पहलगाम आतंकी हमला: जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सुरक्षा और शांति पर विशेष चर्चा
पहलगाम आतंकी हमला: विधानसभा सत्र में सुरक्षा और स्थिरता पर केंद्रित चर्चा
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई, जिससे पूरे देश में आक्रोश फैल गया। इसी पृष्ठभूमि में, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए एक दिवसीय विशेष विधानसभा सत्र आहूत किया है।
जम्मू में आयोजित होगा विशेष सत्र
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 18(1) के तहत मिली शक्तियों का प्रयोग करते हुए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सोमवार 28 अप्रैल को सुबह 10:30 बजे विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया। इस सत्र का मुख्य उद्देश्य पहलगाम हमले के बाद उत्पन्न सुरक्षा स्थिति, क्षेत्रीय स्थिरता और आतंकवाद के विरुद्ध उठाए जाने वाले कदमों पर चर्चा करना है।
मंत्रिमंडल ने की थी सत्र बुलाने की सिफारिश
जम्मू-कश्मीर मंत्रिमंडल ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अध्यक्षता में एक आपात बैठक बुलाई थी। इसमें पहलगाम आतंकी हमले को क्षेत्रीय शांति के लिए गंभीर खतरा बताते हुए उपराज्यपाल को विशेष सत्र बुलाने की सलाह दी गई। बैठक में आतंकवाद के खिलाफ त्वरित और सख्त कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया गया।
पहलगाम हमले के बाद देशभर में आक्रोश
पहलगाम में हुए इस भयावह हमले ने पूरे देश को उद्वेलित कर दिया। आम जनता से लेकर राजनीतिक दलों तक ने पाकिस्तान के खिलाफ कठोर कदम उठाने की मांग की। जवाबी कार्रवाई करते हुए भारत सरकार ने कई अहम निर्णय लिए हैं।
भारत सरकार की बड़ी कार्रवाई
- सिंधु जल समझौते को किया निलंबित: भारत ने पाकिस्तान के साथ हुए ऐतिहासिक सिंधु जल समझौते को निलंबित कर दिया है।
- पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने का आदेश: भारत में शॉर्ट टर्म वीजा पर आए पाकिस्तानी नागरिकों को 27 अप्रैल तक देश छोड़ने का निर्देश दिया गया।
- व्यापार पर रोक: अटारी बॉर्डर के जरिए भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे व्यापार को भी स्थगित कर दिया गया।
- उच्चायोग कर्मचारियों की संख्या घटाई: पाकिस्तान उच्चायोग में कार्यरत कर्मचारियों की संख्या को भी सीमित करने का निर्णय लिया गया।
सीमा पार आवागमन पर प्रभाव
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अमृतसर के अटारी बॉर्डर के रास्ते अब तक 537 पाकिस्तानी नागरिक भारत छोड़ चुके हैं। वहीं, पाकिस्तान में फंसे 1387 भारतीय नागरिक भारत वापस लौट चुके हैं। यह कदम भारत सरकार की आतंकवाद के खिलाफ "जीरो टॉलरेंस" नीति का प्रतिबिंब है।
विधानसभा सत्र से क्या उम्मीदें हैं?
विशेष सत्र के दौरान आतंकवाद के खिलाफ रणनीतिक नीतियों पर विचार किया जाएगा। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सभी दलों से रचनात्मक सहयोग की अपील करते हुए कहा कि यह समय एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाने का है।
सत्र के मुख्य एजेंडा निम्नलिखित हो सकते हैं:
पहलगाम हमले के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देना।
क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत बनाने के उपायों पर चर्चा।
दीर्घकालिक रणनीतियों पर विचार करना।
आतंकवाद से निपटने के लिए नीतिगत बदलावों का प्रस्ताव।
नागरिक सुरक्षा और सामुदायिक जागरूकता अभियान पर जोर देना।
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि यह विशेष सत्र केवल एक आपातकालीन बैठक नहीं है, बल्कि भविष्य के लिए एक दीर्घकालिक नीति बनाने का अवसर है। क्षेत्रीय शांति सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा बलों को और अधिक सशक्त बनाने की जरूरत है।
भारत-पाकिस्तान संबंधों पर असर
पहलगाम हमला भारत-पाकिस्तान संबंधों को और तनावपूर्ण बना चुका है। पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों में अब और अधिक कटुता देखने को मिल रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत सरकार की जीरो-टॉलरेंस नीति आगे भी जारी रहेगी और आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।