बंगाल में हिंसा पर आरएसएस की चिंता: “लोगों को विचार करना चाहिए क्यों होती है ऐसी घटनाएं”
आरएसएस ने जताई चिंता
“राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने पश्चिम बंगाल में जारी हिंसा पर चिंता व्यक्त की है। संघ ने कहा कि बंगाल में हिंसा क्यों होती है, इस पर समाज और लोगों को गंभीरता से विचार करना चाहिए।”
जनसंख्या नीति पर जोर
आरएसएस ने स्पष्ट किया कि भारत को केवल जनसंख्या नियंत्रण नहीं, बल्कि एक समग्र जनसंख्या नीति की जरूरत है। यह नीति सभी भारतीयों पर समान रूप से लागू होनी चाहिए।
शाखाओं का विस्तार
संगठन ने यह भी बताया कि वह अक्टूबर 2025 तक देशभर में 1 लाख शाखाएं स्थापित करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। वर्तमान में पश्चिम बंगाल में आरएसएस की 2018 शाखाएं सक्रिय हैं।
बंगाल हिंसा और राजनीति
संघ ने कहा कि पश्चिम बंगाल में होने वाली हिंसा “संरक्षण” के कारण होती है।
- उन्होंने यह भी जोड़ा कि भाजपा की बंगाल में 72-75 सीटों की वृद्धि उल्लेखनीय है, लेकिन सत्ता में आना एक अलग मुद्दा है।
- आरएसएस ने ममता बनर्जी सरकार पर ‘राजधर्म’ निभाने में कमी का आरोप लगाया और असंतोष जाहिर किया।
संगठन की कार्यप्रणाली
आरएसएस ने यह स्पष्ट किया कि संगठन का कोई संविधान ऐसा नियम नहीं बनाता कि 75 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्ति ली जाए।
- हर संगठन अपनी स्वायत्तता से काम करता है।
- राज्य सरकार ने मोहन भागवत की सभा को अनुमति नहीं दी थी, लेकिन यह अनुमति अदालत से मिली।
स्वतंत्रता और निष्ठा
संघ का मानना है कि:
- सभी को स्वतंत्रता के साथ जीने का अधिकार है।
- लेकिन देश के प्रति निष्ठा पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए।
- न तो भारत में गैर-हिंदुओं को प्रताड़ित किया जाना चाहिए और न ही बांग्लादेश में हिंदुओं को।
भाषा और संपर्क का मुद्दा
भाषा को लेकर संघ का कहना है कि:
- संपर्क भाषा एक हो सकती है।
- लेकिन राष्ट्रीय भाषाएं अनेक हो सकती हैं।
केंद्र-राज्य संबंध और विदेश नीति
आरएसएस ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें कभी एक-दूसरे की दुश्मन नहीं होनी चाहिएं।
- हम कांग्रेस के साथ भी नीतिगत मुद्दों पर चर्चा करते थे और प्रणब मुखर्जी से बांग्लादेश व नेपाल पर विचार-विमर्श करते थे।
- चीन पर संघ का मानना है कि भारत को स्थायी दुश्मनी की नीति नहीं अपनानी चाहिए।
- सभी से संबंध रखने चाहिए, लेकिन राष्ट्र की सर्वोच्चता सर्वोपरि है।
