भारत पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध
"भारत ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि वह पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता स्थापित करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। सयुंक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पार्वथनेनी हरीश ने फिलिस्तीन पर हुई एक बहस में इस बात को दोहराया। उन्होंने कहा कि भारत सभी संबंधित पक्षों के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है ताकि इस क्षेत्र में स्थायी समाधान मिल सके।"
भारत का संतुलित दृष्टिकोण: इजरायल और फिलिस्तीन दोनों से अच्छे संबंध
भारत दुनिया के उन कुछ देशों में शामिल है जिनके इजरायल और फिलिस्तीन दोनों से अच्छे संबंध हैं। भारत का यह संतुलित दृष्टिकोण उसे एक महत्वपूर्ण मध्यस्थ बनाता है। पार्वथनेनी हरीश ने कहा कि भारत ने 7 अक्टूबर 2023 के आतंकवादी हमलों की निंदा की थी और उसके बाद इजरायल द्वारा शुरू किए गए जवाबी अभियान से उत्पन्न मानवीय संकट पर भी चिंता जताई।
आतंकवाद का कोई औचित्य नहीं: भारत का स्पष्ट संदेश
भारत ने दो टूक कहा है कि आतंकवाद किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है, चाहे उसकी कोई भी वजह हो। इसका समाधान केवल संवाद और शांतिपूर्ण तरीकों से ही संभव है। भारत ने इस बात पर बल दिया है कि नागरिक, खासतौर पर महिलाएं और बच्चे, किसी भी संघर्ष में सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।
युद्धविराम और बंधकों की रिहाई की मांग
भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि वह गाजा संघर्ष को समाप्त करने के लिए सभी पक्षों से युद्धविराम की मांग करता है। साथ ही, भारत ने बंधकों की रिहाई की आवश्यकता को भी दोहराया है। यह आग्रह इसलिए जरूरी है क्योंकि संघर्ष में फंसे आम नागरिकों को सुरक्षित रास्ता देना सबसे बड़ी प्राथमिकता है।
शांति के लिए संवाद ही एकमात्र रास्ता
भारत ने साफ तौर पर कहा कि इस संघर्ष का स्थायी समाधान केवल संवाद और कूटनीति से ही निकल सकता है। पार्वथनेनी हरीश ने कहा कि इजरायल और फिलिस्तीन दोनों को एक साथ संप्रभु राष्ट्र के रूप में रहने का अधिकार है, और द्वि-राज्य समाधान ही इस दिशा में एकमात्र व्यावहारिक रास्ता है।
भारत की भूमिका: मध्यस्थ और मित्र
भारत ने हमेशा यह कोशिश की है कि वह संघर्षरत देशों के बीच संवाद को बढ़ावा दे। उसकी विदेश नीति का मूल मंत्र ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ है, जिसका अर्थ है – पूरा विश्व एक परिवार है। इसी सोच के आधार पर भारत ने पश्चिम एशिया में लगातार शांति की पहल की है।
वैश्विक समर्थन और क्षेत्रीय स्थिरता की आवश्यकता
भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी अपील की है कि वह इस संघर्ष को खत्म करने के लिए एकजुट प्रयास करें। पार्वथनेनी हरीश ने कहा कि जब तक क्षेत्र में शांति नहीं आती, तब तक विकास और स्थिरता की बात अधूरी है।
भारत का वैश्विक दायित्व और नैतिक नेतृत्व
भारत न केवल एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति है, बल्कि वह अपने नैतिक और मानवीय मूल्यों को भी पूरी तरह निभा रहा है। भारत की यह प्रतिबद्धता पश्चिम एशिया में एक सकारात्मक परिवर्तन ला सकती है, बशर्ते सभी पक्ष संवाद के रास्ते पर चलें।
