भारत दौरे पर ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची: रणनीतिक साझेदारी पर होगी बातचीत
"भारत-ईरान संबंधों में नई गति लाने की तैयारी ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची आज दो दिवसीय दौरे पर भारत पहुंच रहे हैं। यह यात्रा ऐसे समय पर हो रही है जब भारत और ईरान के बीच रणनीतिक और व्यापारिक सहयोग को लेकर नए अवसरों की तलाश जारी है। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत होगी, जिनमें चाबहार बंदरगाह परियोजना, ऊर्जा व्यापार, और क्षेत्रीय सुरक्षा प्रमुख विषय होंगे।"
द्विपक्षीय वार्ता के मुख्य मुद्दे
चाबहार पोर्ट पर सहयोग
भारत और ईरान के संबंधों में चाबहार बंदरगाह एक प्रमुख परियोजना है, जो अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक भारत की पहुंच को आसान बनाती है। इस दौरे में चाबहार के विकास, निवेश और संचालन के मुद्दों पर गहन चर्चा की संभावना है। भारत पहले ही इस बंदरगाह में भारी निवेश कर चुका है और इसे रणनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण मानता है।
ऊर्जा व्यापार और आर्थिक साझेदारी
ईरान भारत का एक पुराना तेल आपूर्तिकर्ता रहा है। हालाँकि, हाल के वर्षों में अमेरिका के प्रतिबंधों के कारण भारत को ईरान से कच्चा तेल आयात बंद करना पड़ा। अराघची की यात्रा का उद्देश्य इन व्यापारिक बाधाओं को समझना और संभावित समाधान खोजना हो सकता है। भारत, ऊर्जा की बढ़ती ज़रूरतों को पूरा करने के लिए ईरान के साथ विकल्प तलाशने को तैयार है।
क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा
अफगानिस्तान और मध्य एशिया की स्थिति
भारत और ईरान दोनों अफगानिस्तान में स्थायित्व और शांति के पक्षधर हैं। दोनों देश वहां की बदलती परिस्थितियों के मद्देनज़र साझा रणनीति पर काम करना चाहते हैं। यह मुद्दा इस दौरे में प्राथमिक रहेगा क्योंकि अफगानिस्तान की स्थिरता दोनों देशों के हित में है।
पश्चिम एशिया में उथल-पुथल
पश्चिम एशिया की बदलती राजनीतिक स्थिति पर भी चर्चा की जाएगी, खासकर इस्राइल-ईरान तनाव, सीरिया संकट, और यमन में संघर्ष को लेकर। भारत हमेशा से मध्यस्थ की भूमिका निभाने की कोशिश करता रहा है, और अराघची की यात्रा इस संवाद को और गहरा कर सकती है।
भारत की विदेश नीति और ईरान के साथ संतुलन
भारत की “वसुधैव कुटुम्बकम” नीति के तहत सभी देशों के साथ संतुलित संबंध बनाना उसकी प्राथमिकता रही है। ईरान के साथ मजबूत संबंध बनाए रखना भारत की ऊर्जा सुरक्षा, कनेक्टिविटी परियोजनाओं और सामरिक उद्देश्यों के लिए जरूरी है। अब्बास अराघची की यह यात्रा इन उद्देश्यों को आगे बढ़ाने में अहम साबित हो सकती है।
दोनों देशों के संबंधों का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
सांस्कृतिक और सभ्यतागत जुड़ाव
भारत और ईरान के बीच सांस्कृतिक संबंध हजारों वर्षों पुराने हैं। फ़ारसी भाषा, सूफी परंपरा और वास्तुकला के रूप में इसका प्रभाव भारतीय उपमहाद्वीप में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। ऐसे मजबूत सांस्कृतिक जुड़ाव को राजनीतिक और आर्थिक रिश्तों में बदलने की कोशिश इस दौरे का एक मकसद हो सकती है।
व्यापार और निवेश में संभावनाएं
दोनों देशों के बीच व्यापार को एक नई दिशा देने की जरूरत है। ईरान के साथ व्यापार, खासकर खनिज, ऊर्जा, और फार्मास्युटिकल क्षेत्र में, भारत के लिए लाभदायक हो सकता है। इसके लिए वित्तीय चैनलों और व्यापारिक ढांचे को मजबूत करना होगा।
मीडिया की भूमिका और जन संवाद
भारत और ईरान के बीच संबंधों को सिर्फ सरकारी स्तर पर ही नहीं, बल्कि जन स्तर पर भी मजबूत किया जाना चाहिए। इसके लिए शैक्षणिक आदान-प्रदान, संस्कृति उत्सव, और मीडिया सहभागिता बढ़ाने की आवश्यकता है। इस दौरे के दौरान इस पहलू पर भी चर्चा संभव है।

"ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची की भारत यात्रा, दोनों देशों के बीच रणनीतिक सहयोग को और मजबूत करने का एक सुनहरा अवसर है। यह दौरा न केवल व्यापार और कूटनीति के स्तर पर बल्कि भविष्य की साझेदारी की नींव रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।"
