म्यांमार में भूकंप: ISRO के उपग्रह चित्रों में विनाशकारी प्रभाव
“28 मार्च 2025 को म्यांमार में 7.7 तीव्रता का भूकंप आया, जिसने देश के कई हिस्सों में भारी तबाही मचाई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने उन्नत उपग्रह, कार्टोसैट-3, के माध्यम से प्रभावित क्षेत्रों के उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले चित्र प्राप्त किए हैं, जो इस आपदा की भयावहता को दर्शाते हैं।”
भूकंप का विवरण
यह भूकंप स्थानीय समयानुसार सुबह 6:20 बजे आया, जिसका केंद्र सगाइंग-मांडले सीमा के निकट 10 किमी की गहराई पर स्थित था। मुख्य झटके के बाद 6.4 तीव्रता का एक और झटका महसूस किया गया, जिसने विनाश को और बढ़ा दिया। मांडले, जो म्यांमार का दूसरा सबसे बड़ा शहर है, इस आपदा से सबसे अधिक प्रभावित हुआ। राजधानी नेप्यीदा और अन्य क्षेत्रों में भी बुनियादी ढांचे, सड़कों और आवासीय इमारतों को भारी नुकसान पहुंचा। भूकंप के झटके पड़ोसी देशों, जैसे थाईलैंड के चियांग माई तक महसूस किए गए। ISRO
ISRO की भूमिका
ISRO ने अपने कार्टोसैट-3 उपग्रह का उपयोग करके प्रभावित क्षेत्रों के विस्तृत चित्र प्राप्त किए। यह उपग्रह 50 सेंटीमीटर से कम की रिज़ॉल्यूशन के साथ पृथ्वी की सतह की छवियां प्रदान करने में सक्षम है, जो आपदा प्रबंधन और राहत कार्यों में अत्यंत सहायक साबित होता है। ISRO ने 29 मार्च 2025 को मांडले और सगाइंग शहरों की पोस्ट-डिज़ास्टर इमेजरी प्राप्त की, और 18 मार्च 2025 को लिए गए प्री-इवेंट डेटा के साथ उनकी तुलना करके क्षति का आकलन किया। ISRO
प्रमुख क्षति
- मांडले शहर: यहां के प्रमुख स्थलों जैसे स्काई विला, फयानी पगोडा, महामुनी पगोडा, आनंदा पगोडा और मांडले विश्वविद्यालय को गंभीर क्षति पहुंची है।
- सगाइंग शहर: मा शी खाना पगोडा सहित कई मठों और अन्य इमारतों को नुकसान हुआ है। ISRO
- अवा (इनवा) ब्रिज: इरावदी नदी पर स्थित यह ऐतिहासिक पुल पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है, जो क्षेत्र की परिवहन प्रणाली के लिए एक बड़ा झटका है। ISRO
- इरावदी नदी के बाढ़ क्षेत्र: यहां दरारें और भूमि के धंसने की घटनाएं देखी गई हैं, जो संभावित रूप से नदी के प्रवाह और आसपास के इलाकों को प्रभावित कर सकती हैं। ISRO
भूगर्भीय पृष्ठभूमि
म्यांमार भारतीय और यूरेशियन प्लेटों की अभिसरण सीमा के निकट स्थित है, जहां भारतीय प्लेट लगभग 5 सेमी प्रति वर्ष की गति से उत्तर की ओर बढ़ रही है। इसके अलावा, सगाइंग फॉल्ट जैसी छोटी दोष रेखाएं भी इस क्षेत्र में सक्रिय हैं। यह भूकंप संभवतः सगाइंग फॉल्ट या इससे जुड़े अन्य दोषों पर संचित तनाव के रिलीज के कारण हुआ है।
राहत और बचाव कार्य
भारत उन पहले देशों में से एक था, जिसने म्यांमार को राहत और बचाव सहायता प्रदान की। भारतीय टीमों ने खोज और बचाव अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे प्रभावित क्षेत्रों में तेजी से सहायता पहुंचाई जा सकी।
उपग्रह इमेजरी का महत्व
आपदाओं के दौरान उपग्रह इमेजरी अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि यह प्रभावित क्षेत्रों की त्वरित और सटीक जानकारी प्रदान करती है। ISRO के कार्टोसैट-3 से प्राप्त चित्रों ने राहत एजेंसियों को क्षति के आकलन और आवश्यक संसाधनों के वितरण में मदद की है। इन चित्रों के माध्यम से, प्रभावित क्षेत्रों की वास्तविक स्थिति का पता लगाकर, राहत कार्यों को अधिक प्रभावी ढंग से संचालित किया जा सकता है
