भारत की जल कूटनीति ने पाकिस्तान को किया पस्त
"भारत की नई जल नीति और ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के लिए हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं। जहां पहले पाकिस्तान सीजफायर के लिए भीख मांग रहा था, वहीं अब वह सिंधु जल संधि की बहाली के लिए बार-बार पत्र लिख रहा है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रो रहा है। भारत के इस रणनीतिक कदम ने उसकी जल-आपूर्ति पर गहरा असर डाला है।"
सिंधु जल संधि की पृष्ठभूमि और भारत की उदारता
1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई थी। इस संधि के तहत:
- भारत को रावी, ब्यास और सतलुज (पूर्वी नदियां) का पूर्ण नियंत्रण मिला।
- पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब (पश्चिमी नदियां) का जल उपलब्ध कराया गया।
भारत ने यह संधि 4 युद्धों और हजारों आतंकवादी हमलों के बावजूद निभाई, लेकिन अब भारत की जल कूटनीति ने सब बदल दिया है। भारत अब उसी भाषा में जवाब दे रहा है, जिसे पाकिस्तान समझता है।
ऑपरेशन सिंदूर और जल नीति की सख्ती
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आत्मघाती हमले में 26 नागरिकों की जान चली गई। इसके बाद भारत ने सीमा पार ऑपरेशन सिंदूर चलाया और साथ ही सिंधु जल संधि को स्थगित करने का बड़ा कदम उठाया। यह एक निर्णायक मोड़ था जहाँ भारत ने सैन्य और कूटनीतिक दोनों मोर्चों पर आक्रामक रुख अपनाया।
पाकिस्तान की गुहार और अंतरराष्ट्रीय मंच पर मिन्नतें
भारत की इस जल नीति से इस्लामाबाद में खलबली मच गई है। पाकिस्तान अब तक भारत को चार पत्र भेज चुका है और संधि की बहाली की मांग कर चुका है। यही नहीं, बिलावल भुट्टो के नेतृत्व में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल अमेरिका और ब्रिटेन तक गुहार लगाने गया। खुर्रम दस्तगीर, एक पाकिस्तानी सांसद, ने अमेरिका में कहा कि "यह पाकिस्तान के अस्तित्व का सवाल है। 24 करोड़ लोगों की आजीविका संकट में है।"
भारत का स्पष्ट संदेश: आतंकवाद और वार्ता साथ नहीं चल सकते
भारत ने दो टूक शब्दों में कह दिया है – जब तक सीमा पार आतंकवाद पर ठोस कार्रवाई नहीं होती, तब तक सिंधु जल संधि पर कोई चर्चा नहीं होगी। यह नया भारत है, जो अब न केवल करुणामय है, बल्कि कठोर भी है, और जो संप्रभुता से कोई समझौता नहीं करता।
विश्व बैंक और अमेरिका की भूमिका सीमित
भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सिंधु जल संधि द्विपक्षीय समझौता है। अमेरिका या विश्व बैंक की भूमिका सीमित और तकनीकी है। भारत किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को मान्यता नहीं देता, और यह रुख अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भी अब स्वीकार्य हो रहा है।
जल संकट की तरफ बढ़ता पाकिस्तान
भारत के इस सख्त कदम से पाकिस्तान की सिंचाई योजनाएं, जल भंडारण और विद्युत परियोजनाएं गंभीर संकट में आ गई हैं। भविष्य में सूखा, फसलें खराब होना और बिजली संकट जैसे मुद्दे सामने आ सकते हैं।
भारत की नई रणनीति – हर मोर्चे पर जवाब
भारत ने अब रणनीति बदल दी है:
- जहां पहले हमले के बाद कूटनीतिक मौन था, अब सीमा पार कार्रवाई होती है।
- जहां पहले जल संधि कायम रही, अब उसे रणनीतिक हथियार बनाया गया है।
अब भारत न सिर्फ़ सेना से, बल्कि जल कूटनीति से भी जवाब देता है।
"भारत की जल कूटनीति ने यह दिखा दिया है कि अब देश अपनी संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं करेगा। पाकिस्तान के लिए यह स्पष्ट संकेत है कि या तो वह आतंक का रास्ता छोड़े और वार्ता की राह चुने, या फिर जल संकट और अंतरराष्ट्रीय अलगाव का सामना करे।"
