पेप्टिडोमिमेटिक्स: मस्तिष्क रोगों के इलाज में भारतीय वैज्ञानिकों की नई खोज
“मस्तिष्क रोगों के इलाज की दिशा में भारत की बड़ी उपलब्धि”
भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत कार्यरत इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (IASST) के वैज्ञानिकों ने पेप्टिडोमिमेटिक्स नामक एक नई श्रेणी की दवाएं खोजी हैं। यह खोज अल्जाइमर और पार्किंसन जैसी गंभीर मस्तिष्क बीमारियों के इलाज में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकती है।
इन दवाओं को लेकर किया गया अध्ययन प्रतिष्ठित ‘Drug Discovery Today’ जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
क्या हैं पेप्टिडोमिमेटिक्स?
कृत्रिम रूप से बनाई गई दवाएं
पेप्टिडोमिमेटिक्स वे दवाएं होती हैं जो प्राकृतिक प्रोटीन की तरह काम करती हैं, लेकिन उन्हें रासायनिक रूप से डिज़ाइन किया जाता है।
इनका मुख्य उद्देश्य है न्यूरॉन्स की सुरक्षा और वृद्धि को बढ़ावा देना, जो मस्तिष्क रोगों के इलाज में अत्यंत आवश्यक है।
मस्तिष्क रोगों में पेप्टिडोमिमेटिक्स की भूमिका
अल्जाइमर और पार्किंसन जैसी बीमारियों पर असर
आज पूरी दुनिया में अल्जाइमर और पार्किंसन जैसी न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
इन बीमारियों में मस्तिष्क की कोशिकाएं धीरे-धीरे नष्ट हो जाती हैं, जिससे स्मृति, सोचने और चलने की क्षमता पर असर पड़ता है।
पेप्टिडोमिमेटिक्स दवाएं इन कोशिकाओं को:
- संरक्षण प्रदान करती हैं
- न्यूरोट्रांसमीटर गतिविधि को स्थिर करती हैं
- मस्तिष्क में लक्षित स्थान पर काम करती हैं
पारंपरिक न्यूरोट्रोफिन्स की सीमाएं
जल्दी खराब होने की समस्या
अब तक जो न्यूरोट्रोफिन्स (प्राकृतिक प्रोटीन) इस्तेमाल किए जाते थे, वे:
- शरीर में जल्दी नष्ट हो जाते थे
- मस्तिष्क तक सही से नहीं पहुंच पाते थे
- असर अल्पकालिक रहता था
पेप्टिडोमिमेटिक्स का लाभ
इन दवाओं की खासियत है:
- लंबे समय तक सक्रिय रहना
- टिकाऊ संरचना
- शरीर में प्राकृतिक तत्वों की तरह व्यवहार करना
शोध की प्रमुख बातें
इस शोध का नेतृत्व प्रोफेसर आशीष के. मुखर्जी ने किया।
उन्होंने बताया कि:
- दवाओं को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि वे सिर्फ जरूरत वाले स्थानों पर ही काम करती हैं, जिससे साइड इफेक्ट्स कम होते हैं।
- ये दवाएं अन्य रोगों जैसे कैंसर में भी उपयोग की जा सकती हैं।
कैसे पहुंचती हैं ये दवाएं मस्तिष्क तक?
रक्त-मस्तिष्क बाधा पार करना
मस्तिष्क में किसी भी दवा को भेजना एक बड़ी चुनौती होती है क्योंकि शरीर की blood-brain barrier बहुत सख्त होती है।
पेप्टिडोमिमेटिक्स इस बाधा को पार करके सीधे दिमाग के लक्षित हिस्सों में पहुंचने की क्षमता रखती हैं।
क्या हैं भविष्य की संभावनाएं?
अन्य रोगों में संभावनाएं
वैज्ञानिकों का मानना है कि इस खोज से:
- नई दवाओं का विकास तेज होगा
- न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का इलाज आसान हो सकेगा
- मेडिकल रिसर्च को नई दिशा मिलेगी
समाज और चिकित्सा क्षेत्र पर प्रभाव
बेहतर जीवनशैली की ओर कदम
इस खोज से उन मरीजों को राहत मिलेगी जो:
- लंबे समय से मस्तिष्क विकारों से जूझ रहे हैं
- पारंपरिक दवाओं से परिणाम नहीं पा सके हैं
- बेहतर जीवन की उम्मीद कर रहे हैं
भारत की वैज्ञानिक ताकत
यह शोध दिखाता है कि भारत स्वदेशी शोध और नवाचार में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
IASST की टीम ने न केवल एक नई चिकित्सा विधा विकसित की है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की प्रतिष्ठा भी बढ़ाई है।
पेप्टिडोमिमेटिक्स दवाएं मस्तिष्क रोगों के लिए एक नई आशा की किरण हैं।
यह खोज आने वाले वर्षों में दिमागी बीमारियों के इलाज को आसान, सुरक्षित और अधिक प्रभावी बना सकती है।
भारत के वैज्ञानिकों द्वारा की गई यह पहल न केवल चिकित्सा विज्ञान में योगदान है, बल्कि देश को आत्मनिर्भर और उन्नत स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की ओर भी ले जाती है।