चिकित्सा मानवता की सेवा है, न कि केवल एक पेशा: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु
राष्ट्रपति मुर्मु ने एम्स गोरखपुर के दीक्षांत समारोह में दिया संदेश
“भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने एम्स गोरखपुर के पहले दीक्षांत समारोह में उपस्थित होकर मेधावी छात्रों को पदक और मेडल प्रदान किए और उन्हें सम्मानित किया। अपने संबोधन में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि चिकित्सा केवल एक प्रोफेशन नहीं, बल्कि यह मानवता की सेवा का माध्यम है।”
चिकित्सा पेशा नहीं, सेवा का माध्यम
राष्ट्रपति ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि एक चिकित्सक सिर्फ इलाज नहीं करता, बल्कि वह एक समाज सेवक की भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा,
“एक संवेदनशील चिकित्सक अपने व्यवहार से भी मरीज को ठीक होने में मदद करता है।”
उनका यह वक्तव्य इस बात को रेखांकित करता है कि मेडिकल प्रोफेशन संवेदना और नैतिकता से जुड़ा हुआ क्षेत्र है।
ग्रामीण क्षेत्रों में भी चिकित्सकों की तैनाती जरूरी
राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि सभी नागरिकों को बेहतर इलाज मिल सके, इसके लिए जरूरी है कि गांवों में भी योग्य चिकित्सकों की तैनाती हो। उन्होंने सुझाव दिया कि चिकित्सा क्षेत्र को केवल शहरी सीमाओं में न सिमटाकर, ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में फैलाना चाहिए।
चिकित्सक कभी रिटायर नहीं होते
अपने भाषण में उन्होंने कहा कि एक डॉक्टर का पेशा ऐसा है जिसमें व्यक्ति आजीवन सेवा करता है। उन्होंने कहा,
“डॉक्टर कभी रिटायर नहीं होते, वे सेवा करते रहते हैं।”
इस कथन से उन्होंने यह स्पष्ट किया कि चिकित्सा सेवा जीवनभर का समर्पण है, न कि केवल एक सीमित नौकरी।
भारत में मेडिकल टूरिज्म की बढ़ती क्षमता
राष्ट्रपति ने यह भी बताया कि भारत में इलाज अन्य देशों की तुलना में काफी सस्ती और प्रभावी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं, जिसके कारण विदेशों से भी लोग यहां इलाज के लिए आते हैं। उन्होंने कहा कि एम्स जैसे संस्थान मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
तकनीक के साथ भारत की स्वास्थ्य सेवाएं
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की स्वास्थ्य सेवाएं अब तकनीक के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि:
- टेली-मेडिसिन
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)
- वियरेबल टेक्नोलॉजी
जैसी तकनीकों से रोगियों की देखभाल पहले से अधिक सहज और प्रभावी हो रही है।
डॉक्टर को भगवान का दर्जा
भारत में डॉक्टर को पारंपरिक रूप से 'भगवान का रूप' माना जाता है। राष्ट्रपति मुर्मु ने इस विषय पर भी बल देते हुए कहा कि एक डॉक्टर की भूमिका केवल शारीरिक उपचार तक सीमित नहीं होती, बल्कि वह मरीज के मनोबल को भी बढ़ाता है। ऐसे संवेदनशील डॉक्टरों की समाज में बेहद आवश्यकता है।
एम्स गोरखपुर की सराहना
राष्ट्रपति ने एम्स गोरखपुर की उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्थान:
चिकित्सा शिक्षा,
अनुसंधान,
और उपचार के क्षेत्र में उच्चतम मानकों की स्थापना कर रहा है।
उन्होंने कहा कि इस संस्थान ने बहुत कम समय में उल्लेखनीय प्रगति की है और स्वास्थ्य प्रणाली को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाई है।
नवाचार और गुणवत्ता की परंपरा
राष्ट्रपति मुर्मु ने यह भी कहा कि एम्स गोरखपुर, गुणवत्ता, सेवा और नवाचार की मजबूत परंपरा को आगे बढ़ा रहा है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह संस्थान क्षेत्रीय स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूती प्रदान कर रहा है।
राष्ट्र निर्माण में डॉक्टरों की भूमिका
राष्ट्रपति ने कहा कि डॉक्टर न केवल बीमारियों का इलाज करते हैं बल्कि समाज में विश्वास, सुरक्षा और उम्मीद का वातावरण भी बनाते हैं। उनका सामाजिक योगदान राष्ट्र निर्माण में भी अहम होता है।
“राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का यह संदेश न केवल नव-डॉक्टरों को प्रेरणा देता है, बल्कि पूरे देश को यह सोचने पर मजबूर करता है कि चिकित्सा का कार्य केवल एक व्यवसाय नहीं, बल्कि एक मानवीय कर्तव्य और सेवा है। एम्स गोरखपुर जैसे संस्थान न केवल चिकित्सा क्षेत्र की उन्नति कर रहे हैं, बल्कि एक मानवता-आधारित स्वास्थ्य व्यवस्था की नींव भी रख रहे हैं।”