भारत WTO नियमों के तहत करेगा व्यापार, लेकिन वैश्विक व्यापार सुधार जरूरी: पीयूष गोयल
भारत WTO के नियमों के तहत करेगा व्यापार, लेकिन सुधार भी जरूरी: पीयूष गोयल का बयान
"केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में एक वैश्विक व्यापार सम्मेलन में स्पष्ट किया कि भारत WTO नियमों के तहत व्यापार करता रहेगा, लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान वैश्विक व्यापार ढांचा पुराने ढर्रे पर चल रहा है और इसमें व्यापक सुधार की जरूरत है।"
WTO के साथ भारत का संबंध: नियमों के भीतर लेकिन संतुलन की मांग
भारत विश्व व्यापार संगठन (WTO) का सक्रिय सदस्य है और हमेशा अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों का पालन करता आया है। फिर भी, मंत्री पीयूष गोयल ने यह स्पष्ट किया कि मौजूदा नियम विकासशील देशों की आवश्यकताओं को पूरी तरह नहीं समझते। उन्होंने कहा कि इन नियमों को इस तरह संशोधित किया जाना चाहिए जिससे विकासशील और गरीब देशों को भी समान अवसर मिल सकें।
WTO प्रणाली में असमानता का मुद्दा
पीयूष गोयल ने अपने संबोधन में कहा कि WTO की मौजूदा प्रणाली में विकसित और विकासशील देशों के बीच असमानता है। विकसित देश अपने हितों को प्राथमिकता देते हैं और कई बार वैश्विक नियमों को अपने अनुसार ढालने की कोशिश करते हैं। इससे भारतीय किसानों, लघु उद्यमों और घरेलू उद्योगों पर नकारात्मक असर पड़ता है।
भारत की प्राथमिकताएं: खाद्य सुरक्षा और लघु उद्योग
WTO के कई निर्णय भारत की खाद्य सुरक्षा योजनाओं और MSME (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) के लिए चुनौती बन सकते हैं। भारत चाहता है कि WTO के नियमों में लचीलापन हो जिससे सरकार गरीबों को अनाज, दवाइयां और मूलभूत सुविधाएं कम दाम पर उपलब्ध करा सके।
WTO में भारत की भूमिका और योगदान
भारत WTO की प्रक्रियाओं में हमेशा संवाद, सहयोग और समाधान के पक्ष में रहा है। पीयूष गोयल ने यह भी कहा कि भारत एक ऐसा व्यापारिक भागीदार है जो पारदर्शिता, निष्पक्षता और वैश्विक नियमों के प्रति प्रतिबद्ध है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि भारत अपने हितों की अनदेखी करेगा।
वैश्विक व्यापार तंत्र में बदलाव की आवश्यकता
आज की दुनिया में जहां तकनीक, लॉजिस्टिक्स और डाटा की भूमिका बढ़ रही है, ऐसे में WTO को भी नए जमाने के अनुरूप बदलना होगा। पुराने नियम आज के वैश्विक व्यापार की जटिलताओं और विविधताओं को नहीं समझते। इसलिए एक नई सोच और नीतिगत लचीलापन जरूरी है।
भारत के लिए WTO नियमों के तहत व्यापार क्यों अहम है?
भारत जैसे बड़े और उभरते हुए बाजार के लिए WTO एक ऐसा मंच है जहां वह अपने व्यापारिक हितों की रक्षा कर सकता है। भारत WTO नियमों के तहत व्यापार को न केवल मान्यता देता है, बल्कि इसे वैश्विक भागीदारी का माध्यम भी मानता है।
लेकिन सुधार क्यों आवश्यक हैं?
- निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा: बड़े देशों को अधिक सब्सिडी की छूट होती है, जबकि विकासशील देशों पर सीमाएं होती हैं।
- प्रौद्योगिकी का असमान उपयोग: डिजिटल व्यापार के क्षेत्र में विकसित देशों की बढ़त को नियंत्रित करने की जरूरत है।
- खाद्य सुरक्षा: सार्वजनिक वितरण प्रणाली को WTO के नियमों से छूट मिलनी चाहिए।
- डंपिंग और टैरिफ नियम: चीन जैसे देश भारी मात्रा में सस्ता माल भेजते हैं, जिससे भारतीय उद्योग प्रभावित होते हैं।
भविष्य की दिशा: WTO में सुधार का एजेंडा
भारत WTO में यह मांग कर रहा है कि
- विकासशील देशों के लिए विशेष छूट बनी रहे
- डिजिटल व्यापार और ई-कॉमर्स पर संतुलित नियम बनाए जाएं
- ट्रेड सब्सिडी के मामले में समानता हो
- कृषि और सार्वजनिक भंडारण नियमों में लचीलापन हो
