पोप फ्रांसिस के निधन पर भारत में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित, राष्ट्र ने दी श्रद्धांजलि
पोप फ्रांसिस का निधन: भारत ने तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया
"पोप फ्रांसिस का निधन विश्वभर में ईसाई समुदाय के लिए ही नहीं, बल्कि मानवता की सेवा में विश्वास रखने वालों के लिए एक अपूरणीय क्षति है। भारत सरकार ने इस दुखद समाचार पर तीन दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की है, जो देश की गहरी संवेदनाओं को दर्शाता है।"
कौन थे पोप फ्रांसिस?
पोप फ्रांसिस, जिनका असली नाम जॉर्ज मारियो बेर्गोलियो था, कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च धर्मगुरु और वैटिकन सिटी के प्रमुख थे। वे पहले गैर-यूरोपीय पोप थे जो लैटिन अमेरिका से आए और वर्ष 2013 में पोप बने। उन्होंने दुनिया भर में:
- शांति,
- पर्यावरण संरक्षण,
- गरीबी उन्मूलन,
- धार्मिक सहिष्णुता
जैसे विषयों पर ज़ोर दिया।
भारत में पोप फ्रांसिस की लोकप्रियता
भारत में कैथोलिक आबादी करीब दो करोड़ से अधिक है। पोप फ्रांसिस ने अपने कार्यकाल के दौरान:
- भारतीय समुदाय के प्रति विशेष स्नेह दिखाया
- कई बार भारत आने की इच्छा जताई
- ईसाई अल्पसंख्यकों के मुद्दों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाया
उनकी सोच और मानवतावादी दृष्टिकोण ने भारत में भी गहरी छाप छोड़ी।
भारत सरकार की घोषणा और राजकीय शोक का स्वरूप
भारत सरकार ने आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में घोषणा की है कि पोप फ्रांसिस के सम्मान में पूरे देश में 3 दिन का राजकीय शोक रहेगा।
इस दौरान:
- सभी सरकारी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा
- किसी भी प्रकार का सरकारी उत्सव या समारोह आयोजित नहीं किया जाएगा
- मंत्रालयों और सरकारी विभागों को संवेदनशीलता बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं
क्या बोले प्रधानमंत्री?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पोप फ्रांसिस के निधन पर शोक जताते हुए ट्वीट किया:
“पोप फ्रांसिस मानवता और करुणा के प्रतीक थे। उनका जीवन हम सभी को सेवा और सहनशीलता का पाठ पढ़ाता है। भारत उनकी कमी को महसूस करेगा।”
उनके इस बयान से स्पष्ट होता है कि पोप फ्रांसिस के विचार केवल धर्म के दायरे तक सीमित नहीं थे।
भारत की ईसाई समुदाय की प्रतिक्रिया
देशभर में गिरजाघरों में प्रार्थना सभाएं आयोजित की गई हैं। विशेष रूप से:
- केरल,
- गोवा,
- मिज़ोरम,
- नागालैंड,
- तमिलनाडु
जैसे राज्यों में कैथोलिक चर्चों ने श्रद्धांजलि सभा रखी और पोप के जीवन से प्रेरणा लेने की अपील की।
पोप फ्रांसिस की कुछ प्रमुख उपलब्धियां
- गरीबों के लिए कार्य: उन्होंने चर्च की प्राथमिकता गरीबों की ओर मोड़ी
- पर्यावरण पर दृष्टिकोण: ‘लौदातो सी’ नामक एनसाइक्लिकल पत्र जारी कर जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई की अपील की
- समलैंगिक समुदाय के प्रति उदार रवैया
- मुस्लिम देशों से संवाद: उन्होंने विभिन्न धर्मों के साथ शांति बनाए रखने के लिए कई प्रयास किए
- COVID-19 महामारी के समय संदेश: आशा और सेवा की प्रेरणा दी
वैश्विक नेताओं की प्रतिक्रिया
पोप फ्रांसिस के निधन पर दुनिया भर के नेताओं ने संवेदना जताई। अमेरिकी राष्ट्रपति, ब्रिटिश प्रधानमंत्री, संयुक्त राष्ट्र महासचिव सहित कई शीर्ष नेताओं ने उनके योगदान को ‘अविस्मरणीय’ बताया।
पोप फ्रांसिस की अंतिम यात्रा
वैटिकन सिटी में पोप फ्रांसिस की अंतिम यात्रा का कार्यक्रम तीन दिनों तक चलेगा। लाखों श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है।
भारत की ओर से एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल उनके अंतिम दर्शन और श्रद्धांजलि कार्यक्रम में भाग लेगा।
पोप फ्रांसिस का निधन और उसकी वैश्विक छाप
उनकी सोच और व्यवहार ने धर्म को आधुनिक मानवता से जोड़ने का काम किया। वे ऐसे युग के धर्मगुरु थे जो केवल प्रचार में नहीं, व्यवहार में भी परिवर्तन लाने के पक्षधर थे।