प्रयागराज महाकुंभ: पहले स्नान पर्व पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद
“प्रयागराज के संगम तट पर महाकुंभ 2025 के पहले स्नान पर्व पौष पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं का अद्भुत नजारा देखने को मिला। देशभर से आए लाखों श्रद्धालु गंगा में पवित्र डुबकी लगा रहे हैं। आधी रात से ही संगम तट पर श्रद्धालुओं और कल्पवासियों का तांता लगना शुरू हो गया था। हर-हर गंगे और जय श्रीराम के गगनभेदी जयकारों से पूरा मेला क्षेत्र गूंज उठा।”
45 दिनों तक चलने वाला महाकुंभ का कल्पवास शुरू
13 जनवरी से महाकुंभ का पैंतालीस दिवस का कल्पवास शुरू हो गया है। पहले स्नान पर्व के बाद मकर संक्रांति पर शाही स्नान का आयोजन होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मेला क्षेत्र में सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम किए गए हैं। पूरे मेला क्षेत्र की निगरानी इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से की जा रही है।
सुरक्षा व्यवस्था पर खास ध्यान
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि महाकुंभ में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। प्रदेश सरकार ने सभी व्यवस्थाओं को पुख्ता किया है ताकि किसी को कोई परेशानी न हो।
डीआईजी वैभव कृष्ण ने कहा, “मेला क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था के लिए स्थानीय पुलिस और अर्धसैनिक बलों के 10,000 से अधिक जवान तैनात किए गए हैं। भीड़ प्रबंधन के लिए पुलिस को घुड़सवारी करते हुए गश्त करते देखा गया। हमारा अनुमान है कि लगभग 50 लाख लोग पहले ही संगम में पवित्र स्नान कर चुके हैं।”
ट्रैफिक और पार्किंग की व्यवस्था
डीआईजी कृष्णा ने बताया कि ट्रैफिक और पार्किंग की व्यवस्था भी सुचारू रूप से चल रही है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विभिन्न मार्गों से आने वाले वाहनों को डायवर्ट किया जा रहा है। पार्किंग के लिए पर्याप्त जगह उपलब्ध कराई गई है।
मेला प्रशासन पूरी तरह सतर्क
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) भानु भास्कर ने कहा कि मेला प्रशासन पूरी तरह से सतर्क है। सुबह 3 बजे से ही पुलिस बल को तैनात कर दिया गया था। हर स्नान स्थल पर पुलिस की कड़ी निगरानी है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) राजेश द्विवेदी ने कहा कि संगम में पवित्र स्नान करने वालों की संख्या की गणना शाम तक पूरी की जाएगी।
श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर
महाकुंभ के पहले स्नान पर्व पर श्रद्धालुओं का उत्साह देखने लायक है। देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगाकर अपने पापों का प्रायश्चित कर रहे हैं। इस आयोजन ने प्रयागराज की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक छवि को एक बार फिर उजागर किया है।
