नागपुर में माधव नेत्रालय प्रीमियम सेंटर का शिलान्यास: नेत्र चिकित्सा में नई क्रांति की ओर कदम
“स्वास्थ्य सेवाओं की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए नागपुर में माधव नेत्रालय प्रीमियम सेंटर का भूमि पूजन समारोह संपन्न हुआ। यह नया नेत्र अस्पताल आधुनिक तकनीकों और सुविधाओं से लैस होगा, जिससे आंखों के रोगियों को सस्ती, सुलभ और उन्नत इलाज की सुविधा मिलेगी।”
इस अवसर पर कई प्रमुख हस्तियां मौजूद रहीं, जिनमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के वरिष्ठ पदाधिकारी, समाजसेवी संस्थाएं और स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ शामिल थे।
🏥 क्या होगा खास इस नेत्र चिकित्सा केंद्र में?
यह प्रीमियम सेंटर नागपुर के चिकित्सा मानचित्र को और भी मजबूत बनाने जा रहा है। प्रस्तावित अस्पताल में निम्नलिखित प्रमुख सुविधाएं होंगी:
- 250 बेड की क्षमता
- 14 अत्याधुनिक ऑपरेशन थिएटर (OT)
- 14 ओपीडी यूनिट्स (Outpatient Departments)
- फेम्टोसेकंड लेजर जैसी आधुनिक तकनीक
- कम आय वर्ग के लिए सस्ती इलाज व्यवस्था
इस केंद्र की परिकल्पना नेत्र स्वास्थ्य सेवा को जन-जन तक पहुँचाने के उद्देश्य से की गई है। यह केंद्र नागपुर ही नहीं, बल्कि पूरे विदर्भ और मध्य भारत के लोगों के लिए वरदान साबित हो सकता है।
🌟 माधव नेत्रालय की पृष्ठभूमि
माधव नेत्रालय की स्थापना वर्ष 2014 में नागपुर में की गई थी। इसका उद्देश्य आंखों की बीमारियों का सस्ता और गुणवत्तापूर्ण इलाज उपलब्ध कराना है। संस्था अब तक हजारों मरीजों का सफल इलाज कर चुकी है और कई सामाजिक नेत्र शिविरों का आयोजन भी करती रही है।
🙏 सामाजिक सेवा के साथ चिकित्सा सेवा
इस प्रीमियम यूनिट का मॉडल न सिर्फ चिकित्सा सुविधा पर केंद्रित है, बल्कि “सेवा ही धर्म है” की भावना के साथ समाज के प्रति उत्तरदायित्व को भी दर्शाता है। यहां आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए विशेष योजनाएं और मुफ्त ऑपरेशन की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी।
📍 नागपुर को क्यों मिलेगा लाभ?
नागपुर जैसे तेजी से बढ़ते शहर में नेत्र रोगों से संबंधित मामलों की संख्या भी बढ़ रही है। ऐसे में यह केंद्र न केवल उपचार, बल्कि शोध, प्रशिक्षण और जनजागरूकता का भी केंद्र बन सकता है।
🧾 निष्कर्ष
माधव नेत्रालय प्रीमियम सेंटर नागपुर की स्वास्थ्य सेवाओं में एक नई दिशा देने जा रहा है। इसकी स्थापना से न केवल आधुनिक तकनीक का लाभ मिलेगा, बल्कि जरूरतमंद लोगों को भी बेहतर और किफायती इलाज का अवसर प्राप्त होगा।
यह कदम भविष्य में आंखों की बीमारियों से मुक्ति की दिशा में एक ठोस पहल साबित हो सकता है।