ऑपरेशन महादेव: पहलगाम आतंकी हमले में शामिल तीनों आतंकियों का खात्मा, जानिए पूरा घटनाक्रम
ऑपरेशन महादेव के तहत आतंकियों का खात्मा: संसद में अमित शाह ने बताया पूरा घटनाक्रम
“जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में शामिल तीनों आतंकियों को सुरक्षाबलों ने एक बड़े अभियान में मार गिराया है। इस ऑपरेशन का नाम दिया गया था – “ऑपरेशन महादेव”। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में इस अभियान की पूरी जानकारी दी और इसके तहत किए गए कदमों की टाइमलाइन भी साझा की।”
23 अप्रैल को हुई सुरक्षा मीटिंग से हुई शुरुआत
इस ऑपरेशन की शुरुआत 23 अप्रैल को एक उच्चस्तरीय सुरक्षा मीटिंग के साथ हुई थी। इस मीटिंग में यह तय किया गया कि पहलगाम हमले को अंजाम देने वाले आतंकियों को हर हाल में पकड़ा जाएगा और उन्हें पाकिस्तान भागने से रोका जाएगा। सुरक्षाबलों ने इसकी पूरी तैयारी कर ली थी और सीमाओं की कड़ी निगरानी शुरू कर दी गई थी।
22 मई को आईबी को मिली अहम सूचना
22 मई को खुफिया विभाग (आईबी) को ह्यूमन इंटेलिजेंस के जरिए सूचना मिली कि दाचीगाम क्षेत्र में तीन आतंकियों की मौजूदगी देखी गई है। इन आतंकियों की पहचान बाद में सुलेमान, अफगान और जिबरान के रूप में हुई। इस सूचना की पुष्टि करने के लिए सुरक्षाबलों ने मई से जुलाई तक निरंतर निगरानी रखी और संदिग्ध गतिविधियों पर नजर बनाए रखी।
सेंसर और तकनीक के माध्यम से हुई पुष्टि
लगातार प्रयासों के बाद 22 जुलाई को सेना को बड़ी सफलता मिली। विभिन्न सेंसर और तकनीकी निगरानी उपकरणों के जरिए यह पुष्टि हो गई कि इलाके में आतंकवादी छिपे हुए हैं। इसके बाद ऑपरेशन को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया शुरू हुई।
सैन्य और पुलिस बलों ने मिलकर किया घेराबंदी
इस ऑपरेशन की अगुवाई सेना की 4 पैरा यूनिट ने की। साथ में सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों ने संयुक्त रूप से आतंकियों की घेराबंदी की। 28 जुलाई को यह ऑपरेशन अंजाम तक पहुंचा और तीनों आतंकवादी मारे गए।
पहले ही गिरफ्तार किए गए थे मददगार
गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) ने पहले ही उन लोगों को गिरफ्तार कर लिया था जो इन आतंकियों को पनाह और खाना दे रहे थे। इससे सुरक्षाबलों को ऑपरेशन को सफल बनाने में अहम मदद मिली।
पहचान की गई शवों की
28 जुलाई को जब आतंकियों के शव श्रीनगर लाए गए, तब चार गवाहों से इनकी पहचान कराई गई। सभी गवाहों ने स्पष्ट रूप से पुष्टि की कि ये वही तीन लोग थे जिन्होंने पहलगाम में निर्दोष नागरिकों पर हमला किया था। हालांकि, सरकार ने इस पर तुरंत यकीन नहीं किया और तकनीकी पुष्टि का भी इंतजार किया।
एफएसएल रिपोर्ट और हथियारों से मिला पक्का सबूत
पहलगाम हमले के दौरान घटनास्थल से जो कारतूस मिले थे, उनकी फॉरेंसिक जांच पहले ही की जा चुकी थी। जब आतंकवादी मारे गए, तब उनके पास एक अमेरिकन राइफल और दो AK-47 बरामद हुईं। इन राइफलों और कारतूसों को विशेष विमान द्वारा चंडीगढ़ की प्रयोगशाला भेजा गया। जांच में यह सिद्ध हो गया कि यही राइफलें पहलगाम हमले में इस्तेमाल हुई थीं।
ऑपरेशन महादेव की सफलता का राष्ट्रीय महत्व
ऑपरेशन महादेव केवल तीन आतंकियों के मारे जाने तक सीमित नहीं था। इस ऑपरेशन ने यह भी दिखा दिया कि भारत की खुफिया और सुरक्षाबल एकजुट होकर कितनी गंभीरता से काम करते हैं। इस मिशन में तकनीक, मानव संसाधन, सैन्य तालमेल और धैर्य – चारों की उत्कृष्ट मिसाल देखने को मिली।
कठिन पहाड़ी इलाकों में ऑपरेशन को अंजाम देना एक बड़ी चुनौती
इस ऑपरेशन को अंजाम देना इसलिए भी मुश्किल था क्योंकि आतंकवादी बेहद कठिन भौगोलिक क्षेत्र में छिपे हुए थे। ऊंचाई वाले इलाकों में नेटवर्क सिग्नल और फिजिकल मूवमेंट की कठिनाइयों के बावजूद, सुरक्षाबलों ने शानदार समन्वय दिखाया।
संदेश साफ है: आतंकवाद को नहीं मिलेगी बख्शीश
गृह मंत्री अमित शाह ने अपने वक्तव्य में यह भी स्पष्ट कर दिया कि भारत में आतंक फैलाने की किसी भी कोशिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ऑपरेशन महादेव इसका एक स्पष्ट संदेश है कि सुरक्षा बल आतंकवादियों को उनके अंजाम तक पहुंचाने में सक्षम और तैयार हैं।
“हालांकि किसी भी ऑपरेशन के बाद निष्कर्ष निकालना जल्दीबाजी हो सकती है, लेकिन ऑपरेशन महादेव ने यह दिखा दिया कि सुरक्षा व्यवस्था और खुफिया तंत्र की संगठित रणनीति से आतंकवाद को जड़ से समाप्त किया जा सकता है।”
