यूपीआई पर लेनदेन शुल्क का कोई प्रस्ताव नहीं: केंद्र सरकार ने फिर किया स्पष्ट
यूपीआई पर लेनदेन शुल्क से साफ इनकार
“केंद्र सरकार ने सोमवार को एक बार फिर स्पष्ट किया कि यूपीआई पर लेनदेन शुल्क लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में लिखित जवाब में कहा कि भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम 2007 की धारा 10A के तहत किसी भी बैंक या सिस्टम प्रदाता को यूपीआई पर शुल्क लगाने की अनुमति नहीं है। साथ ही, सीबीडीटी ने यूपीआई और रुपे डेबिट कार्ड को शुल्क-मुक्त भुगतान माध्यमों के रूप में अधिसूचित किया है।”
यूपीआई सेवाओं के लिए प्रोत्साहन योजना
सरकार ने यूपीआई की आसान और निर्बाध उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए वित्त वर्ष
2021-22 से
2024-25 तक प्रोत्साहन योजना लागू की।
- इस अवधि में इकोसिस्टम पार्टनर्स को लगभग 8,730 करोड़ रुपये का समर्थन दिया गया।
- यह कदम डिजिटल भुगतान नेटवर्क को मजबूत करने में अहम साबित हुआ।
यूपीआई लेनदेन में रिकॉर्ड वृद्धि
यूपीआई की लोकप्रियता पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ी है।
- वित्त वर्ष 2017-18 में लेनदेन: 92 करोड़
- वित्त वर्ष 2024-25 में लेनदेन: 18,587 करोड़
- यह 114% CAGR की वृद्धि को दर्शाता है।
लेनदेन का मूल्य:
- 2017-18 में 1.10 लाख करोड़ रुपये
- 2024-25 में 261 लाख करोड़ रुपये
सिर्फ जुलाई
2025 में ही यूपीआई ने
1,946.79 करोड़ लेनदेन का नया रिकॉर्ड बनाया।
डिजिटल भुगतान का व्यापक विस्तार
डिजिटल भुगतान का दायरा यूपीआई से आगे बढ़ते हुए अन्य माध्यमों में भी तेजी से फैला है।
- 2017-18 में कुल डिजिटल भुगतान लेनदेन: 2,071 करोड़
- 2024-25 में बढ़कर: 22,831 करोड़
- इस दौरान CAGR: 41%
लेनदेन का मूल्य भी
2017-18 के
1,962 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर
2024-25 में
3,509 लाख करोड़ रुपये तक पहुँच गया।
डिजिटल इंडिया का मजबूत स्तंभ
यूपीआई की शुल्क-मुक्त नीति ने भारत को डिजिटल भुगतान में वैश्विक अग्रणी बनाया है।
- यह प्रणाली उपयोगकर्ताओं के लिए न केवल आसान है, बल्कि सस्ती भी है।
- सरकार की प्रोत्साहन योजनाओं ने इस इकोसिस्टम को और मजबूत किया।
- यूपीआई अब कैशलेस इंडिया और डिजिटल अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार बन चुका है।
“केंद्र सरकार के स्पष्ट बयान के बाद यह साफ हो गया है कि यूपीआई पर लेनदेन शुल्क लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। आने वाले समय में भी यूपीआई भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था की रीढ़ बना रहेगा और विश्व स्तर पर देश की पहचान और मजबूत करेगा।”