प्रधानमंत्री जन धन योजना: आर्थिक समावेशन की नई क्रांति, पीएम मोदी ने साझा किया लेख
प्रधानमंत्री जन धन योजना: आर्थिक समावेशन की नई क्रांति, पीएम मोदी ने साझा किया लेख
“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) की 11वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक विचारोत्तेजक लेख साझा किया, जिसमें योजना की अब तक की उपलब्धियों और सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन को रेखांकित किया गया है। उन्होंने कहा कि यह योजना देश के सबसे गरीब तबके के लोगों को वित्तीय सेवाओं से जोड़ने की दिशा में क्रांतिकारी कदम रही है। इससे समाज के उन वर्गों को सम्मान, आत्मनिर्भरता और आर्थिक सशक्तिकरण मिला है, जो पहले बैंकिंग व्यवस्था से वंचित थे।”
PMO India का सोशल मीडिया पोस्ट
प्रधानमंत्री कार्यालय
(PMO India) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म
X पर लिखा:
“प्रधानमंत्री जन धन योजना ने सबसे गरीब लोगों के लिए वित्तीय सेवाओं तक पहुंच को बदल दिया है। इसने बैंकों और बैंकिंग सेवाओं से वंचित लोगों के बीच की खाई को पाट दिया है और सम्मान, आत्मनिर्भरता और आर्थिक समावेशन को बढ़ावा दिया है।”
यह पोस्ट
@Himani_Sood_ द्वारा लिखे गए लेख के संदर्भ में किया गया था।
जन धन योजना की शुरुआत और उद्देश्य
प्रधानमंत्री जन धन योजना की शुरुआत
28 अगस्त
2014 को की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य था:
- हर परिवार का कम से कम एक सदस्य बैंक खाते से जुड़ा हो
- गरीबों को शून्य बैलेंस पर बैंक खाता
- RuPay डेबिट कार्ड, दुर्घटना बीमा, और ओवरड्राफ्ट सुविधा
- सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ (DBT) खातों के माध्यम से देना
अब तक की उपलब्धियाँ
अब तक
PMJDY के अंतर्गत:
- 55.90 करोड़ से अधिक खाते खोले जा चुके हैं
- जिनमें से 70% से अधिक खाते ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों के लोगों के हैं
- करोड़ों महिलाओं, श्रमिकों और किसानों को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ा गया है
- योजना के तहत अधिकांश खाताधारकों को RuPay कार्ड और बीमा कवर भी प्रदान किया गया है
आर्थिक सशक्तिकरण में भूमिका
PMJDY सिर्फ एक बैंकिंग योजना नहीं, बल्कि यह:
- आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में एक आंदोलन है
- खासकर महिलाओं और छोटे किसानों को डिजिटल और औपचारिक वित्तीय प्रणाली से जोड़कर उन्हें सशक्त किया गया
- डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से योजनाओं का लाभ सीधे खातों में पहुंचाया जा रहा है, जिससे बिचौलियों की भूमिका समाप्त हुई है
डिजिटल भुगतान और वित्तीय साक्षरता को मिला बल
योजना के अंतर्गत:
- डिजिटल बैंकिंग सेवाओं को गांव-गांव तक पहुँचाया गया
- बैंक मित्रों की नियुक्ति कर ग्रामीण क्षेत्रों में भी बैंकिंग सेवाएं सुनिश्चित की गईं
- मोबाइल बैंकिंग और UPI जैसी तकनीकों से गरीबों को भी डिजिटल ट्रांजैक्शन की सुविधा मिली
विपक्ष के आरोप और सरकार का जवाब
विपक्ष द्वारा यह आरोप लगाया गया कि:
- कई जन धन खाते निष्क्रिय हैं
- उनमें लेन-देन की गतिविधि कम है
सरकार ने इसका जवाब देते हुए बताया कि:
- यह योजना बैंकिंग पहुंच बढ़ाने की नींव है
- आज लाखों गरीब लोग डिजिटल लेन-देन से जुड़े हैं
- जन धन खातों का उपयोग PM-Kisan, LPG सब्सिडी, मनरेगा मजदूरी जैसी योजनाओं के लाभ प्राप्त करने के लिए किया जा रहा है
जन धन से जनकल्याण तक: भविष्य की दिशा
जन धन योजना ने साबित कर दिया कि:
- वित्तीय समावेशन से सामाजिक समावेशन संभव है
- जब गरीब को बैंकिंग का साधन मिलता है, वह आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता है
- यह योजना सिर्फ एक वित्तीय सुधार नहीं, बल्कि गरीबों के सम्मान की बहाली है
“प्रधानमंत्री जन धन योजना ने देश में वित्तीय क्रांति का द्वार खोला है। इसकी 11वीं वर्षगांठ इस बात का प्रतीक है कि जब नीयत स्पष्ट हो और नीति समावेशी हो, तो सबसे पिछड़ा वर्ग भी मुख्यधारा का हिस्सा बन सकता है। यह योजना भारत के ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य की दिशा में एक मजबूत आधारशिला है।”