भारतीय घरेलू हवाई यात्री ट्रैफिक वॉल्यूम में वृद्धि का अनुमान
“भारत का घरेलू हवाई यात्री ट्रैफिक वॉल्यूम वित्त वर्ष 26 में 17.2 से 17.6 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। यह वृद्धि पिछले वर्ष के मुकाबले 4-6 प्रतिशत तक हो सकती है। इस वृद्धि के पीछे कई कारण हैं, जिनमें नए एयरक्राफ्ट की डिलीवरी और बढ़ती यात्रा मांग शामिल हैं। इसके अलावा, भारतीय विमानन उद्योग ने पिछले कुछ वर्षों में बहुत सारी चुनौतियों का सामना किया है, लेकिन अब यह एक सकारात्मक दिशा में बढ़ रहा है। आईसीआरए (आईसीआरए लिमिटेड) की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय घरेलू हवाई यात्री ट्रैफिक वॉल्यूम में इस वृद्धि का मुख्य कारण विमानन उद्योग की वृद्धि और यात्रियों की बढ़ती संख्या है। हालांकि, कुछ भूराजनीतिक और मौसम संबंधित चुनौतियाँ भी इसके विकास को प्रभावित कर सकती हैं। इस लेख में हम भारतीय घरेलू हवाई यात्री ट्रैफिक की वृद्धि के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे, साथ ही इसके कारण और आने वाली चुनौतियों पर भी विचार करेंगे।”
भारतीय विमानन उद्योग में पिछले कुछ वर्षों में नए एयरक्राफ्ट की डिलीवरी में इज़ाफा हुआ है। इस समय देश की प्रमुख एयरलाइंस कंपनियों ने अपनी बेड़ी को बढ़ाने के लिए बड़े विमान खरीदने का फैसला किया है, जिससे हवाई यात्री ट्रैफिक की वृद्धि को बढ़ावा मिल रहा है। इसके साथ ही, यात्रियों की बढ़ती संख्या ने भी हवाई यात्रा के महत्व को और बढ़ा दिया है। वहीं, आईसीआरए की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष
26 की पहली तिमाही में घरेलू हवाई यात्री ट्रैफिक में
4.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई, हालांकि इस दौरान बॉर्डर तनाव और विमान दुर्घटनाओं के कारण यात्री यात्रा में थोड़ी हिचकिचाहट देखी गई। इसके बावजूद, उद्योग में एक सकारात्मक बदलाव देखा जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय विमानन उद्योग के पास अब एक मजबूत क्षमता है, और इसका विस्तार लगातार जारी है।
वर्तमान में, भारतीय घरेलू हवाई यात्री ट्रैफिक वॉल्यूम में बढ़ोतरी के बावजूद, कुछ बाहरी कारक जैसे सीमा तनाव और विमान दुर्घटनाओं का असर भी देखा जा रहा है। इन मुद्दों के कारण यात्रियों के मनोबल में गिरावट आ सकती है। साथ ही, विमान दुर्घटनाओं के बाद यात्रियों में यात्रा करने को लेकर संकोच भी देखा गया है। हालांकि, यह असर स्थायी नहीं है और समय के साथ इसका असर कम हो सकता है। मानसून के लंबे समय तक रहने के कारण जुलाई और अगस्त की अवधि में हवाई ट्रैफिक पर असर पड़ सकता है। मौसम में बदलाव और फ्लाइट रद्द होने के कारण यात्रियों की संख्या में गिरावट हो सकती है। आईसीआरए ने यह भी बताया कि मानसून के मौसम में सामान्यत: यात्री ट्रैफिक प्रभावित होता है, लेकिन इसकी कोई स्थायी नकारात्मक प्रवृत्ति नहीं है। जैसे-जैसे मौसम में सुधार होगा, यात्री ट्रैफिक फिर से बढ़ सकता है।
वित्तीय घाटा और भविष्य के अनुमान आईसीआरए के अनुसार, भारतीय विमानन उद्योग का घाटा वित्त वर्ष
25 में
55 अरब रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष
26 में
95-105 अरब रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। यह घाटा मुख्य रूप से विमानों की आपूर्ति में वृद्धि और यात्री ट्रैफिक वृद्धि में कमी के कारण हो सकता है। हालांकि, यह घाटा पिछले कुछ वर्षों में दर्ज किए गए घाटे के मुकाबले काफी कम है। वित्त वर्ष
22 और
23 में विमानन उद्योग के लिए क्रमशः
216 अरब रुपये और
179 अरब रुपये का नुकसान हुआ था। यह इसलिए कहता है किउध्योग में अब सुधार होगया है, और नुकसान कम संभव होगा। फिर भी, उद्योग के सामने आगे नुकसान के मायनों में चुनौतियों का सामना रह सकता है आईसीआरए के अनुसार, भारतीय विमानन उद्योग में वित्त वर्ष
25 के दौरान क्षमता में
5% की वृद्धि हुई है। मार्च
2025 तक उद्योग का बेड़ा
855 विमानों तक पहुंच गया है। इसके अलावा, अगले दस वर्षों में
1600 से अधिक विमानों की आपूर्ति का अनुमान है, जो विमानन उद्योग के विस्तार के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
हालांकि, कुछ समस्याएं जैसे इंजन की विफलता और आपूर्ति श्रृंखला की चुनौतियाँ अभी भी हैं, लेकिन उद्योग ने इस स्थिति से उबरने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। रिपोर्ट के अनुसार,
2023 तक इंडस्ट्री के कुल बेड़े का
20-22% हिस्सा ग्राउंडेड था, लेकिन मार्च
2025 तक यह अनुपात घटकर
15-17% तक पहुंच गया, जो अच्छा संकेत है। भारतीय विमानन उद्योग को आपूर्ति श्रृंखला की समस्याओं का सामना करना पड़ा है, जिसके कारण विमान समय पर उपलब्ध नहीं हो पाए। इसके अलावा, अगर वैश्विक स्तर पर एयरलाइन कंपनियाँ अपनी प्रतिस्पर्धा को बढ़ाती हैं, तो भारतीय बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है। भारत सरकार ने विमानन क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन भविष्य में और भी बदलाव की जरूरत हो सकती है। विभिन्न एयरलाइंस ने बड़े विमानों के लिए खरीद ऑर्डर दिए हैं, और अगले कुछ वर्षों में इन विमानों की डिलीवरी होने की संभावना है। इसके साथ ही, विमानन क्षेत्र में नई तकनीक का इस्तेमाल और बेहतर इंजन की आपूर्ति यात्री ट्रैफिक की वृद्धि को बढ़ावा दे सकती है।