ओडिशा में 17 साल के लड़के ने 12 साल के भाई की हत्या की, वजह ने सबको चौंकाया
ओडिशा में भाई ने भाई की हत्या की, माता-पिता के प्यार में भेदभाव का था शक
“ओडिशा के बलांगीर जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां 17 वर्षीय एक लड़के ने अपने 12 साल के छोटे भाई की बेरहमी से हत्या कर दी। वजह बेहद चौंकाने वाली थी — आरोपी को लगता था कि उसके माता-पिता छोटे भाई से ज्यादा प्यार करते हैं और उसे नज़रअंदाज़ करते हैं। यह मामला 45 दिन तक पुलिस और परिजनों के लिए एक रहस्य बना रहा। लेकिन हाल ही में मिली एक अहम सुराग ने पूरी सच्चाई उजागर कर दी।”
45 दिनों तक लापता था छोटा भाई
घटना
28 जून की शाम की है, जब
12 वर्षीय बच्चा अचानक गायब हो गया। माता-पिता, रिश्तेदार और पुलिस लगातार उसकी तलाश करते रहे। शुरुआत में पुलिस को शक था कि यह बाल तस्करी का मामला हो सकता है। लेकिन
45 दिनों तक खोजबीन के बावजूद कोई सुराग नहीं मिला।
पुलिस को ऐसे हुआ शक
आरोपी की मां ने पुलिस को एक अहम बात बताई। उन्होंने कहा कि जिस दिन उनका बेटा लापता हुआ, उसी दिन बड़ा बेटा (आरोपी) घर का फर्श धो रहा था। चूंकि वह ऐसा कभी नहीं करता था, पुलिस को यह असामान्य लगा।
जब पुलिस ने इस बारे में पूछताछ की, तो आरोपी घबरा गया और आखिरकार उसने अपना अपराध कबूल कर लिया।
चाकू से हमला और शव छिपाने की कोशिश
पुलिस के अनुसार, आरोपी ने छोटे भाई पर चाकू से हमला किया। हत्या के बाद उसने खून के निशान मिटाने के लिए फर्श साफ किया। फिर घर में मौजूद एक फावड़े से गड्ढा खोदकर शव को दफना दिया।
लेकिन डर के कारण उसने उसी रात शव को घर से बाहर ले जाकर पास में ही दूसरी जगह दफना दिया, ताकि माता-पिता को शक न हो।
घर के बाहर से बरामद हुआ शव
पुलिस अधीक्षक (उत्तरी रेंज) हिमांशु कुमार लाल ने बताया कि आरोपी की निशानदेही पर शव को बाहर से बरामद किया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण चाकू से गंभीर चोट बताया गया।
माता-पिता की स्थिति और पृष्ठभूमि
आरोपी के माता-पिता दिहाड़ी मजदूर हैं। उन्होंने
29 जून को टिटलागढ़ पुलिस स्टेशन में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। घटना के बाद से पूरा परिवार सदमे में है।
हत्या की वजह — भावनात्मक उपेक्षा
पुलिस पूछताछ में आरोपी ने बताया कि उसे लगता था कि उसके माता-पिता छोटे भाई पर ज्यादा ध्यान देते हैं और उसे नज़रअंदाज़ करते हैं। इसी कारण वह मानसिक रूप से आक्रोशित हो गया और गुस्से में यह कदम उठा लिया।
नाबालिग आरोपी पर कानूनी कार्रवाई
चूंकि आरोपी नाबालिग है, उसे
CICL (Children in Conflict with Law) की श्रेणी में रखा गया है। केस की सुनवाई जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के तहत होगी।
पारिवारिक लापरवाही और पैरेंटिंग की सीख
यह घटना इस बात का उदाहरण है कि बच्चों की भावनात्मक ज़रूरतों की अनदेखी कितनी खतरनाक हो सकती है। पैरेंटिंग में प्यार का संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है, ताकि बच्चे खुद को उपेक्षित महसूस न करें।
समाज के लिए चेतावनी
ऐसे मामले हमें यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि केवल भोजन और कपड़े देना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि बच्चों को भावनात्मक सुरक्षा और समान प्यार देना भी उतना ही जरूरी है।
“ओडिशा में हुई इस दिल दहला देने वाली घटना ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है। यह केवल एक अपराध की कहानी नहीं, बल्कि भावनात्मक उपेक्षा और पारिवारिक असंतुलन का परिणाम है।”