‘परीक्षा पे चर्चा 2025’ को मिला गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड, छात्रों की भागीदारी ने रचा इतिहास
परीक्षा पे चर्चा 2025 को मिला गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड, छात्रों की भागीदारी ने रचा इतिहास
“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई लोकप्रिय और प्रभावशाली पहल ‘परीक्षा पे चर्चा 2025’ को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान “एक महीने में नागरिक सहभागिता मंच पर सर्वाधिक वैध पंजीकरण” की श्रेणी में दिया गया है, जिसमें 3.53 करोड़ लोगों ने पंजीकरण कर इस पहल को ऐतिहासिक बना दिया।”
2018 से बना छात्रों का भरोसेमंद मंच
परीक्षा पे चर्चा की शुरुआत वर्ष 2018 में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और माईगव (MyGov) के सहयोग से की गई थी। इसका उद्देश्य था छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों को परीक्षा जैसे तनावपूर्ण समय में सकारात्मक सोच, बेहतर तैयारी और मानसिक मजबूती प्रदान करना। यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संचालित एक ऐसा मंच है, जहां वे विद्यार्थियों के मन की बात सीधे सुनते और उन्हें संबोधित करते हैं। इससे न केवल छात्रों को मार्गदर्शन मिलता है, बल्कि परीक्षा का तनाव कम होता है और वे पूरे आत्मविश्वास के साथ अपनी तैयारी कर पाते हैं।
रिकॉर्ड बना ‘परीक्षा पे चर्चा 2025’ ने
वर्ष 2025 में आयोजित आठवें संस्करण में इस कार्यक्रम को जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली। 3.53 करोड़ वैध पंजीकरण के साथ यह विश्व रिकॉर्ड बना। यह दिखाता है कि कैसे भारत के छात्र, शिक्षक और माता-पिता इस कार्यक्रम से भावनात्मक रूप से जुड़े हैं। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड का आधिकारिक प्रमाण पत्र नई दिल्ली में आयोजित एक विशेष समारोह में सौंपा गया। इस अवसर पर कई प्रमुख केंद्रीय मंत्री और शिक्षा से जुड़े अधिकारी उपस्थित थे।
केंद्रीय मंत्रियों ने दी बधाई
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व ने परीक्षा प्रणाली को एक सकारात्मक, समावेशी और राष्ट्रीय आंदोलन में बदल दिया है। उन्होंने यह भी बताया कि पीपीसी 2025 को 21 करोड़ से अधिक लोगों ने देखा, जो इसे भारत का सबसे व्यापक शैक्षणिक संवाद बनाता है। यह "विकसित भारत 2047" के लक्ष्य की ओर एक सशक्त कदम है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह पहल परीक्षा को तनाव का विषय नहीं, बल्कि एक प्रेरणादायक यात्रा बनाने में सहायक है। उन्होंने यह भी कहा कि गिनीज रिकॉर्ड इस बात का प्रमाण है कि आम जनता का इस कार्यक्रम पर पूरा विश्वास है। राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने तकनीक के जरिए बढ़ती जनभागीदारी की सराहना की और कहा कि इस कार्यक्रम ने शिक्षा के डिजिटलीकरण और पहुंच को नया आयाम दिया है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 से मेल
‘परीक्षा पे चर्चा’ की यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) की सोच के साथ पूरी तरह मेल खाती है। नीति का उद्देश्य है तनावमुक्त, अनुभव आधारित और समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देना। NEP 2020 rote learning (रट्टा प्रणाली) से हटकर आलोचनात्मक सोच, आत्म-अभिव्यक्ति और व्यावहारिक ज्ञान को केंद्र में रखती है। परीक्षा पे चर्चा इस दिशा में सकारात्मक बदलाव का प्रतीक बन गया है। छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के लिए एक साझा मंच इस कार्यक्रम की खासियत यह है कि यह केवल छात्रों तक सीमित नहीं है। इसमें शिक्षक और माता-पिता भी अपनी समस्याओं, चिंताओं और विचारों को साझा करते हैं। प्रधानमंत्री स्वयं संबंधित विषयों पर मार्गदर्शन देते हैं और उनकी सीधी बातचीत का प्रभाव लंबे समय तक रहता है।
डिजिटल और मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अभूतपूर्व पहुंच
पीपीसी 2025 को विभिन्न डिजिटल और मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर 21 करोड़ से अधिक लोगों ने देखा। इसका सीधा प्रसारण टीवी, रेडियो, यूट्यूब, फेसबुक जैसे कई माध्यमों से किया गया। इस व्यापक पहुंच ने इसे भारत के सबसे बड़े संवाद कार्यक्रमों में एक बना दिया है।
जन-जन की पहल बनता कार्यक्रम
अब यह कार्यक्रम सिर्फ सरकार की योजना नहीं, बल्कि हर छात्र और अभिभावक की अपनी पहल बन चुका है। हर वर्ष लाखों छात्र न केवल इसमें भाग लेते हैं, बल्कि अपनी बातें सीधे प्रधानमंत्री से साझा करने का सपना भी साकार होता है। पंजीकरण प्रक्रिया को आसान बनाया गया है, जिससे देश के दूरदराज के क्षेत्रों के छात्र भी इसमें हिस्सा ले सकते हैं। कई राज्यों में इसे स्कूल और शैक्षणिक संस्थानों में स्थानीय भाषा में भी प्रसारित किया जाता है।
“‘परीक्षा पे चर्चा 2025’ को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड से सम्मान मिलना सिर्फ एक पुरस्कार नहीं, बल्कि भारत के बदलते शैक्षणिक दृष्टिकोण की पुष्टि है। यह दर्शाता है कि देश अब परीक्षा को सिर्फ अंक लाने का माध्यम नहीं, बल्कि समग्र विकास का अवसर मानता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह पहल बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य, आत्मविश्वास और उज्जवल भविष्य के निर्माण में निर्णायक भूमिका निभा रही है। भारत की नई पीढ़ी अब परीक्षा से डरती नहीं, बल्कि उसे एक सीढ़ी मानती है अपने सपनों तक पहुंचने की।”
