पटेल नगर बुलडोजर कार्रवाई: रेलवे ने तोड़ी 300 से ज्यादा झुग्गियां, लोग हुए बेघर
"दिल्ली के पटेल नगर रेलवे स्टेशन के पास रामा रोड की शिव बस्ती में पटेल नगर बुलडोजर कार्रवाई के तहत रेलवे प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए रेलवे ट्रैक के नजदीक बनी करीब 300 झुग्गियों को तोड़ दिया। यह कार्रवाई अचानक हुई और इसमें किसी को कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई। इस घटना ने सैकड़ों परिवारों को सड़क पर ला दिया है, जिन्होंने दशकों से इस इलाके को अपना घर बनाया हुआ था।"
30 साल से बसी झुग्गियां, एक दिन में उजड़ गईं ज़िंदगियाँ
शिव बस्ती में रहने वाले कई परिवारों का दावा है कि वे पिछले 25-30 वर्षों से इस बस्ती में रह रहे हैं। बस्ती में अधिकतर मजदूर, दिहाड़ी कामगार और गरीब परिवार रहते हैं जो अपने बच्चों और परिवार के साथ वर्षों से वहीं बसे हुए थे।
लेकिन पटेल नगर बुलडोजर कार्रवाई के तहत रेलवे प्रशासन ने इन घरों को अवैध बताते हुए एक भी नोटिस दिए बिना कार्रवाई कर दी।
रेलवे का दावा: अवैध अतिक्रमण था
रेलवे अधिकारियों ने कहा कि यह जमीन रेलवे की है और उस पर अवैध अतिक्रमण किया गया था। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में कई बार चेतावनी दी गई थी, लेकिन झुग्गीवासियों ने जगह खाली नहीं की। हालांकि, स्थानीय निवासियों का कहना है कि उन्हें कोई नोटिस नहीं मिला और यह कार्रवाई पूरी तरह अचानक थी।
अचानक आई जेसीबी मशीनें और शुरू हो गया विध्वंस
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, सुबह-सुबह कई जेसीबी मशीनें और सुरक्षाकर्मी आए और बिना किसी बातचीत के तोड़फोड़ शुरू कर दी गई। कई परिवारों को अपने सामान तक निकालने का मौका नहीं मिला। छोटे बच्चे, बुज़ुर्ग और महिलाएं खुले में बैठने को मजबूर हो गए।
प्रभावित परिवारों की पीड़ा: “हम अब जाएं तो कहां?”
कार्रवाई के बाद पीड़ित लोगों ने प्रशासन पर मनमानी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बरसात के मौसम में वे अपने छोटे बच्चों के साथ खुले में कैसे रहेंगे? कुछ महिलाओं का कहना था कि उनकी रसोई गैस, कपड़े और ज़रूरी दस्तावेज सब मलबे में दब गए हैं।
कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब झुग्गियां हटाई गईं, तो क्या सरकार या रेलवे प्रशासन ने इन लोगों के पुनर्वास की कोई योजना बनाई थी? स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्हें किसी भी तरह की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं दी गई है।
मानवाधिकार संगठनों की प्रतिक्रिया
इस मामले पर कई सामाजिक संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि इस तरह की बुलडोजर कार्रवाई मानवता के खिलाफ है। किसी को भी बिना नोटिस और पुनर्वास के बेघर करना कानूनी और नैतिक दोनों ही दृष्टिकोण से गलत है।
सरकार की भूमिका पर उठे सवाल
राजनीतिक दलों और समाजसेवियों ने भी सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि एक तरफ सरकार गरीबों के लिए योजनाएं चलाने का दावा करती है, वहीं दूसरी ओर उनके घरों को तोड़ा जा रहा है।
🔍 कई अहम सवाल अब भी बाकी हैं
- क्या झुग्गीवासियों को पहले से नोटिस दिया गया था?
- अगर ये झुग्गियां अवैध थीं, तो सरकार ने पिछले 30 वर्षों तक इन्हें क्यों नहीं हटाया?
- क्या इतने बड़े पैमाने पर की गई कार्रवाई के लिए मानवीय दृष्टिकोण से कोई योजना बनाई गई थी?
- बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों के लिए सरकार ने कोई राहत केंद्र स्थापित किए हैं?