कृष्ण जन्माष्टमी 2025: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और पीएम नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को दीं शुभकामनाएं
कृष्ण जन्माष्टमी 2025: देशभर में उत्साह और भक्ति का माहौल
“भारत में हर साल की तरह इस बार भी कृष्ण जन्माष्टमी बड़े धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाई जा रही है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में जाना जाता है। जन्माष्टमी का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी गहरा है। देशभर के मंदिरों में भजन-कीर्तन, झांकियां और पूजा-पाठ का आयोजन किया जाता है। भक्त उपवास रखते हैं और मध्यरात्रि में भगवान कृष्ण की आराधना करते हैं।”
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का संदेश
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने हमें धर्म के अनुसार जीवन जीने और समाज के कल्याण के लिए कार्य करने का संदेश दिया। राष्ट्रपति ने अपील की कि इस पावन अवसर पर हम सभी यह संकल्प लें कि श्रीकृष्ण के बताए मार्ग पर चलकर समाज और राष्ट्र को मजबूत बनाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कृष्ण जन्माष्टमी शुभकामनाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कहा—
“सभी देशवासियों को जन्माष्टमी की असीम शुभकामनाएं। आस्था, आनंद और उमंग का यह पावन पर्व आप सभी के जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह लाए। जय श्री कृष्ण।”
पीएम मोदी ने जन्माष्टमी को आस्था, आनंद और उमंग का पर्व बताया।
कृष्ण जन्माष्टमी का धार्मिक महत्व
कृष्ण जन्माष्टमी शुभकामनाएं देने का यह पर्व भारत की परंपरा और संस्कृति से गहराई से जुड़ा हुआ है। पुराणों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को मध्यरात्रि में हुआ था। उनका जन्म मथुरा की कारागार में हुआ और बचपन से ही उन्होंने धर्म की स्थापना और अधर्म के विनाश का मार्ग दिखाया।
समाज में श्रीकृष्ण का योगदान
भगवान श्रीकृष्ण केवल धार्मिक व्यक्तित्व नहीं बल्कि आदर्श जीवन के प्रतीक हैं। गीता में उन्होंने कर्मयोग, भक्ति और ज्ञान का संदेश दिया। यही कारण है कि जन्माष्टमी के अवसर पर कृष्ण जन्माष्टमी शुभकामनाएं संदेशों के साथ-साथ गीता का अध्ययन और पाठ भी किया जाता है।
जन्माष्टमी पर परंपराएं और रीति-रिवाज
- भक्त उपवास रखते हैं और रात्रि 12 बजे जन्मोत्सव मनाते हैं।
- मंदिरों और घरों को फूलों और दीपों से सजाया जाता है।
- झांकियों में बाल गोपाल की झलक प्रस्तुत की जाती है।
- दूध, दही और माखन से विशेष भोग तैयार किया जाता है।
आधुनिक समय में जन्माष्टमी का उत्सव
आज के दौर में भी कृष्ण जन्माष्टमी की लोकप्रियता कम नहीं हुई है। सोशल मीडिया पर लोग कृष्ण जन्माष्टमी शुभकामनाएं संदेश साझा करते हैं। टीवी चैनलों पर भगवान कृष्ण की कथाएं प्रसारित होती हैं।
सरकार की योजनाओं में कृष्ण का उल्लेख
15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी ने भी श्रीकृष्ण का जिक्र करते हुए मिशन ‘सुदर्शन चक्र’ की घोषणा की। यह दर्शाता है कि भगवान श्रीकृष्ण की प्रेरणा आज भी राष्ट्र के लिए प्रासंगिक है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जन्माष्टमी
भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। अमेरिका, लंदन, मॉरीशस, नेपाल और फिजी में मंदिरों और प्रवासी भारतीय समुदायों द्वारा विशेष आयोजन किए जाते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी और सामाजिक एकता
यह पर्व समाज में एकता और भाईचारे का संदेश देता है। कृष्ण जन्माष्टमी शुभकामनाएं केवल धार्मिक संदेश नहीं बल्कि जीवन में सामूहिकता, प्रेम और कर्तव्य पालन की प्रेरणा भी देती हैं।