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अंतरराष्ट्रीय चीता दिवस 2024: एमपी का रातापानी बना देश का 57वां टाइगर रिजर्व

अंतरराष्ट्रीय चीता दिवस 2024 के अवसर पर, मध्य प्रदेश के रातापानी को देश का 57वां टाइगर रिजर्व घोषित किया गया है। यह कदम न केवल बाघों के संरक्षण के लिए एक बड़ी पहल है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।

रातापानी टाइगर रिजर्व की खासियत

रातापानी टाइगर रिजर्व अपनी जैव विविधता और समृद्ध वन्यजीवों के लिए प्रसिद्ध है। यह क्षेत्र मध्य प्रदेश में भोपाल और रायसेन जिलों के बीच फैला हुआ है। बाघों के साथ-साथ यहां तेंदुए, भालू, और कई दुर्लभ प्रजातियों के लिए भी यह सुरक्षित स्थान है।

टाइगर रिजर्व बनने का महत्व

रातापानी को टाइगर रिजर्व घोषित किए जाने से यहां बाघों की सुरक्षा और उनके आवास संरक्षण को मजबूती मिलेगी। साथ ही, यह कदम पर्यावरण संरक्षण और पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में सहायक होगा।

चीता संरक्षण और रातापानी का योगदान

अंतरराष्ट्रीय चीता दिवस के अवसर पर यह घोषणा बाघ और अन्य जंगली जीवों के संरक्षण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। रातापानी में न केवल बाघ बल्कि अन्य विलुप्तप्राय जीवों को भी संरक्षण मिलेगा।

पर्यावरण पर्यटन को बढ़ावा

रातापानी टाइगर रिजर्व पर्यावरण पर्यटन को भी बढ़ावा देगा। इससे न केवल स्थानीय समुदायों को रोजगार के अवसर मिलेंगे, बल्कि लोगों में वन्यजीवों और पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी।

सरकार की पहल

मध्य प्रदेश सरकार और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने रातापानी को टाइगर रिजर्व बनाने के लिए लंबे समय से प्रयास किए थे। यह फैसला बाघों की घटती संख्या को रोकने और उनके प्राकृतिक आवास को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से लिया गया

रातापानी टाइगर रिजर्व का 57वें टाइगर रिजर्व के रूप में चयन भारत की वन्यजीव संरक्षण नीति का एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल बाघों के संरक्षण में मदद करेगा, बल्कि वन्यजीव और मानव के बीच सामंजस्य स्थापित करने का उदाहरण भी बनेगा।

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