लांस नायक दिनेश कुमार का पलवल में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार, हजारों लोगों ने दी विदाई
लांस नायक दिनेश कुमार शर्मा: एक वीर सपूत की कहानी
“दिनेश कुमार शर्मा का जन्म 30 जनवरी 1993 को हुआ था। उन्होंने 15 सितंबर 2014 को भारतीय सेना की 5 फील्ड रेजिमेंट में शामिल होकर देश की सेवा शुरू की। वह पांच भाइयों में सबसे बड़े थे, जिनमें से दो भाई वर्तमान में अग्निवीर योजना के तहत सेना में सेवा दे रहे हैं।”
उनकी पत्नी सीमा शर्मा पेशे से वकील हैं, और वे दो बच्चों—पांच वर्षीय बेटे दर्शन और सात वर्षीय बेटी काव्या—के पिता थे। उनकी पत्नी गर्भवती हैं, जिससे परिवार पर भावनात्मक बोझ और बढ़ गया है।
अंतिम विदाई: सैन्य सम्मान और जनसमूह की श्रद्धांजलि
लांस नायक दिनेश कुमार शर्मा का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव पहुंचते ही लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। उनके पिता दया चंद ने अपने बेटे की चिता को मुखाग्नि दी। इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर, हरियाणा के शहरी स्थानीय निकाय मंत्री विपुल गोयल, खाद्य एवं आपूर्ति राज्य मंत्री राजेश नागर, और खेल मंत्री गौरव गौतम सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की।
भारतीय सेना और हरियाणा पुलिस के जवानों ने उन्हें अंतिम सलामी दी। उनकी मां मीरा देवी ने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा लगाते हुए अपने बेटे की शहादत पर गर्व व्यक्त किया।
ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान की गोलीबारी
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित नौ आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए। इसके बाद पाकिस्तान ने पुंछ, कुपवाड़ा, बारामूला, उरी, और राजौरी सेक्टर में भारी गोलीबारी शुरू कर दी, जिसमें लांस नायक दिनेश कुमार शर्मा शहीद हुए।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, पाकिस्तान की इस गोलीबारी में 16 निर्दोष नागरिकों की जान गई, जिनमें तीन महिलाएं और पांच बच्चे शामिल हैं।
परिवार की प्रतिक्रिया: गर्व और संकल्प
शहीद के पिता दया चंद ने कहा, “मुझे अपने बेटे की शहादत पर गर्व है। उसने भारत माता के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए।” उन्होंने यह भी कहा कि वे अपने पोते को भी भारतीय सेना में भेजना चाहते हैं, ताकि वह अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ा सके।
निष्कर्ष
लांस नायक दिनेश कुमार शर्मा की शहादत ने पूरे देश को गर्व और दुख दोनों का अनुभव कराया है। उनकी वीरता और बलिदान को हमेशा याद रखा जाएगा। उनकी अंतिम विदाई में शामिल लोगों की भीड़ और उनके परिवार की प्रतिक्रिया इस बात का प्रमाण है कि देश अपने वीर सपूतों को कभी नहीं भूलता।
