिति में संयम और सोच-समझ के साथ काम लिया है। अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति का यह बयान इसी अंतरराष्ट्रीय मान्यता का एक और प्रमाण है।
दक्षिण एशिया में बदलते समीकरण
दक्षिण एशियाई क्षेत्र में राजनीतिक और सैन्य समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। भारत ने हमेशा क्षेत्रीय स्थिरता को प्राथमिकता दी है। पाकिस्तान के साथ विवाद, चीन के साथ सीमा विवाद, और अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता—इन सभी मुद्दों पर भारत ने संतुलित दृष्टिकोण अपनाया है। अमरुल्लाह सालेह ने इस नीतिगत परिपक्वता की प्रशंसा की।
अमरुल्लाह सालेह कौन हैं और उनका दृष्टिकोण क्यों मायने रखता है?
अमरुल्लाह सालेह अफगानिस्तान की खुफिया एजेंसी NDS के प्रमुख और फिर उपराष्ट्रपति रहे हैं। तालिबान के विरोधी और भारत समर्थक माने जाने वाले सालेह का बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वे भारत की आतंकवाद विरोधी नीति और पाकिस्तान पर रुख से अच्छी तरह परिचित हैं। उनका यह कहना कि "भारत बड़े धैर्य और रणनीतिक तरीके से अपने दुश्मनों को संभाल रहा है", एक गंभीर टिप्पणी है।
भारत की विदेश नीति और सुरक्षा रणनीति में संतुलन
भारत की विदेश नीति का मूल मंत्र ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ रहा है। हालांकि, जब राष्ट्रीय सुरक्षा की बात आती है, भारत ने कभी भी अपनी संप्रभुता से समझौता नहीं किया। आतंकवाद, सीमा विवाद, या रणनीतिक साझेदारियों में भारत ने हमेशा मजबूती दिखाई है। पुलवामा हमले के बाद की सर्जिकल स्ट्राइक इसका उदाहरण हैं।
भारत की रणनीतिक सूझबूझ और पाकिस्तान
अमरुल्लाह सालेह के बयान का एक संकेत पाकिस्तान की ओर भी माना जा रहा है। भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध हमेशा तनावपूर्ण रहे हैं, खासकर जम्मू-कश्मीर मुद्दे को लेकर। भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की नीति को उजागर किया है, लेकिन किसी भी प्रकार की सीधी उकसावे की कार्यवाही से दूरी बनाए रखी है।
चीन के साथ रिश्तों में भी सूझबूझ
लद्दाख सीमा पर चीन के साथ तनातनी में भी भारत ने संयम बरता। गलवान घाटी की झड़प के बाद भी भारत ने सैन्य और कूटनीतिक दोनों मार्गों को अपनाया। यह वही रणनीतिक सूझबूझ है जिसकी चर्चा अफगान नेता कर रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की छवि
भारत अब सिर्फ क्षेत्रीय शक्ति नहीं बल्कि वैश्विक कूटनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। चाहे वह G20 की अध्यक्षता हो या BRICS और SCO में सक्रिय भागीदारी, भारत की रणनीति ने उसे सम्मान दिलाया
भारत की रणनीति का भविष्य में असर
भारत की यह रणनीतिक सोच उसे भविष्य में भी मजबूत स्थिति में बनाए रखेगी। अफगानिस्तान जैसे देशों के नेताओं का समर्थन यह दर्शाता है कि भारत का कूटनीतिक रास्ता न केवल सफल है, बल्कि प्रशंसनीय भी है। यह उस नीति का परिणाम है जिसमें शक्ति और संयम दोनों का संतुलन है।
