क्वाड ने पहलगाम हमले की निंदा की, पाकिस्तान को दी कड़ी चेतावनी: एस जयशंकर का बयान
क्वाड ने पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की: पाकिस्तान को दोषियों को सजा देने की चेतावनी
“अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत का संगठन क्वाड ने जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की है। इस हमले में 25 भारतीय नागरिकों और एक नेपाली नागरिक की मौत हो गई थी। क्वाड देशों ने संयुक्त बयान में इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए सभी देशों से आग्रह किया कि वे इस घटना के दोषियों को सजा दिलाने के लिए त्वरित कदम उठाएं। इस लेख में हम क्वाड की बैठक के बाद जारी किए गए बयान और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान पर चर्चा करेंगे।”
पहलगाम हमले की कड़ी निंदा
क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों ने पहलगाम हमले को अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया और इसमें मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की। बयान में कहा गया है कि आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए और दोषियों को बिना देरी के सजा दिलाने के लिए सभी देशों को एकजुट होकर काम करना चाहिए। हालांकि, संयुक्त बयान में पाकिस्तान या उसकी तरफ से पोषित आतंकी संगठनों का नाम नहीं लिया गया है, जिस पर भारत ने असंतोष व्यक्त किया है।
एस जयशंकर का बयान: आतंकवाद पर भारत की ठोस स्थिति
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस बैठक से पहले कहा था कि यदि भविष्य में भारतीय नागरिकों पर इस प्रकार के हमले होते हैं, तो भारत अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जवाबी कार्रवाई करेगा। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि क्वाड के सहयोगी देशों को भारत की संवेदनाओं का समझ आएगा और वे सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख का समर्थन करेंगे। जयशंकर ने पाकिस्तान को सीधी चेतावनी देते हुए कहा कि आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई से बचने का कोई विकल्प नहीं हो सकता।
क्वाड की प्रतिक्रिया: सीमा पार आतंकवाद पर कड़ी निंदा
क्वाड देशों ने सीमा पार आतंकवाद और किसी भी प्रकार के अतिवाद की कड़ी निंदा की है। बयान में कहा गया है, "क्वाड देशों का यह दृढ़ विश्वास है कि किसी भी प्रकार के आतंकवादी हमले को किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जा सकता। हम आतंकवादियों को सहारा देने वाले देशों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की आवश्यकता को महसूस करते हैं।" इस बयान से स्पष्ट होता है कि क्वाड देशों ने आतंकवाद के खिलाफ साझा दृष्टिकोण अपनाया है और सभी देशों से संयुक्त राष्ट्र के दिशा-निर्देशों के तहत कार्रवाई करने की अपील की है।
पूर्वी और दक्षिण चीन सागर में चीन की सैन्य गतिविधियों पर चिंता
क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों ने पूर्वी और दक्षिण चीन सागर में चीन द्वारा की जा रही सैन्य गतिविधियों पर गंभीर चिंता व्यक्त की। बयान में कहा गया, "हम किसी भी प्रकार की उकसावे वाली कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हैं, जिनमें अवैध समुद्री गतिविधियों, तटीय संसाधनों पर अवैध हस्तक्षेप और नेविगेशन स्वतंत्रता में रुकावट डालना शामिल है।" यह बयान चीन के दक्षिण चीन सागर में बढ़ते प्रभाव को लेकर भी एक कड़ा संदेश है।
म्यांमार की स्थिति पर चिंता
क्वाड देशों ने म्यांमार में जारी सैन्य शासन और इसके कारण उत्पन्न हो रही संकटपूर्ण स्थिति पर भी गहरी चिंता जताई। म्यांमार में लोकतंत्र बहाली के प्रयासों की कमी और बढ़ती मानवाधिकारों की उल्लंघन पर क्वाड ने आवाज उठाई है। साथ ही, उन्होंने म्यांमार के नागरिकों की मदद के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया।
क्वाड के नए अभियान: प्रौद्योगिकी और सामरिक साझेदारी
क्वाड की बैठक में तीन प्रमुख पहलें भी तय की गईं, जो भविष्य में भारत और अन्य देशों के लिए लाभकारी साबित हो सकती हैं। इन पहलों में सबसे महत्वपूर्ण "क्रिटिकल मिनरल्स इनिशिएटिव" है, जिसका उद्देश्य बहुमूल्य धातुओं की खोज और उनके दोहन को बढ़ावा देना है, खासकर चीन से निर्भरता को खत्म करने के लिए। इसके अलावा, क्वाड ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सामुद्रिक सुरक्षा और लॉजिस्टिक्स नेटवर्क की स्थापना करने का भी प्रस्ताव रखा है।
समुद्री कानून और अवैध गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई
क्वाड देशों ने अवैध समुद्री गतिविधियों जैसे समुद्री डकैती, मादक पदार्थों की तस्करी और बिना सूचना के मछली पकड़ने को रोकने के लिए "समुद्री कानून क्रियान्वयन सहयोग" का विस्तार करने का निर्णय लिया है। यह पहल समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देने और अवैध गतिविधियों को रोकने में मदद करेगी।
भारत की भूमिका और क्वाड का भविष्य
क्वाड का यह बयान वैश्विक सुरक्षा के मुद्दों पर एकजुटता का स्पष्ट संदेश देता है। पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। भारत का कड़ा रुख और क्वाड देशों की सहयोगी प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेगा। साथ ही, क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग को मजबूत करने के लिए विभिन्न पहलें भी जारी रहेंगी, जो भारत और उसके सहयोगी देशों के हित में साबित हो सकती हैं।
