प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नुआखाई पर्व पर दीं शुभकामनाएं
“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने गुरुवार को ओडिशा के प्रमुख कृषि उत्सव नुआखाई पर देशवासियों को अपनी शुभकामनाएं दीं। नुआखाई ओडिशा की समृद्ध कृषि परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। यह पर्व विशेष रूप से पश्चिमी ओडिशा के क्षेत्रों में मनाया जाता है, जहां किसान नई फसल के आने की खुशी में इस दिन को श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर नुआखाई पर्व की शुभकामनाएं दीं और इसे किसानों के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक बताया। ओडिशा के मुख्यमंत्री ने भी राज्यवासियों को नुआखाई की शुभकामनाएं दीं और इसे सामुदायिक सद्भाव और भाईचारे का प्रतीक बताया। इस लेख में हम नुआखाई पर्व, इसके महत्व और ओडिशा की सांस्कृतिक धरोहर पर विस्तार से चर्चा करेंगे।”
नुआखाई एक महत्वपूर्ण कृषि उत्सव है, जिसे मुख्य रूप से ओडिशा के पश्चिमी हिस्से में मनाया जाता है। यह पर्व नई फसल की शुरुआत और किसानों के कठिन परिश्रम की सराहना करने का अवसर होता है। यह पर्व गणेश चतुर्थी के अगले दिन मनाया जाता है, और इसके दौरान किसान अपनी नई फसल को देवता को अर्पित करते हैं। यह उनका आभार व्यक्त करने का तरीका है, क्योंकि वे प्रकृति और ईश्वर के सामने अपनी मेहनत का फल अर्पित करते हैं। नुआखाई पर्व के दौरान किसान, उनके परिवार और समुदाय एकत्र होकर पारंपरिक नृत्य, संगीत, खेल और भोज के साथ इस दिन का उत्सव मनाते हैं। यह पर्व न केवल कृषि परंपरा का प्रतीक है, बल्कि ओडिशा की सांस्कृतिक विरासत और भाईचारे को भी बढ़ावा देता है। मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने इसे सामुदायिक सद्भाव का प्रतीक बताते हुए कहा कि नुआखाई सम्मेलन और भाईचारे की भावना को प्रोत्साहित करता है।
नुआखाई ओडिशा के पश्चिमी जिलों में सबसे अधिक धूमधाम से मनाया जाता है। संबलपुर, सुंदरगढ़, कालाहांडी, नुआपाड़ा, नबरंगपुर, बालांगीर, बरगढ़, सुबरनपुर, देवगढ़ और झारसुगुड़ा जैसे जिलों में इस पर्व को लेकर खास उत्साह और उल्लास होता है। इस दिन को लेकर पूरे राज्य में एक खास माहौल बन जाता है, जहां लोग एक दूसरे के साथ खुशियाँ बांटते हैं और पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लेते हैं। यह पर्व उन किसानों के लिए एक विशेष महत्व रखता है जो सालभर कड़ी मेहनत करते हैं। नुआखाई के दिन, किसान नई फसल के अनाज को भगवान को अर्पित कर आभार व्यक्त करते हैं। इसके बाद, उनके परिवार और गांव के लोग एक साथ मिलकर विभिन्न पारंपरिक गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं।
नुआखाई पर्व केवल एक कृषि उत्सव नहीं है, बल्कि यह ओडिशा की सामाजिक और सांस्कृतिक परंपराओं को जीवित रखने का एक अवसर भी है। इस दिन का महत्व खासतौर पर किसानों और उनके परिवारों के लिए है, क्योंकि यह उनकी मेहनत और समर्पण की सराहना का दिन है। ओडिशा के मुख्यमंत्री ने नुआखाई को एक ऐसे पर्व के रूप में प्रस्तुत किया है जो सामूहिक उत्सव और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देता है। नुआखाई के दिन विशेष रूप से सामूहिक भोज और पारंपरिक नृत्य होते हैं, जिसमें गांव के सभी लोग शामिल होते हैं। पारंपरिक डांस जैसे कि ‘छाऊ’ नृत्य और ‘ढोल’ की आवाजें इस दिन के उत्सव को और भी खास बना देती हैं। यह पर्व एकता और समानता की भावना को प्रोत्साहित करता है और समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
नुआखाई पर्व की शुरुआत सुबह के समय किसानों द्वारा नई फसल के देवता को अर्पित करने से होती है। इसके बाद परिवार और समुदाय के लोग एकत्र होकर पारंपरिक नृत्य, संगीत और खेलों का आयोजन करते हैं। यह दिन खुशी और उल्लास का होता है, जहां लोग पुराने मतभेदों को भुलाकर एक साथ मिलकर जश्न मनाते हैं। नुआखाई के अवसर पर ओडिशा के विभिन्न हिस्सों में विशेष भोज का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें विभिन्न प्रकार के पारंपरिक व्यंजन परोसे जाते हैं। नुआखाई के बाद, यह समय परिवारों के लिए एकजुट होने और पारंपरिक संस्कृतियों को साझा करने का होता है। इस दौरान लोग एक दूसरे के साथ खुशियाँ साझा करते हैं और भाईचारे की भावना को मजबूत करते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नुआखाई के अवसर पर अपने संदेश में लिखा, “देशवासियों को नुआखाई की हार्दिक शुभकामनाएं। यह पर्व हमें किसानों के प्रति गहरी कृतज्ञता की याद दिलाता है, जिनकी मेहनत हम सबको जीवन देती है। सभी के घरों में स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशहाली बनी रहे। नुआखाई जुहार!” यह संदेश न केवल ओडिशा, बल्कि पूरे देश के किसानों की अहमियत को स्वीकार करता है और उन्हें सम्मानित करता है। वहीं, ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने भी नुआखाई पर्व पर राज्यवासियों को शुभकामनाएँ दीं और इसे ओडिशा की समृद्ध कृषि परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक बताया। उनका कहना था कि नुआखाई एक ऐसा पर्व है जो न केवल कृषि को, बल्कि समाज में सामुदायिक सद्भाव और भाईचारे को भी बढ़ावा देता है।
नुआखाई पर्व ओडिशा की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और कृषि परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पर्व न केवल किसानों के संघर्ष और समर्पण को सम्मानित करता है, बल्कि समाज में एकता, भाईचारे और सद्भाव की भावना को भी बढ़ावा देता है। प्रधानमंत्री मोदी और ओडिशा के मुख्यमंत्री की शुभकामनाएँ इस पर्व की महत्ता को और भी बढ़ाती हैं। नुआखाई के माध्यम से ओडिशा और पूरे देश में खुशी, समृद्धि और भाईचारे का संदेश फैलता है।