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नागालैंड के वोखा में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थानों की उच्च स्तरीय बैठक

"केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने नागालैंड के वोखा जिले में एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें पूर्वोत्तर भारत में संचालित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थानों की प्रगति की समीक्षा की गई। इस समीक्षा बैठक का उद्देश्य इस क्षेत्र को भारत के नवाचार और अवसर के हब में बदलने की दिशा में उठाए गए कदमों का आकलन करना था।"


पूर्वोत्तर क्षेत्र की वैज्ञानिक क्षमताओं का दोहन ज़रूरी

डॉ. सिंह ने बैठक में कहा कि भारत में विज्ञान और नवाचार को केवल प्रमुख शहरों तक सीमित नहीं रखा जाना चाहिए। पूर्वोत्तर जैसे अल्पज्ञात क्षेत्रों में अप्रयुक्त वैज्ञानिक क्षमता को पहचाना जाना चाहिए और उसे राष्ट्रीय विकास में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर भारत को "बाधाओं को तोड़ने" के दृष्टिकोण से देखा जा रहा है, और अब यह क्षेत्र भारत के भविष्य के लिए केंद्रीय भूमिका निभाने को तैयार है।


कृषि से पर्यटन तक: समग्र विकास की दिशा में अग्रसर पूर्वोत्तर

डॉ. जितेंद्र सिंह ने वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ODOP) योजना की सफलता का उदाहरण देते हुए केले की खेती के जरिए वोखा जिले की राष्ट्रीय पहचान को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि इस मॉडल को व्यावसायिक स्तर पर विस्तारित किया जा सकता है, जिससे स्थानीय लोगों को आजीविका मिलेगी और क्षेत्रीय विशेषताओं को बल मिलेगा।


महिला नेतृत्व की विरासत: पूर्वोत्तर की असली ताकत

डॉ. सिंह ने विशेष रूप से पूर्वोत्तर में महिलाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा:

“यह क्षेत्र एकमात्र ऐसा है जहां महिलाएं पारंपरिक रूप से भी आर्थिक और सामाजिक नेतृत्व करती आई हैं – मछली बाजारों से लेकर घरों तक।”

उन्होंने स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि महिलाएं नवाचार, उद्यमिता और विज्ञान में भी नेतृत्व करें।


नारी शक्ति और विज्ञान: राष्ट्रीय मिशनों में महिला वैज्ञानिकों की भागीदारी

डॉ. सिंह ने इस बात पर गर्व व्यक्त किया कि भारत के चंद्रयान, आदित्य-एल1 और अन्य वैज्ञानिक अभियानों में महिला वैज्ञानिकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने पूर्वोत्तर की महिलाओं से आह्वान किया कि वे इस वैज्ञानिक और तकनीकी नेतृत्व को और आगे बढ़ाएं।


प्रधानमंत्री मोदी का पूर्वोत्तर के प्रति दृष्टिकोण

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 से अब तक 70 से अधिक बार पूर्वोत्तर भारत का दौरा किया है। उनका मुख्य उद्देश्य इस क्षेत्र को मुख्यधारा में लाना और मानसिक व भौतिक दूरी को समाप्त करना रहा है। इस नीति के तहत पूर्वोत्तर अब केवल भौगोलिक सीमा नहीं, बल्कि विकास का नया केंद्र बनता जा रहा है।


वैज्ञानिक संस्थानों का योगदान: बैठक के प्रमुख बिंदु

बैठक में निम्नलिखित संस्थानों और विभागों ने हिस्सा लिया:

  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग
  • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय
  • जैव प्रौद्योगिकी विभाग
  • भारतीय सर्वेक्षण विभाग

सभी संस्थानों ने पूर्वोत्तर में संचालित परियोजनाओं, नवाचार मॉडल, ग्रामीण विज्ञान अभियानों और जैव विविधता आधारित अनुसंधान की जानकारी दी।


स्थानीय युवाओं में आत्मनिर्भरता की भावना

डॉ. सिंह ने कहा कि अब नागालैंड और मणिपुर के युवा आत्मविश्वास से विमानन, आतिथ्य, तकनीकी और उद्यमिता क्षेत्रों में आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने हाल की घटनाओं के माध्यम से भावुक रूप से यह जताया कि यह क्षेत्र अब संभावनाओं और क्षमताओं की पहचान बन चुका है।


2047 का लक्ष्य: विकसित भारत में पूर्वोत्तर की भूमिका

बैठक के समापन में डॉ. सिंह ने कहा कि भारत के 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य में पूर्वोत्तर भारत एक प्रेरक शक्ति बनकर उभरेगा। यह क्षेत्र न केवल संसाधनों का स्रोत बनेगा, बल्कि वैश्विक नवाचार केंद्र के रूप में भी स्थापित होगा।

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