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मुंबई की फैक्टरी में भीषण आग: 6 घंटे बाद पाया गया काबू

मुंबई, 21 मार्च 2025 – देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के औद्योगिक क्षेत्र में स्थित एक फैक्टरी में भीषण आग लग गई, जिससे पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई। यह हादसा गुरुवार की रात करीब 10:45 बजे हुआ और आग पर काबू पाने में दमकल विभाग को पूरे छह घंटे का समय लग गया। इस दौरान इलाके में धुएं का घना गुबार फैल गया और रहवासी इलाकों में भी इसका असर महसूस किया गया।

घटना की शुरुआत: अचानक फैली लपटें

घटना मुंबई के चेंबूर इलाके की एक केमिकल प्रोसेसिंग फैक्टरी में हुई, जो कि औद्योगिक उपयोग के लिए रसायन तैयार करने का काम करती थी। चश्मदीदों के अनुसार, रात करीब 10:45 बजे फैक्टरी से पहले धुआं उठता दिखा और फिर कुछ ही मिनटों में तेज धमाके के साथ आग की लपटें फैलीं।

स्थानीय निवासी रमेश पाटिल, जो फैक्टरी के पास ही रहते हैं, ने बताया, मैं सोने की तैयारी कर रहा था, तभी एक जोर का धमाका हुआ। बाहर आया तो देखा कि पूरी फैक्टरी आग की लपटों में घिरी हुई है।

दमकल विभाग की त्वरित कार्रवाई

आग की सूचना मिलते ही दमकल विभाग की 15 गाड़ियाँ मौके पर रवाना की गईं। शुरुआती घंटों में आग की तीव्रता इतनी अधिक थी कि आसपास की इमारतों को भी खतरा महसूस होने लगा। स्थिति को देखते हुए दमकल अधिकारियों ने तुरंत इलाके को खाली करवाया और आसपास के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया।

मुंबई फायर ब्रिगेड के मुख्य अधिकारी पी. के. नायर ने बताया, आग रासायनिक पदार्थों के कारण और भी विकराल रूप धारण कर रही थी। हमें विशेष सुरक्षा उपकरणों के साथ कार्य करना पड़ा। फैक्टरी में स्टोरेज टैंक में जमा केमिकल्स के फटने का भी खतरा था, जिसे हमने समय रहते नियंत्रित किया।

छह घंटे की मशक्कत के बाद मिली सफलता

रातभर चले ऑपरेशन के बाद आखिरकार शुक्रवार सुबह करीब 5 बजे आग पर काबू पा लिया गया। आग को पूरी तरह बुझाने और फैक्टरी को ठंडा करने में और दो घंटे लगे। दमकलकर्मियों ने पानी के साथ-साथ फोम और अन्य केमिकल्स का भी इस्तेमाल किया, जिससे आग पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सका।

हालांकि आग बुझाने के दौरान फैक्टरी की छत का एक हिस्सा गिर गया, जिससे दो दमकलकर्मी मामूली रूप से घायल हो गए। उन्हें नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया और अब वे खतरे से बाहर हैं।

कोई जानमाल की हानि नहीं, लेकिन बड़ा आर्थिक नुकसान

शुक्र की बात यह रही कि घटना के समय फैक्टरी बंद थी और कोई भी कर्मचारी भीतर मौजूद नहीं था। अन्यथा, इस आगजनी में जान का बड़ा नुकसान हो सकता था। हालांकि, फैक्टरी के पूरे उत्पादन यंत्र, स्टोरेज यूनिट्स और ऑफिस ब्लॉक पूरी तरह से जलकर खाक हो गए।

प्रारंभिक आंकलन के अनुसार इस हादसे में करीब 25 करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ है। फैक्टरी के मालिक संजय अग्रवाल ने मीडिया से बातचीत में कहा, हम इस क्षति से बेहद दुखी हैं, लेकिन शुक्र है कि कोई जान नहीं गई। हमने प्रशासन से सहयोग मांगा है और हम पुनर्निर्माण की योजना पर काम करेंगे।

आग लगने का कारण: शॉर्ट सर्किट या लापरवाही?

फिलहाल आग लगने के कारणों की जांच की जा रही है। दमकल विभाग और पुलिस की संयुक्त टीम ने फैक्टरी के अवशेषों की जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक संकेतों के अनुसार शॉर्ट सर्किट की आशंका जताई जा रही है, लेकिन केमिकल पदार्थों की अनुचित भंडारण व्यवस्था और सुरक्षा उपायों की अनदेखी को भी जांच के दायरे में रखा गया है।

मुंबई पुलिस उपायुक्त (DCP) राजीव त्रिपाठी ने बताया, हम पूरी घटना की गहनता से जांच कर रहे हैं। फैक्टरी के CCTV फुटेज, स्टाफ की शिफ्ट डिटेल्स और सुरक्षा उपायों की स्थिति को खंगाला जा रहा है। यदि किसी तरह की लापरवाही पाई जाती है, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

आसपास के इलाकों में असर और लोगों की प्रतिक्रिया

चेंबूर और उसके आस-पास के क्षेत्रों में रहने वाले लोग इस हादसे से घबराए हुए हैं। घटना के समय भारी धुआं कई किलोमीटर दूर तक फैल गया था। कई लोगों ने सांस लेने में तकलीफ की शिकायत की, जबकि कुछ परिवारों ने रातभर अपने घरों से बाहर रहकर समय बिताया।

स्थानीय नगरसेविका स्वाति देशमुख ने प्रशासन से मांग की है कि औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित केमिकल फैक्ट्रियों की सुरक्षा मानकों की सख्ती से समीक्षा की जाए। उन्होंने कहा, इस तरह की घटनाएं आम नागरिकों की सुरक्षा पर सीधा खतरा हैं। हमें ऐसी फैक्ट्रियों पर नजर रखने के लिए एक निगरानी तंत्र की ज़रूरत है।

प्रशासन की प्रतिक्रिया और आगे की कार्रवाई

मुंबई महानगरपालिका (BMC) ने फैक्टरी को अस्थायी रूप से सील कर दिया है और अग्नि सुरक्षा नियमों के अनुपालन की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। यदि पाया गया कि फैक्टरी में अग्निशमन यंत्रों या अलार्म सिस्टम की कमी थी, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी इस घटना पर दुख जताया और दमकल विभाग की तत्परता की सराहना की। उन्होंने ट्वीट कर कहा, मुंबई की फैक्टरी में लगी भीषण आग की खबर दुखद है। मैं दमकलकर्मियों की बहादुरी को सलाम करता हूँ जिन्होंने जान जोखिम में डालकर आग पर काबू पाया। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

बीते वर्षों में आग की घटनाएं: चिंता का विषय

मुंबई में बीते कुछ वर्षों में आग लगने की घटनाओं में बढ़ोत्तरी देखी गई है। खासकर औद्योगिक क्षेत्रों में फैक्ट्रियों और गोदामों में आग लगने की घटनाएं आम हो गई हैं। पिछले वर्ष ही भिवंडी में एक कपड़ा फैक्टरी में आग लगने से चार लोगों की मौत हो गई थी।

विशेषज्ञों का मानना है कि फैक्ट्रियों में सुरक्षा मानकों का पालन ना करना, पुराने विद्युत उपकरणों का इस्तेमाल, और कर्मचारियों को पर्याप्त प्रशिक्षण न देना इन हादसों के पीछे मुख्य कारण हैं।

फायर सेफ्टी विशेषज्ञ दीपक जोशी ने बताया, हमारे देश में अधिकांश छोटीबड़ी फैक्ट्रियाँ सिर्फ कागजों पर सुरक्षा मानकों को पूरा करती हैं। हकीकत में वहां अलार्म सिस्टम, ऑटोमैटिक स्प्रिंकलर, फायर एग्जिट प्लान जैसी मूलभूत चीज़ें भी नहीं होतीं।

फैक्टरी मालिकों और प्रशासन के लिए चेतावनी

इस घटना को एक चेतावनी के तौर पर देखा जाना चाहिए। सिर्फ आग पर काबू पाना ही समाधान नहीं है, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों इसके लिए प्रभावी उपाय किए जाने चाहिए। फैक्टरी मालिकों को न केवल सुरक्षा नियमों का पालन करना चाहिए बल्कि समय-समय पर फायर ड्रिल्स और ट्रेनिंग सत्र भी करवाने चाहिए।

प्रशासन को भी एक सक्रिय निगरानी प्रणाली विकसित करनी चाहिए जो कि समय-समय पर इन फैक्ट्रियों की जाँच करे और नियमों के उल्लंघन पर तत्काल कार्रवाई करे।

निष्कर्ष: आग की लपटों से उठते कई सवाल

मुंबई की इस फैक्टरी में लगी आग ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं – क्या हमारी फैक्ट्रियाँ सुरक्षित हैं? क्या हम ऐसे हादसों से सबक ले रहे हैं? क्या जिम्मेदार एजेंसियाँ अपनी भूमिका निभा रही हैं?

हालांकि इस बार कोई जान नहीं गई, लेकिन यह घटना बताती है कि अगर समय रहते सुधार नहीं किए गए तो अगली बार नुकसान और भी भयावह हो सकता है। आग तो बुझ गई, लेकिन उसके धुएं में उठते सवालों का जवाब मिलना अभी बाकी है।

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