म्यांमार में भूकंप से तबाही, मृतकों की संख्या 2000 के पार, हालात बेहद गंभीर
“दक्षिण एशियाई देश म्यांमार एक भीषण प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है। हाल ही में आए तेज़ भूकंप ने वहां तबाही मचा दी है। अब तक मिली जानकारी के अनुसार 2000 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, जबकि हजारों लोग घायल और बेघर हो गए हैं। स्थानीय प्रशासन, राहत एजेंसियां और अंतरराष्ट्रीय संगठन राहत एवं बचाव कार्यों में जुटे हुए हैं, लेकिन हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं।“
भूकंप की तीव्रता और केंद्र
म्यांमार में यह भूकंप 29 मार्च 2025 को आया, जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.6 मापी गई। इसका केंद्र देश के मध्य हिस्से में स्थित शान राज्य के पास बताया जा रहा है। भूकंप की गहराई जमीन से करीब 15 किलोमीटर नीचे थी, जिससे झटके बेहद तेज़ और विनाशकारी रहे।
प्रभावित क्षेत्र:
- शान राज्य
- मांडले
- कयाह और कचिन राज्य
- यांगून और नेपीडॉ में भी झटके महसूस किए गए
जान-माल का नुकसान
सरकारी रिपोर्ट्स के अनुसार, भूकंप के चलते हजारों मकान, स्कूल, अस्पताल और सरकारी इमारतें या तो पूरी तरह ढह गईं या गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हुई हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, जहां कई गांव पूरी तरह मलबे में तब्दील हो गए हैं।
अब तक की स्थिति:
- मृतक संख्या: 2000+
- घायल: 5000 से अधिक
- बेघर परिवार: 1 लाख से ज्यादा
- ध्वस्त इमारतें: हजारों
हालात क्यों हैं ‘बेहद गंभीर’?
राहत एजेंसियों और संयुक्त राष्ट्र ने म्यांमार में स्थिति को “Dire” (बेहद गंभीर) बताया है। वजहें कई हैं:
- भारी बारिश के चलते राहत कार्य बाधित हो रहे हैं
- प्रभावित इलाकों तक पहुंचना मुश्किल हो गया है
- मेडिकल सुविधाएं सीमित हैं
- पीने के पानी और भोजन की भारी कमी है
- संचार और बिजली व्यवस्था लगभग ठप है
राहत और बचाव अभियान
म्यांमार सरकार ने आपातकाल की घोषणा कर दी है और सेना को राहत कार्यों में लगाया गया है। रेड क्रॉस, यूनिसेफ, WHO और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं ज़रूरी सामान, दवाइयां और मेडिकल टीम भेज रही हैं।
चल रहे प्रमुख राहत कार्य:
- मलबा हटाने के लिए JCB मशीनों की मदद
- मोबाइल क्लीनिक और टेंट शहरों की स्थापना
- राशन, पानी और प्राथमिक चिकित्सा का वितरण
- हेलीकॉप्टर से जरूरी आपूर्ति प्रभावित इलाकों तक पहुंचाई जा रही है
स्थानीय लोगों का दर्द
झटकों के बाद जैसे ही लोग मलबे से बाहर निकले, तबाही का मंजर साफ दिखा। कई लोगों ने अपने पूरे परिवार को खो दिया। राहत शिविरों में रहने को मजबूर लोग बेहद मुश्किल हालात में हैं।
एक स्थानीय निवासी ने बताया, “हमने सब कुछ खो दिया। घर, जमीन, लोग – अब सिर्फ मलबा बचा है।”
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
म्यांमार में आई इस आपदा पर कई देशों ने संवेदना जताई है और मदद का वादा किया है। भारत, चीन, जापान, अमेरिका और यूरोपीय यूनियन समेत कई देश राहत सामग्री भेज चुके हैं या भेजने की प्रक्रिया में हैं।
भारत की ओर से:
- मेडिकल टीम और राहत सामग्री भेजी गई
- सेना की सहायता से आपदा प्रबंधन टीम एक्टिव
- विदेश मंत्रालय लगातार हालात पर नजर बनाए हुए है
भविष्य की चिंता
भूकंप के बाद से लगातार आफ्टरशॉक्स (छोटे झटके) महसूस किए जा रहे हैं, जिससे लोगों में डर बना हुआ है। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में और भी झटके महसूस हो सकते हैं।
इसके अलावा, खुले में रहने वाले लोगों को बारिश, संक्रमण और भोजन की कमी से अतिरिक्त खतरा है।
म्यांमार के लिए आगे की राह
इस तबाही के बाद म्यांमार के लिए पुनर्निर्माण की राह लंबी और चुनौतीपूर्ण होगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि इसे सदी की सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदाओं में से एक माना जा सकता है। जरूरत है—
- दीर्घकालिक सहायता की
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग की
- पारदर्शी राहत वितरण प्रणाली की
- और सबसे जरूरी, भविष्य में ऐसी आपदाओं से बचाव के लिए मजबूत इन्फ्रास्ट्रक्चर की