पीएम मोदी की साइप्रस यात्रा: भारत-यूरोपीय संघ के रिश्तों को मिलेगी मजबूती
"प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साइप्रस यात्रा भारत की वैश्विक कूटनीतिक नीति की दिशा में एक मजबूत कदम है। यह यात्रा न सिर्फ भारत और साइप्रस के बीच द्विपक्षीय संबंधों को सशक्त करेगी, बल्कि यूरोपीय संघ के साथ भारत की रणनीतिक साझेदारी को भी नई ऊंचाई प्रदान करेगी।"
एस. जयशंकर ने बताया यात्रा का कूटनीतिक महत्व
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साइप्रस के लारनाका अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर वहां के विदेश मंत्री कॉन्स्टेंटिनोस कोम्बोस से मुलाकात के बाद कहा कि प्रधानमंत्री की यह यात्रा दीर्घकालिक संबंधों और रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करेगी। उन्होंने विश्वास जताया कि यह भारत-यूरोपीय संघ के रिश्तों को एक नई दिशा देगी।
साइप्रस में पीएम मोदी का गर्मजोशी से स्वागत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का साइप्रस में गर्मजोशी से स्वागत किया गया। एयरपोर्ट पर साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस और वित्त मंत्री कोम्बोस ने खुद उनका स्वागत किया। यह स्वागत दोनों देशों के ऐतिहासिक संबंधों की झलक दिखाता है। साइप्रस के राष्ट्रपति ने सोशल मीडिया पर लिखा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, साइप्रस में आपका स्वागत है।”
प्रधानमंत्री मोदी का संदेश: यह यात्रा बढ़ाएगी भारत-साइप्रस मित्रता
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह यात्रा भारत-साइप्रस संबंधों को व्यापार, निवेश और अन्य क्षेत्रों में नई गति देगी।” उन्होंने साइप्रस को यूरोपीय संघ में एक करीबी दोस्त और रणनीतिक भागीदार बताया।
द्विपक्षीय चर्चा से होगा बहुआयामी सहयोग
यह यात्रा पिछले दो दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली साइप्रस यात्रा है। यात्रा के दौरान दोनों देशों के नेता व्यापार, सुरक्षा, टेक्नोलॉजी, निवेश और लोगों के बीच सहयोग को लेकर गहन चर्चा करेंगे। इस संवाद से दोनों देशों के संबंध बहुआयामी रूप लेंगे।
भारत की यूरोप में मजबूत होती कूटनीतिक पकड़
यूरोपीय संघ का सदस्य साइप्रस, 2026 की शुरुआत में यूरोपीय संघ की अध्यक्षता संभालने जा रहा है। ऐसे में पीएम मोदी की यह यात्रा यूरोप में भारत की कूटनीतिक पहुंच का संकेत देती है। इसके बाद मोदी जी कनाडा में जी7 शिखर सम्मेलन और फिर क्रोएशिया की राजकीय यात्रा पर जाएंगे।
यात्रा के मुख्य उद्देश्य
- रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देना
- व्यापार एवं निवेश के लिए नए अवसर तलाशना
- तकनीकी सहयोग और साइबर सुरक्षा में संयुक्त पहल
- लोगों से लोगों के बीच संपर्क मजबूत करना
- यूरोपीय संघ के साथ भारत की साख बढ़ाना
साइप्रस के साथ भारत के ऐतिहासिक संबंध
भारत और साइप्रस के बीच दोस्ती दशकों पुरानी है। दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र में कई मंचों पर एक-दूसरे का समर्थन किया है। आर्थिक सहयोग के क्षेत्र में भी यह यात्रा नई दिशा दे सकती है, खासकर तकनीकी, फार्मा, और पर्यटन में।
"पीएम मोदी की साइप्रस यात्रा भारत की विदेश नीति के एक नए अध्याय की शुरुआत है। इससे भारत-साइप्रस के पारंपरिक संबंधों को नई ऊर्जा मिलेगी और यूरोप के साथ भारत की भागीदारी और गहरी होगी। यह यात्रा भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव को भी रेखांकित करती है।"
