जस्टिस बीआर गवई बने भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश, पीएम मोदी ने दी शुभकामनाएं
"जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने बुधवार को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में शपथ ली।
जस्टिस बीआर गवई भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश बनकर सर्वोच्च न्यायालय के शीर्ष पद पर आसीन हुए हैं।
उनके शपथ ग्रहण समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ सहित कई गणमान्य अतिथि मौजूद रहे।"
पीएम मोदी ने दी शुभकामनाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा करते हुए जस्टिस गवई को बधाई दी।
उन्होंने लिखा, "भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुआ। उन्हें उनके कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं।"
प्रधानमंत्री का यह संदेश न्यायपालिका के प्रति सरकार के सम्मान और अपेक्षा को दर्शाता है।
राष्ट्रपति भवन में हुआ शपथ ग्रहण समारोह
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राष्ट्रपति भवन में जस्टिस गवई को भारत के मुख्य न्यायाधीश के पद की शपथ दिलाई।
राष्ट्रपति कार्यालय ने एक्स अकाउंट पर शपथ ग्रहण समारोह की तस्वीरें भी साझा कीं और इस ऐतिहासिक पल को देश के साथ साझा किया।
उपराष्ट्रपति कार्यालय ने भी समारोह की तस्वीरें पोस्ट करते हुए लिखा कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ इस महत्वपूर्ण अवसर पर उपस्थित रहे।

जस्टिस बीआर गवई का कानूनी सफर
जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ।
उन्होंने 16 मार्च 1985 को वकालत की दुनिया में कदम रखा और अपने करियर की शुरुआत दिवंगत राजा एस. भोंसले के साथ की, जो बॉम्बे उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और महाधिवक्ता थे।
1987 से 1990 तक उन्होंने स्वतंत्र वकालत की और नागपुर पीठ के समक्ष कई महत्वपूर्ण मामलों में पैरवी की।
उनके उल्लेखनीय करियर ने उन्हें उच्चतम न्यायालय के शीर्ष पद तक पहुँचाया, जो उनकी कड़ी मेहनत और न्यायिक उत्कृष्टता का परिणाम है।
दलित समुदाय से आने वाले दूसरे मुख्य न्यायाधीश
जस्टिस गवई भारत के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश हैं। उनसे पहले जस्टिस के. जी. बालाकृष्णन ने वर्ष 2007 में यह पद संभाला था।
यह नियुक्ति सामाजिक समावेशन और न्यायपालिका में विविधता को मजबूती देने वाली मानी जा रही है।
दलित समुदाय से किसी व्यक्ति का देश के शीर्ष न्यायिक पद तक पहुँचना न्याय प्रणाली में समान अवसरों के महत्व को रेखांकित करता है।

पूर्व सीजीआई संजीव खन्ना का कार्यकाल समाप्त
पूर्व सीजीआई संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई को समाप्त हो गया था।
उनका कार्यकाल लगभग सात महीने का रहा, जिसमें उन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसलों में योगदान दिया।
अब जस्टिस गवई की अगुवाई में न्यायपालिका नए दौर में प्रवेश कर रही है।
न्यायपालिका से देश को बड़ी उम्मीदें
न्यायपालिका देश के लोकतांत्रिक ढांचे का एक मजबूत स्तंभ है।
जस्टिस बीआर गवई जैसे अनुभवी और समर्पित न्यायाधीश के नेतृत्व में उम्मीद की जा रही है कि देश में न्यायिक प्रक्रिया और अधिक तेज और पारदर्शी होगी।
न्याय प्रणाली में लोगों का विश्वास बनाए रखने और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए उनका कार्यकाल महत्वपूर्ण रहेगा।
