प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सऊदी अरब यात्रा शुरू, द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाई देने की तैयारी
नरेंद्र मोदी सऊदी अरब यात्रा: संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम
"प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब यात्रा पर आज से दो दिनों के लिए रवाना हो गए हैं। यह दौरा भारत और सऊदी अरब के बीच रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी को नई दिशा देने वाला माना जा रहा है। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच ऊर्जा, निवेश, डिजिटल अर्थव्यवस्था, और सुरक्षा सहयोग जैसे विषयों पर चर्चा होगी।"
क्यों अहम है नरेंद्र मोदी की यह सऊदी अरब यात्रा?
सऊदी अरब, भारत का एक महत्वपूर्ण रणनीतिक और व्यापारिक साझेदार है।
- भारत की ऊर्जा ज़रूरतों का एक बड़ा हिस्सा सऊदी अरब से आता है।
- खाड़ी क्षेत्र में रहने वाले भारतीय प्रवासी सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देते हैं।
- दोनों देशों के बीच रक्षा, आतंकवाद विरोध, और व्यापार जैसे क्षेत्रों में सहयोग पहले से जारी है।
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा इन संबंधों को और भी गहरा करने का प्रयास है।
यात्रा का मुख्य एजेंडा क्या है?
प्रधानमंत्री की यात्रा का फोकस चार मुख्य क्षेत्रों पर है:
- ऊर्जा सहयोग: सऊदी अरब, भारत का सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता है। दोनों देश ऊर्जा सुरक्षा के लिए दीर्घकालिक समझौते कर सकते हैं।
- निवेश: सऊदी कंपनियों द्वारा भारत के बुनियादी ढांचे, टेक्नोलॉजी और पर्यटन में निवेश पर बातचीत होगी।
- रणनीतिक सुरक्षा: क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद के खिलाफ सहयोग और रक्षा उत्पादन पर चर्चा होगी।
- प्रवासी भारतीय: खाड़ी देशों में रह रहे भारतीयों के अधिकारों और सुरक्षा को लेकर बातचीत होगी।
भारत-सऊदी अरब संबंधों का संक्षिप्त इतिहास
भारत और सऊदी अरब के बीच कूटनीतिक संबंध 1955 से हैं।
- 2016 में ‘स्टैटेजिक पार्टनरशिप काउंसिल’ की स्थापना हुई।
- 2019 में सऊदी अरब ने भारत में $100 अरब निवेश की योजना की घोषणा की।
- पिछले वर्षों में दोनों देशों ने व्यापार को दुगुना करने का लक्ष्य रखा है।
सऊदी अरब में मोदी की पिछली यात्राएं
प्रधानमंत्री मोदी इससे पहले:
- 2016 में सऊदी अरब गए थे, जहां उन्हें ‘सऊदी के सर्वोच्च नागरिक सम्मान’ से नवाजा गया था।
- उन्होंने 2019 में फ्यूचर इन्वेस्टमेंट इनिशिएटिव में भाग लिया था।
इस बार की यात्रा को पहले से अधिक रणनीतिक और व्यावहारिक माना जा रहा है।
संभावित समझौते और घोषणाएं
इस दौरे के दौरान निम्नलिखित क्षेत्रों में समझौते हो सकते हैं:
- ग्रीन एनर्जी और हाइड्रोजन गैस परियोजनाएं
- भारत-सऊदी डिजिटल ब्रिज कार्यक्रम
- रेल और बंदरगाह विकास समझौते
- स्वास्थ्य और फार्मा इंडस्ट्री सहयोग
भारतीय समुदाय की भूमिका और अपेक्षाएं
सऊदी अरब में करीब 25 लाख भारतीय प्रवासी रहते हैं। ये लोग:
- स्थानीय उद्योग में मेहनत करते हैं
- भारत को हर साल अरबों डॉलर की विदेशी मुद्रा भेजते हैं
- भारतीय संस्कृति के दूत की तरह काम करते हैं
प्रधानमंत्री की यात्रा से भारतीय समुदाय को:
- श्रम अधिकारों में सुधार
- पासपोर्ट और वीजा प्रक्रियाओं में सुगमता
- सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मान्यता जैसी उम्मीदें हैं।
खाड़ी क्षेत्र में भारत की रणनीति
भारत अब ‘लुक वेस्ट’ पॉलिसी के तहत खाड़ी देशों से रिश्तों को प्राथमिकता दे रहा है। सऊदी अरब, यूएई और ओमान जैसे देश भारत के:
- ऊर्जा सुरक्षा
- नौवहन मार्गों की सुरक्षा
- आर्थिक विकास रणनीति के अहम भागीदार बन चुके हैं।
वैश्विक संदर्भ में यह यात्रा क्यों महत्वपूर्ण?
दुनिया में:
- तेल की कीमतों में अस्थिरता
- ईरान और इस्राइल जैसे देशों के बीच तनाव
- यूक्रेन-रूस युद्ध के असर
इन सबके बीच भारत और सऊदी अरब के बीच भरोसेमंद साझेदारी एक स्थायित्व का संकेत देती है।
