जल जीवन मिशन से 15 करोड़ ग्रामीण घरों तक नल का जल, भूजल स्तर में भी सुधार
जल जीवन मिशन 2025: ग्रामीण जल आपूर्ति में क्रांतिकारी बदलाव
“केंद्र सरकार ने जल आपूर्ति और भूजल प्रबंधन के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि दर्ज की है। जल जीवन मिशन 2025 के तहत, 7 अगस्त 2025 तक 12.45 करोड़ अतिरिक्त ग्रामीण घरों को नल से जल कनेक्शन मिला है। अब कुल 19.36 करोड़ ग्रामीण घरों में से 15.68 करोड़ (लगभग 81%) घरों तक नल का पानी पहुंच रहा है। अगस्त 2019 में यह आंकड़ा केवल 3.23 करोड़ (17%) था, जिसका मतलब है कि पिछले छह वर्षों में जल आपूर्ति व्यवस्था में ऐतिहासिक विस्तार हुआ है।”
राज्यों की भागीदारी और फंड आवंटन
चूंकि पेयजल राज्यों का विषय है, इसलिए योजना का डिजाइन, अनुमोदन और क्रियान्वयन राज्य सरकारें करती हैं। केंद्र सरकार इसमें तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
जल जीवन मिशन के लिए फंड आवंटन का आधार:
- ग्रामीण जनसंख्या – 30%
- एससी/एसटी ग्रामीण जनसंख्या – 10%
- रेगिस्तानी और सूखा प्रभावित क्षेत्र – 30%
- रासायनिक प्रदूषण वाली बस्तियों की जनसंख्या – 10%
- शेष घरों में जल कनेक्शन – 20%
फंड शेयरिंग पैटर्न:
- विधानसभा रहित केंद्रशासित प्रदेश – 100% केंद्र
- पूर्वोत्तर व हिमालयी राज्य – 90% केंद्र, 10% राज्य
- अन्य राज्य – 50% केंद्र, 50% राज्य
केंद्र अनुदान “जस्ट इन टाइम” सिद्धांत के तहत दो किस्तों में जारी करता है, ताकि फंड का उपयोग और निगरानी पारदर्शी बनी रहे।
निगरानी और पारदर्शिता के लिए आधुनिक तकनीक
जल जीवन मिशन में कार्यान्वयन की निगरानी के लिए कई उपाय अपनाए गए हैं:
- आधार लिंकिंग
- एसेट का जियो-टैगिंग
- थर्ड-पार्टी निरीक्षण
- सेंसर आधारित IoT मॉनिटरिंग
- ग्राम स्तर पर पानी की मात्रा और गुणवत्ता की जांच
2022 के मूल्यांकन में पाया गया:
- 86% घरों में नल कनेक्शन कार्यरत हैं
- इनमें से 85% को पर्याप्त मात्रा में पानी मिल रहा है
- 80% घरों में नियमित समय पर पानी की आपूर्ति हो रही है
- 87% घरों में पानी की गुणवत्ता मानक के अनुरूप है
शहरी जल आपूर्ति में AMRUT मिशन की भूमिका
शहरी क्षेत्रों में भी जल आपूर्ति में सुधार के लिए
AMRUT मिशन और
AMRUT 2.0 लागू किए गए हैं।
- AMRUT के तहत 189 लाख नल कनेक्शन प्रदान किए गए
- AMRUT 2.0 के तहत 407 लाख नए कनेक्शन दिए गए
इन परियोजनाओं की समीक्षा वीडियो कॉन्फ्रेंस, फील्ड विजिट और ऑनलाइन पोर्टल के जरिए होती है।
NITI Aayog ने
2020 में इस योजना के सकारात्मक प्रभाव को प्रमाणित किया था।
अटल भूजल योजना से भूजल स्तर में सुधार
भूजल प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार ने अटल भूजल योजना (
ABY) शुरू की है, जिसकी कुल लागत
6,000 करोड़ रुपये है। यह योजना
1 अप्रैल
2020 से
7 राज्यों – गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के
80 जिलों के
229 जल-संकटग्रस्त ब्लॉकों में लागू है।
अब तक
83 ब्लॉकों में भूजल स्तर में सुधार दर्ज हुआ है:
- गुजरात – 13 ब्लॉक
- हरियाणा – 14 ब्लॉक
- कर्नाटक – 20 ब्लॉक
- मध्य प्रदेश – 4 ब्लॉक
- महाराष्ट्र – 14 ब्लॉक
- राजस्थान – 13 ब्लॉक
- उत्तर प्रदेश – 5 ब्लॉक
पारदर्शी और प्रदर्शन आधारित योजना
अटल भूजल योजना में फंड आवंटन प्रदर्शन आधारित है। इसके तहत:
- राज्य स्तरीय स्टीयरिंग कमेटी
- थर्ड-पार्टी वेरिफिकेशन
- वित्तीय ऑडिट
- सार्वजनिक पोर्टल और मोबाइल ऐप पर जल संसाधन डेटा
इन उपायों ने योजना की पारदर्शिता और प्रभावशीलता को बढ़ाया है।
जनभागीदारी और जीवन गुणवत्ता में सुधार
केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री वी. सोमन्ना ने राज्यसभा में बताया कि इन योजनाओं ने न केवल जल की पहुंच बढ़ाई है, बल्कि ग्रामीण और शहरी जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार किया है। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को पानी लाने के लिए लंबी दूरी तय करने से राहत मिली है, जिससे समय और ऊर्जा की बचत हो रही है। शहरी क्षेत्रों में जल आपूर्ति की स्थिरता ने औद्योगिक और घरेलू जरूरतों को पूरा करने में मदद की है।
भविष्य की दिशा
जल जीवन मिशन
2025 और अटल भूजल योजना की सफलता से यह स्पष्ट है कि भारत जल प्रबंधन के क्षेत्र में लंबी छलांग लगा चुका है। आने वाले वर्षों में लक्ष्य है:
- 100% ग्रामीण घरों तक नल का जल
- सभी राज्यों में भूजल स्तर का सतत सुधार
- जल संरक्षण में सामुदायिक भागीदारी