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मुरलीकांत पेटकर: भारत के पहले पैरा ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता को 52 साल बाद अर्जुन पुरस्कार

मुरलीकांत पेटकर, भारत के पहले पैरा ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता, को उनकी ऐतिहासिक उपलब्धियों के लिए खेल मंत्रालय ने अर्जुन पुरस्कार देने की घोषणा की है। यह सम्मान उन्हें 1972 में जर्मनी के हीडलबर्ग में हुए पैरालंपिक खेलों में ऐतिहासिक जीत के 52 साल बाद मिल रहा है।

पेटकर की प्रेरणादायक कहानी

मुरलीकांत पेटकर भारतीय सेना की इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर्स (ईएमई) कोर में सैनिक थे। 1965 में श्रीनगर के सेना कैंप पर हमले के दौरान गंभीर चोटों के कारण वह लकवाग्रस्त हो गए। लेकिन उनके अदम्य हौसले ने उन्हें हारने नहीं दिया।

1972 के पैरालंपिक खेलों में उन्होंने पुरुषों की 50 मीटर फ्रीस्टाइल तैराकी में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। उन्होंने तीन विश्व रिकॉर्ड बनाए और भारत के पहले पैरा ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता बने।

कई खेलों में प्रदर्शन

पेटकर ने केवल तैराकी में ही नहीं, बल्कि कई अन्य खेलों में भी अपनी प्रतिभा दिखाई।

  • 1968 पैरालंपिक खेलों: पैरा टेबल टेनिस में भारत का प्रतिनिधित्व।
  • 1972 पैरालंपिक खेलों: तैराकी के साथ भाला फेंक, प्रिसिशन भाला फेंक और स्लैलम में भी हिस्सा लिया।

चोट से पहले बॉक्सिंग में जीता स्वर्ण पदक

चोट से पहले मुरलीकांत पेटकर मुक्केबाजी में देश के शीर्ष खिलाड़ी बनने की इच्छा रखते थे। उन्होंने जापान में आयोजित मिलिट्री गेम्स में बॉक्सिंग में स्वर्ण पदक भी जीता था।

2018 में मिला पद्म श्री

उनकी उपलब्धियां अद्वितीय थीं, लेकिन पैरा खेलों को उस समय उतनी मान्यता नहीं मिलती थी। पेटकर को दशकों तक बड़े सम्मान से वंचित रहना पड़ा। हालांकि, 2018 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया।

सेवानिवृत्ति और मौजूदा जीवन

सेवानिवृत्ति के बाद पेटकर पुणे में रहते हैं। वह टेल्को से सेवानिवृत्त हुए और उनका बेटा अर्जुन मुरलीकांत पेटकर भारतीय सेना में कार्यरत है।

अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित

80 वर्ष की आयु में मुरलीकांत पेटकर को 17 जनवरी 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा राष्ट्रपति भवन में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान उनके योगदान और खेल के प्रति समर्पण का प्रतीक है।

मुरलीकांत पेटकर की जीवन यात्रा संघर्ष और सफलता की एक प्रेरणादायक कहानी है। उनकी उपलब्धियां न केवल भारतीय खेलों के लिए एक गौरव का विषय हैं, बल्कि लाखों लोगों के लिए प्रेरणा भी हैं। उनका जीवन यह संदेश देता है कि आत्मविश्वास और दृढ़ता से किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है।

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