जेएनयू ने तुर्किए की इनोनू यूनिवर्सिटी से समझौता निलंबित किया, राष्ट्रीय सुरक्षा को दी प्राथमिकता
"जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने बुधवार को एक बड़ा कदम उठाते हुए तुर्किए की इनोनू यूनिवर्सिटी के साथ अपने शैक्षणिक समझौते को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। जेएनयू ने इनोनू यूनिवर्सिटी से समझौता निलंबित किया और इसके पीछे राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला दिया। विश्वविद्यालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' के माध्यम से यह जानकारी साझा की। जेएनयू ने अपने पोस्ट में लिखा, "राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों के चलते जेएनयू और इनोनू यूनिवर्सिटी, तुर्किए के बीच समझौता निलंबित किया जाता है। जेएनयू राष्ट्र के साथ खड़ा है।" इस निर्णय के पीछे देश में बदले हुए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हालात हैं, जो हाल ही में हुए घटनाक्रमों से जुड़ते हैं।"
तुर्किए और अजरबैजान पर जनभावनाओं का प्रभाव
तुर्किए और अजरबैजान ने हाल ही में पाकिस्तान के समर्थन में बयान दिए, जिसके बाद भारत में इन दोनों देशों के खिलाफ जनभावनाएं उभर आईं।
भारत के नागरिकों में तुर्किए और अजरबैजान की यात्रा को लेकर बहिष्कार की प्रवृत्ति देखने को मिल रही है।
पर्यटन उद्योग पर इसका सीधा असर पड़ा है और सोशल मीडिया पर इन देशों का व्यापक विरोध हो रहा है।
ऑपरेशन सिंदूर: भारत की नई नीति
7 मई को भारतीय सशस्त्र बलों ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoJK) में स्थित 9 आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए थे।
यह कार्रवाई पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले का जवाब थी, जिसमें निर्दोष नागरिकों की जान गई थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई को देश को संबोधित करते हुए 'ऑपरेशन सिंदूर' को भारत की आतंकवाद के खिलाफ नई नीति बताया।
इससे पहले भारत ने 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 में एयर स्ट्राइक की थी।
'ऑपरेशन सिंदूर' इन दोनों ऐतिहासिक कार्रवाइयों की कड़ी में एक और बड़ा कदम माना जा रहा है।

ड्रोन हमलों में तुर्की निर्मित उपकरणों की भूमिका
8 मई की रात पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ एक संगठित ड्रोन हमला करने की कोशिश की।
लेह से लेकर सर क्रीक तक 36 स्थानों पर लगभग 300 से 400 ड्रोन घुसपैठ करते देखे गए।
भारतीय रक्षा बलों ने अधिकतर ड्रोन को काइनेटिक और नॉन-काइनेटिक तरीकों से नष्ट कर दिया।
प्रारंभिक फॉरेंसिक जांच में सामने आया कि कई ड्रोन तुर्की निर्मित थे।
विशेष रूप से 'Asisguard Songar' और 'Yiha' (या YEEHAW) नामक तुर्की मूल के UAV (मानवरहित हवाई वाहन) का उपयोग किया गया था।
यह तथ्य भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं को और गहरा बनाता है।
जेएनयू का निर्णय: शिक्षा और राष्ट्रहित का संतुलन
जेएनयू द्वारा इनोनू यूनिवर्सिटी के साथ समझौता निलंबित करना केवल एक शैक्षणिक निर्णय नहीं, बल्कि एक सशक्त राष्ट्रीय संदेश भी है।
विश्वविद्यालय ने दिखाया है कि जब राष्ट्रीय सुरक्षा की बात आती है, तो शिक्षा संस्थान भी अपने कर्तव्य को सर्वोपरि रखते हैं।
जेएनयू का यह कदम न केवल वर्तमान हालात के प्रति संवेदनशीलता दर्शाता है बल्कि अन्य संस्थानों के लिए भी एक उदाहरण प्रस्तुत करता है।
भारत-तुर्किए संबंधों पर संभावित प्रभाव
भारत और तुर्किए के बीच पहले से तनावपूर्ण संबंधों में यह घटनाक्रम और अधिक खटास ला सकता है।
तुर्किए का पाकिस्तान के प्रति समर्थन और भारतीय हितों के विरुद्ध उसकी गतिविधियाँ दोनों देशों के कूटनीतिक रिश्तों में दूरी बढ़ा सकती हैं।
भविष्य में भारत, तुर्किए के साथ आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग पर पुनर्विचार कर सकता है।

"जेएनयू ने इनोनू यूनिवर्सिटी से समझौता निलंबित किया, यह निर्णय केवल शैक्षणिक क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी एक मजबूत संदेश देता है।
राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है और जब उसकी बात आती है, तो भारत का हर क्षेत्र, चाहे वह शिक्षा हो या उद्योग, एकजुट होकर देशहित में खड़ा होता है।
आने वाले समय में भारत का रुख तुर्किए और अजरबैजान के प्रति और अधिक सख्त हो सकता है।"
राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है और जब उसकी बात आती है, तो भारत का हर क्षेत्र, चाहे वह शिक्षा हो या उद्योग, एकजुट होकर देशहित में खड़ा होता है।
आने वाले समय में भारत का रुख तुर्किए और अजरबैजान के प्रति और अधिक सख्त हो सकता है।"