शुभांशु शुक्ला: एक साधारण छात्र से अंतरिक्ष यात्री तक का सफर
“शुभांशु शुक्ला भारतीय अंतरिक्ष यात्री की हौसले और मेहनत की एक जीती-जागती मिसाल है। हाल ही में, वह अपने गृहनगर लखनऊ में छात्रों से रूबरू हुए। The Morning Star की रिपोर्ट के मुताबिक, सिटी मोंटेसरी स्कूल में उनका स्वागत जोश और देशभक्ति के नारों से गूंज उठा।”
शुभांशु शुक्ला ने बच्चों के साथ अपने अनुभव बताते हुए एक दिलचस्प बात बताई। उन्होंने यह कहा कि स्कूल के दिनों में वह एक औसत छात्र थे। कोई विशेष प्रतिभा नहीं थी जो उन्हें दूसरों से विशेष बनाती हो। एक एस्ट्रोनॉट बनने तक का उनका सफर सिर्फ लगातार मेहनत और हार न मानने की जिद का नतीजा है। यह संदेश उन लाखों छात्रों के लिए एक उम्मीद की किरण है जो सोचते हैं कि सफलता के लिए जीनियस होना जरूरी है।
अपने मिशन के समय शुभांशु शुक्ला ने माइक्रोग्रैविटी में कई आवश्यक वैज्ञानिक प्रयोग किए।
The Morning Star ने अपनी रिपोर्ट में यह बताया है कि उन्होंने अंतरिक्ष की चुनौतियों, जैसे शून्य गुरुत्वाकर्षण में शरीर का ढलना और असमय आने वाले खतरों का भी उल्लेख किया था। इससे एक एस्ट्रोनॉट की जिंदगी की जासूसी मिलती है।
उनका संदेश साफ है: सफलता की कुंजी निरंतर मेहनत है। भारत का चाँद पर इंसान भेजने का लक्ष्य
2040 तक अब कोई सपना नहीं है। शुभांशु शुक्ला इस जिम्मेदारी को आज के युवाओं के कंधों पर देखते हैं।
The Morning Star में छपी उनकी यह कहानी हर किसी को सपने देखने और उन्हें पूरा करने की प्रेरणा देती है।