Newsअंतरराष्ट्रीयराष्ट्रीय

28 घंटे की ऐतिहासिक यात्रा: भारत के शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पहुंचे

“भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने Axiom-4 मिशन के अंतर्गत स्पेसएक्स के ड्रैगन अंतरिक्ष यान से उड़ान भरकर इतिहास रच दिया। 28 घंटे की लंबी और अद्भुत अंतरिक्ष यात्रा के बाद, वे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में दाखिल हुए। इस ऐतिहासिक क्षण में उन्होंने न केवल भारत का नाम रोशन किया बल्कि 41 वर्षों बाद भारत के किसी नागरिक ने अंतरिक्ष में कदम रखा।”

एक्सिओम-4 मिशन की तस्वीरें

आईएसएस से जुड़ा ‘ड्रैगन’: डॉकिंग प्रक्रिया का रोमांच

भारतीय समयानुसार गुरुवार शाम 4:01 बजे, जब अंतरिक्ष यान उत्तर अटलांटिक महासागर के ऊपर से गुजर रहा था, उसी समय यह ISS से जुड़ गया (डॉकिंग)4:15 बजे 'डॉकिंग' प्रक्रिया पूरी हुई, और करीब 6 बजे सभी यात्री स्टेशन के भीतर दाखिल हुए। इस मिशन में कुल चार अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं:

एक्सिओम-4 मिशन की तस्वीरें

लखनऊ से लेकर अंतरिक्ष तक: शुभांशु की प्रेरणादायक यात्रा

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में जन्मे शुभांशु शुक्ला, अब भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री बन गए हैं। उनसे पहले राकेश शर्मा 1984 में सोवियत संघ के सैल्यूट-7 स्टेशन पर गए थे। शुभांशु की यह उपलब्धि न केवल भारतीय युवाओं को प्रेरणा देती है, बल्कि वैश्विक अंतरिक्ष मिशनों में भारत की बढ़ती भूमिका को भी दर्शाती है।


अंतरिक्ष से पहला संदेश: अनुभव का साझा करना

अंतरिक्ष यान से वीडियो कॉल के ज़रिए भेजे गए अपने पहले संदेश में शुभांशु ने कहा:

“प्रक्षेपण के दौरान गुरुत्वाकर्षण बल ऐसा था मानो हमें सीट से पीछे धकेला जा रहा हो। जैसे ही वह खत्म हुआ, चारों ओर शांति और निर्वात था। हम बेल्ट खोलकर तैरने लगे। शुरुआत में थोड़ा अजीब लगा, लेकिन बाद में यह सबसे सुंदर एहसास बन गया।”

उनका यह बयान दर्शाता है कि यह मिशन उनके लिए एक नवजन्म जैसा अनुभव रहा।

एक्सिओम-4 मिशन की तस्वीरें

Axiom-4 मिशन: निजी अंतरिक्ष अभियानों की नई दिशा

Axiom Space द्वारा संचालित यह चौथा प्राइवेट मिशन था, जिसे स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल द्वारा संचालित किया गया। इस मिशन का उद्देश्य:

इस मिशन में भारत, अमेरिका, पोलैंड और हंगरी का प्रतिनिधित्व रहा, जो अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की एक बेहतरीन मिसाल है।

एक्सिओम-4 मिशन की तस्वीरें

अन्य अंतरिक्ष यात्रियों की कहानियाँ

इन सभी यात्रियों के लिए यह मिशन केवल तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक भी है।


भारत के लिए यह क्यों महत्वपूर्ण है?

एक्सिओम-4 मिशन की तस्वीरें

आईएसएस का जीवन: प्रशिक्षण और सहयोग का केंद्र

अब जबकि शुभांशु और अन्य यात्री ISS में पहुंच चुके हैं, उनका काम विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोगों, डेटा संग्रहण और अनुभव साझा करने पर केंद्रित होगा। यह अंतरिक्ष स्टेशन:

एक्सिओम-4 मिशन की तस्वीरें

शुभांशु शुक्ला की उड़ान: भारत के अंतरिक्ष युग का नया अध्याय

Axiom-4 मिशन के साथ शुभांशु शुक्ला ने यह सिद्ध कर दिया कि भारतीय नागरिक वैश्विक अंतरिक्ष कार्यक्रमों में भी अग्रणी हो सकते हैंभविष्य में ऐसे और भी कई मिशनों में भारत की भागीदारी बढ़ेगी, और यह अंतरिक्ष विज्ञान में हमारी विशेषज्ञता को और मजबूत बनाएगा।

Please Read and Share