राहुल गांधी का ‘सेल्फ गोल’: SIR के विरोध के बीच मतदाता सूची पर गड़बड़ी का आरोप
SIR पर विरोध, लेकिन बयान से उलझा विपक्ष
“कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में मतदाता सूची में कथित गड़बड़ी के आरोप लगाए। विडंबना यह है कि उनके बयान ने विपक्ष के भीतर Special Intensive Revision (SIR) के विरोध में विरोधाभास उजागर कर दिया। बिहार में चल रही SIR प्रक्रिया का उद्देश्य मृत, डुप्लीकेट और स्थानांतरित मतदाताओं के नाम हटाकर सूची को अपडेट करना है। यही वह कार्य है, जिसकी जरूरत राहुल गांधी ने अपने बयान में खुद सिद्ध कर दी।”
SIR क्या है और क्यों जरूरी है?
SIR (Special Intensive Revision), विधानसभा चुनाव से पहले चलाया जाने वाला एक विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान है।
- उद्देश्य: मृतक, स्थानांतरित और डुप्लीकेट नाम हटाना।
- अब तक का काम:
- 98% से अधिक मतदाताओं का सत्यापन
- 20 लाख मृतक नाम हटे
- 28 लाख स्थानांतरित प्रविष्टियां हटाई गईं
- 7 लाख डुप्लीकेट नाम डिलीट
सुप्रीम कोर्ट ने भी इस प्रक्रिया को हरी झंडी दी है।
राहुल गांधी का आरोप और ‘सेल्फ गोल’
राहुल गांधी ने कर्नाटक के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में एक लाख से अधिक फर्जी वोटर होने का दावा किया, जिनमें गलत पते और डुप्लीकेट प्रविष्टियां शामिल थीं। लेकिन यही मुद्दा SIR भी हल कर रहा है। बयान से यह साबित होता है कि मतदाता सूची की सफाई जरूरी है, जो कि SIR का मुख्य मकसद है। इस तरह राहुल गांधी के आरोप अप्रत्यक्ष रूप से SIR को सही ठहराते हैं।
चुनाव आयोग का खंडन
राहुल गांधी ने यूपी के दो मतदाताओं — आदित्य श्रीवास्तव और विशाल सिंह — के नाम डुप्लीकेट होने का दावा किया।
उत्तर प्रदेश निर्वाचन आयोग ने जांच कर बताया कि:
- आदित्य श्रीवास्तव का नाम सिर्फ बैंगलोर बूथ 458 पर है।
- विशाल सिंह का नाम केवल बैंगलोर बूथ 513 पर है।
यूपी की मतदाता सूची में इनके नाम मौजूद नहीं थे।
लोकतंत्र में मतदाता सूची की सटीकता जरूरी
राहुल गांधी के आरोप से यह स्पष्ट है कि फर्जी, मृत और डुप्लीकेट नामों को हटाना चुनावी पारदर्शिता के लिए जरूरी है।SIR जैसी प्रक्रिया का उद्देश्य भी यही है, इसलिए विपक्ष के लिए राजनीतिक मतभेद से ऊपर उठकर ऐसी पहल का समर्थन करना लोकतांत्रिक दृष्टिकोण से उचित होगा।
