पंजाब-हरियाणा जल विवाद फिर गरमाया, हरियाणा सरकार ने बुलाई सर्वदलीय बैठक
"भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) के जल बंटवारे को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच जल विवाद ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है। इस गंभीर और लंबे समय से चल रहे मुद्दे पर हरियाणा सरकार ने रणनीति तय करने के लिए आज चंडीगढ़ में सर्वदलीय बैठक बुलाई है। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में यह बैठक शनिवार दोपहर 2 बजे हरियाणा निवास, चंडीगढ़ में आयोजित की गई, जिसमें सभी प्रमुख राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया गया है। इस बैठक का उद्देश्य है—राज्य की स्पष्ट नीति बनाना और विपक्ष तथा सत्तापक्ष से साझा राय लेकर मजबूत प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना।"
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उठाए सवाल, पंजाब सरकार पर लगाया आरोप
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने जल विवाद पर पंजाब सरकार को आड़े हाथों लिया। रोहतक में एक प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने कहा:
“पंजाब और हरियाणा भारत-पाकिस्तान नहीं हैं, जो एक-दूसरे का पानी रोक लें। पानी रोकना हरियाणा के अधिकारों का उल्लंघन है और इससे पूरे क्षेत्र में जल संकट गहरा सकता है।”
हुड्डा ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान पर तंज कसते हुए कहा कि जिनका राजनीतिक करियर व्यंग्य और हास्य से शुरू हुआ, वे अब राज्य चला रहे हैं। उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री सैनी पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि यह मुद्दा "रिश्तेदारी का खेल" नहीं है, बल्कि राज्यहित का मामला है।
बीबीएमबी में प्रतिनिधित्व पर भी उठे सवाल
हुड्डा ने कहा कि भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड में हरियाणा का कोई सदस्य नहीं है, जिससे जल बंटवारे पर राज्य का पक्ष मजबूती से नहीं रखा जा रहा। उन्होंने BBMB में हरियाणा के प्रतिनिधि की तत्काल नियुक्ति की मांग उठाई।
कांग्रेस का समर्थन, केंद्र से की कार्रवाई की मांग
भूपेंद्र हुड्डा ने स्पष्ट किया कि कांग्रेस पार्टी इस मामले में हरियाणा सरकार का समर्थन करती है और चंडीगढ़ में होने वाली सर्वदलीय बैठक में पार्टी अपना पक्ष मजबूती से रखेगी। उन्होंने सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर के निर्माण को लेकर केंद्र सरकार से ठोस कार्रवाई की भी मांग की।
बेमौसमी बारिश से बिगड़ा मंडियों का हाल
हुड्डा ने किसानों के मुद्दे को भी उठाया। उन्होंने कहा कि हाल ही में हुई बेमौसमी बारिश से फसलें मंडियों में भीग रही हैं और सरकार की व्यवस्थाओं की पोल खुल गई है। गेहूं की उठान तक समय पर नहीं हो पाई, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है।
हरियाणा के लिए क्या है जल विवाद का महत्व?
1. कृषि आधारित अर्थव्यवस्था पर असर
हरियाणा की सिंचाई का बड़ा हिस्सा भाखड़ा-ब्यास प्रणाली से जुड़ा है। पानी की कमी सीधे खेती और ग्रामीण जीवन को प्रभावित करती है।
2. पीने के पानी की आपूर्ति
राज्य के कई क्षेत्रों में जल स्रोत सीमित हैं। पंजाब द्वारा पानी रोकना, नागरिकों की पीने के पानी की उपलब्धता को प्रभावित कर सकता है।
3. राजनीतिक विवाद बनता जा रहा मुद्दा
इस विवाद ने अब केंद्र और राज्यों के रिश्तों में भी नई चुनौती पेश की है, जिससे समन्वय और नीति-निर्माण प्रभावित हो रहे हैं।
बीबीएमबी जल बंटवारा विवाद: संक्षिप्त पृष्ठभूमि
| वर्ष | घटना |
|---|---|
| 1955 | पंजाब, हरियाणा, राजस्थान के बीच जल बंटवारे का समझौता |
| 1981 | SYL नहर परियोजना का शिलान्यास |
| 2004 | पंजाब सरकार ने SYL निर्माण को रोकने का कानून पारित किया |
| 2016 | सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के कानून को असंवैधानिक बताया |
| 2024-25 | जल वितरण को लेकर विवाद और गहरा |
क्या सर्वदलीय बैठक से निकलेगा कोई समाधान?
चूंकि अब सभी राजनीतिक दल एक मंच पर आ रहे हैं, उम्मीद की जा रही है कि जल विवाद को राजनीतिक दृष्टिकोण से हटाकर जनहित के नजरिये से सुलझाने की कोशिश होगी। लेकिन जब तक केंद्र सरकार ठोस हस्तक्षेप नहीं करती, समाधान मुश्किल दिखता है।
