ऑपरेशन सिंदूर से लेकर ट्रंप के टैरिफ तक: राहुल गांधी के आरोपों पर मोदी सरकार का सधा हुआ पलटवार
ऑपरेशन सिंदूर से ट्रंप के टैरिफ तक: राहुल गांधी के आरोपों पर मोदी सरकार का सधा हुआ जवाब
“भारत की राजनीति में 22 अप्रैल के बाद से घटनाओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। पहलगाम आतंकी हमला, फिर ऑपरेशन सिंदूर की ऐतिहासिक सफलता, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 25% टैरिफ, और उसके बाद संसद में राहुल गांधी व विपक्ष की तीखी बयानबाजी। इन सबके बीच मोदी सरकार ने संयम के साथ अपनी नीति स्पष्ट की और विपक्ष को उनके आरोपों पर करारा जवाब दिया।”
ऑपरेशन सिंदूर के बाद राजनीति में तूफान
22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले में निर्दोष नागरिकों की हत्या के बाद भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत जवाबी कार्रवाई की। इस ऑपरेशन की सफलता ने जहां देश में सुरक्षा को लेकर विश्वास बढ़ाया, वहीं विपक्ष इस पर सवाल उठाने लगा। राहुल गांधी ने इस ऑपरेशन की टाइमिंग पर शंका जताई, जिसे पाकिस्तानी मीडिया ने हाथों-हाथ लिया और प्रमुखता से दिखाया। मोदी सरकार ने संसद में स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर, आतंक के खिलाफ एक सशक्त कदम था। कोई राजनीतिक ड्रामा नहीं, सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा प्राथमिकता थी।
राहुल गांधी के आरोपों पर मोदी सरकार का संयमित रुख
राहुल गांधी और कांग्रेस के अन्य नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी पर ‘सरेंडर मोदी’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया। इसके जवाब में सरकार ने प्रत्यक्ष नाम लिए बिना संयमित लेकिन सटीक जवाब दिए। संसद में प्रधानमंत्री मोदी ने दुष्यंत कुमार की पंक्तियों के ज़रिए राहुल गांधी की "थेथर नीति" पर कटाक्ष किया।
“तुम्हारे पांव के नीचे कोई ज़मीन नहीं, कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यकीन नहीं है।”
सीजफायर को लेकर भ्रम और ट्रंप की तोतारटंत
अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप बार-बार यह बयान दे चुके हैं कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराया। मोदी सरकार ने स्पष्ट किया कि 22 अप्रैल से लेकर 16 जून के बीच ट्रंप और पीएम मोदी के बीच कोई बातचीत नहीं हुई। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संसद में दो टूक कहा कि भारत ने किसी भी मध्यस्थता को न तो स्वीकार किया, न अनुरोध किया। इसके बावजूद ट्रंप की तरफ से ऐसे बयानों को राहुल गांधी ने मुद्दा बनाया और पीएम मोदी से ट्रंप को “झूठा” कहने की मांग की। जवाब में प्रधानमंत्री ने ट्रंप का नाम लिए बिना, एक बार फिर अपने अंदाज़ में संदेश दिया कि भारत किसी भी विदेशी दबाव में नहीं झुकता।
टैरिफ और व्यापार पर कांग्रेस की राजनीति
अमेरिका द्वारा भारत पर 25% टैरिफ लगाए जाने के बाद कांग्रेस ने इसे विदेश नीति की विफलता बताया। परंतु यह तथ्य नजरअंदाज किया गया कि यह व्यापारिक तनाव दुनिया भर में चल रहे परिवर्तनशील समीकरणों का हिस्सा है। मोदी सरकार ने यह भी बताया कि टैरिफ लगाने के पीछे अमेरिका की नाराज़गी भारत की रूस के साथ बढ़ती व्यापारिक नज़दीकी से भी है, लेकिन भारत का रुख साफ है – देश की संप्रभुता से कोई समझौता नहीं होगा।
विपक्ष का संसद में हंगामा और सरकार की रणनीति
मानसून सत्र में कांग्रेस और विपक्षी दलों ने संसद की कार्यवाही बार-बार बाधित की। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर संदेह, पाकिस्तान के आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की टाइमिंग पर सवाल, और विदेश नीति पर झूठे आरोप – यह सब सिर्फ संसद को राजनीतिक अखाड़ा बनाने की कोशिश रही। मोदी सरकार ने हर आरोप का तथ्यों के साथ जवाब दिया। रक्षा मंत्री, गृहमंत्री और विदेश मंत्री ने एक स्वर में स्पष्ट किया कि भारत किसी भी विदेशी मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करता।
बाहरी एजेंडा और विदेशी स्क्रिप्ट पर सवाल
सरकार का मानना है कि राहुल गांधी और कुछ विपक्षी नेता विदेशी नैरेटिव को संसद के पटल पर लाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे आरोपों से न केवल संसद की गरिमा प्रभावित होती है, बल्कि यह भारत की संप्रभुता को चुनौती देने जैसा है। मोदी सरकार की रणनीति रही कि बिना उत्तेजना के, तथ्यों के आधार पर विपक्ष को जवाब दिया जाए। प्रधानमंत्री मोदी का ट्रंप का नाम लिए बिना जवाब देना यह दिखाता है कि भारत अब परिपक्व कूटनीति में विश्वास रखता है।
राहुल गांधी की अपरिपक्वता और चाणक्य नीति
राहुल गांधी बार-बार ट्रंप के नाम का रट्टा लगाते रहे, जबकि पीएम मोदी ने चाणक्य नीति का पालन करते हुए सांप भी मारा और लाठी भी नहीं तोड़ी। उन्होंने बिना किसी सीधी टकराहट के यह स्पष्ट कर दिया कि भारत की विदेश नीति आत्मनिर्भर और स्पष्ट है।
नया भारत, नई नीति
मोदी सरकार ने यह संदेश भी दिया कि यह नया भारत है, जो न केवल आतंकी हमलों का जवाब तुरंत देता है, बल्कि दुनिया के मंच पर भी मजबूती से खड़ा होता है। विदेशी बयानबाजियों से प्रभावित होने के बजाय, भारत अब अपनी प्राथमिकताओं और नीति पर चलता है।
“राहुल गांधी के आरोपों पर मोदी सरकार का जवाब न केवल संयमित था, बल्कि उसने यह साबित कर दिया कि संसद में फेक नैरेटिव और बाहरी एजेंडे की कोई जगह नहीं है। विदेश नीति से लेकर रक्षा नीति तक, मोदी सरकार ने अपने रुख को स्पष्ट रखा और विपक्ष की गैर-जिम्मेदाराना बयानबाजी का लोकतांत्रिक ढंग से सामना किया।”
