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एनएच-66 ढलान गिरने की घटना पर एनएचएआई की सख्त कार्रवाई: मेघा इंजीनियरिंग एक वर्ष के लिए प्रतिबंधित

"केरल के कासरगोड जिले में एनएच-66 के चेंगाला-नीलेश्वरम खंड पर 16 जून 2025 को हुए ढलान संरक्षण कार्यों के गिरने की गंभीर घटना ने राष्ट्रीय राजमार्गों की निर्माण गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस दुर्घटना के बाद भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने मेसर्स मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को कड़ी कार्रवाई के तहत भविष्य की परियोजनाओं में भाग लेने से प्रतिबंधित कर दिया है।"


घटना का विवरण: क्या हुआ चेरक्काला में?

कासरगोड जिले के चेरक्काला क्षेत्र में एनएच-66 पर हो रहे ढलान संरक्षण कार्य अचानक गंभीर क्षति के शिकार हुए, जिससे सड़क की संरचना पर खतरा उत्पन्न हुआ।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह ढलान ढहने की घटना खराब डिजाइन, अपर्याप्त ढलान सुरक्षा, और जल निकासी की विफलता के कारण हुई।


रियायतकर्ता पर कार्रवाई: प्रतिबंध और जुर्माना

एनएचएआई ने मेघा इंजीनियरिंग को भेजे कारण बताओ नोटिस में बताया:

  • कंपनी को 1 वर्ष तक किसी भी नई परियोजना की बोली लगाने से प्रतिबंधित किया जाता है।
  • उन पर ₹9 करोड़ तक का मौद्रिक जुर्माना भी लगाया गया है।
  • कंपनी को इस खंड के ढलान कार्यों का पुनर्निर्माण स्वयं के खर्च पर करना होगा।

परियोजना की प्रकृति: हाइब्रिड एन्युटी मोड (HAM)

यह परियोजना Hybrid Annuity Model (HAM) पर आधारित है, जिसमें:

  • निर्माण की आंशिक लागत सरकार देती है,
  • शेष लागत रियायतग्राही वहन करता है,
  • और उसे 15 वर्षों तक रखरखाव की जिम्मेदारी दी जाती है।

इस मॉडल में निर्माण के बाद दोषपूर्ण कार्यों का दायित्व पूरी तरह रियायतकर्ता का होता है।


विशेषज्ञ समिति की गठन: तकनीकी समीक्षा की तैयारी

एनएचएआई ने ढलान गिरने की घटना की गहन तकनीकी समीक्षा के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है, जिसमें शामिल हैं:

  • सीआरआरआई (केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान) के वरिष्ठ वैज्ञानिक,
  • आईआईटी-पलक्कड़ के सेवानिवृत्त प्रोफेसर,
  • भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) के विशेषज्ञ।
समिति की भूमिका:
  • घटना स्थल का निरीक्षण करना,
  • डिजाइन और निर्माण गुणवत्ता की समीक्षा करना,
  • रिमेडियल (उपचारात्मक) उपायों का सुझाव देना।

एनएचएआई की सख्ती: निर्माण गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं

एनएचएआई ने स्पष्ट कर दिया है कि बुनियादी ढांचा सुरक्षा के मामलों में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह कार्रवाई एक मजबूत संदेश है कि निर्माण कंपनियों को:

  • उच्च गुणवत्ता मानकों का पालन करना होगा,
  • जल निकासी और ढलान सुरक्षा को प्राथमिकता देनी होगी,
  • और किसी भी विफलता की जवाबदेही तय की जाएगी

केरल में राजमार्ग विकास की दृष्टि से अहम प्रोजेक्ट

एनएच-66 परियोजना केरल के तटीय क्षेत्रों में यातायात और कनेक्टिविटी सुधारने के लिहाज से महत्वपूर्ण है। यह खंड:

  • मुंबई से कन्याकुमारी तक तटीय राजमार्ग का हिस्सा है,
  • जो भारी यातायात और मानसून में जल निकासी की समस्याओं से जूझता है।

इसलिए इस तरह की घटनाएं न केवल निर्माण दोष दर्शाती हैं, बल्कि मानव जीवन के लिए खतरा भी बनती हैं।


जनहित में जवाबदेही की आवश्यकता

प्रशासन और जनता दोनों की मांग है कि:

  • निर्माण कार्यों की स्वतंत्र तकनीकी ऑडिट की व्यवस्था हो,
  • ठेकेदारों और कंपनियों की पृष्ठभूमि की सघन जांच हो,
  • और ऐसी घटनाओं पर त्वरित कार्रवाई और पारदर्शिता सुनिश्चित हो।

"एनएच-66 ढलान गिरने की घटना बुनियादी ढांचे में जवाबदेही और तकनीकी सावधानी की आवश्यकता को उजागर करती है।
एनएचएआई की त्वरित कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन दीर्घकालिक समाधान के लिए गुणवत्ता आधारित टेंडरिंग, मजबूत निगरानी, और समयबद्ध मरम्मत योजनाओं का अनिवार्य होना आवश्यक है।"

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